बिहार के कई शहरों में क्लाइमेट चेंज की वजह से मौसम के अलावा हवा की गुणवत्ता पर भी बुरा असर पड़ रहा है. क्लेक्टिव फॉर क्लाइमेट इन बिहार में हीट वेव और बढ़ते प्रदूषण के बारे में अध्ययन किया गया. इसमें बिहार में प्रदूषण का बड़ा हिस्सा बंगाल और यूपी से आने की बात कहीं गयी है. इस पर बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रदूषण विशेषज्ञ ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.
भारी मात्रा में सूक्ष्म कण साथ लेकर बिहार आती है हवा
बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रदूषण विशेषज्ञ का कहना था कि बिहार में यूपी से उत्तरी दिशा से आने वाली हवा और पश्चिम बंगाल से आने वाली पूरबा हवा भारी मात्रा में सूक्ष्म कण साथ लेकर बिहार में आती है. इन दोनों हवाओं में टकराव होता है, जिससे बिहार प्रदूषित हवाओं का रिसीविंग स्टेशन बन जाता है. वायु प्रदूषण में इसका योगदान 22 फीसदी है. इसके अलावा बोर्ड के वैज्ञानिकों ने बताया कि बिहार के उत्तरी भाग कोसी इलाकों में भी दोनों छोर से आने वाली हवाएं शहर को प्रदूषित कर रही हैं. इन सूक्ष्म कण पीएम 10 व 2.5 शरीर के भीतर प्रवेश कर लोगों को बीमार बना देते हैं. उन्होंने बिहार में उड़ने वाले सूक्ष्म कणों को नेचरूल डस्ट का नाम दिया, जिसका मानव संसाधनों से कोई लेना-देना नहीं है.
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जलावन व निर्माण कार्य होने से भी प्रदूषण
इसके अलावा इलाकों में जलाये जा रहे जलावन व निर्माण कार्य होने से भी हवा प्रदूषित हो रही है. इस रिपोर्ट में गर्मियों में चलने वाली लू और वज्रपात को भी बिहार के क्लाइमेट में बदलाव का बड़ा हिस्सा माना गया. विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु बदलाव की वजह से यह और खतरनाक हो गया है. वायु प्रदूषण में इसका योगदान 23 फीसदी है.
बिहार की सूखी जलोढ़ मिट्टी भी वायु प्रदूषण का बड़ा स्रोत
गंगा व कोसी नदी किनारे बसे शहरों में हल्की-सी भी तेज हवा चलती है, तो धूलकण का गुब्बार उठाता है, जो शहर में बसे मुहल्लों में घुस कर इलाके को प्रदूषित बनाता है. इसके अलावा दिन-प्रतिदिन बढ़ रही गाड़ियों की संख्या और अनियोजित कारखाने भी हवा को प्रदूषित कर रहे हैं. प्रदूषण बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में प्रदूषण एक भूगौलिक समस्या है, जिस पर लगाम भी हम बिहारवासियों को ही लगानी होगी.