पटना. लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में हाल के उठा-पटक ने अलग-अलग शिविर के महारथियों को सतर्क कर दिया है. वे संभावित उन सुराखों पर लेप चढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं जहां से प्रतिद्वंद्वियों के ‘हमले’ हो सकते हैं. एनडीए और महागठबंधन राज्य की सियासत के दो ध्रुव हैं और इनके बीच ही राजनीति होनी है.
लोजपा में जिस तरह के उलट-फेर हुए,उसने महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस को सतर्क कर दिया है. लोजपा की ‘पॉलिटिकल सर्जरी’ के कई संकेत निकलते हैं. यह संकेत लोजपा और दूसरी पार्टियों के लिए भी माने जा सकते हैं. चिराग पासवान ने सोचा भी नहीं था कि उनकी बीमारी के दौरान पार्टी की ‘सर्जरी’ हो जायेगी.
पार्टी में फूट के बाद उनका बयान आया था कि जब मैं बीमार था, तो चाचा ने ऐसा कर दिया. लोजपा में छिड़ी जंग के दौरान यह चर्चा होने लगी है कि अब किसकी बारी? जाहिर है कांग्रेस के लेकर महागठबंधन हाइअलर्ट पर है़
हालांकि, बिहर कांग्रेस प्रभारी भक्तचरण दास पत्रकारों को आश्वस्त करते हैं कि कांग्रेस पहले से और मजबूत होगी. यह बात अलग है कि इस आश्वस्त भाव से वह खुद या कांग्रेस के लोग कितने आश्वस्त होंगे? प्रदेश के सियासी जानकारों के मुताबिक राज्य के अंदर राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने का यह एनडीए का तरीका हो सकता है.
ऐसे में माना जा रहा है कि महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद सतर्क हो गये हैं. शायद इसीलिए एनडीए की मंशा को भांपते हुए महागठबंधन के नेताओं ने एक-दूसरे से वर्चुअल रूप में संवाद किया है़ महागठबंधन में सबसे नाजुक कड़ी कांग्रेस है, जिसको लेकर एनडीए में खासा उत्साह दिख रहा है़
महागठबंधन के नेताओं को पता है कि अगर कांग्रेस के विधायक छिटके, तो एनडीए को मनोवैज्ञानिक तौर पर बड़ी बढ़त हासिल होगी. फिलहाल महागठबंधन में राजद और वाम दल एकजुट हैं. कांग्रेस की कथित रूप में कमजोर कड़ी को मजबूत बनाने के लिए महागठबंधन के नेता कांग्रेस आलाकमान से संपर्क में हैं.
Posted by Ashish Jha