Post Corona Effect in Bihar : कोरोना को हराने वाले आ रहे टीबी की चपेट में, टीबी से मृत्युदर बढ़ने की आशंका, जानिये डॉक्टरों की राय

डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के इलाज में स्टेराइड देने की जरूरत पड़ती है. इससे मरीज में रोगों से लड़ने की ताकत कमजोर हो रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 4, 2021 10:05 AM

आनंद तिवारी , पटना. कोरोना को हराने वाले टीबी की चपेट में आ रहे हैं. जबकि कोरोना से पहले ये मरीज पूरी तरह से सेहतमंद थे.

इन्हें टीबी भी नहीं थी. डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के इलाज में स्टेराइड देने की जरूरत पड़ती है. इससे मरीज में रोगों से लड़ने की ताकत कमजोर हो रही है.

नतीजतन शरीर में पहले से निष्क्रिय टीबी का बैक्टीरिया सक्रिय हो रहा है. जानकारों की मानें तो कोरोना के कारण टीबी रोगियों की पहचान में देरी से मरीज इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.

टीबी रोगियों में मृत्युदर बढ़ने का अंदेशा : बीते साल की तुलना में नवंबर में 50 फीसदी कम टीबी मरीजों की पहचान हो पायी है. विशेषज्ञों के मुताबिक, जांच में देरी से टीबी रोगियों में मृत्युदर बढ़ने का अंदेशा है.

हर जिले के लिए सालाना लक्ष्य निर्धारित किया जाता है. 2018-19 में बिहार में निजी व सार्वजनिक क्षेत्र मिलाकर कुल 97,000 टीबी के मरीज चिह्नित किये गये थे.

वहीं जानकारों के मुताबिक नवंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक लगभग 50 हजार मरीज चिह्नित किये गये हैं. जबकि राज्य में अब तक करीब ढाई लाख से अधिक टीबी के मरीज अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं.

पोस्ट कोविड क्लिनिक में आ रहे हैं मरीज

मरीजों की सुविधा व बेहतर इलाज को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी कोविड मरीजों को टीबी जांच कराने का आदेश दे रखा है.

शहर के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच, एम्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल की पोस्ट कोविड क्लिनिक ओपीडी में अब तक करीब 40 से ज्यादा कोरोना विजेताओं में टीबी बीमारी की पुष्टि हो चुकी है.

अकेले पीएमसीएच के रेस्पेटरी मेडिसिन विभाग की ओपीडी में दो कोरोना विजेता में टीबी की पुष्टि हो चुकी है. जबकि पोस्ट कोविड ओपीडी में 10 से ज्यादा मरीजों में टीबी का पता चल चुका है.

शहर के अधिकतर मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 10 से 12 मरीज अलग-अलग बीमारी लेकर इलाज कराने आ रहे हैं.

अलर्ट रहने की जरूरत

पीएमसीएच टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ सुभाष चंद्र झा के मुताबिक कोविड निगेटिव होने के बाद भी अलर्ट रहें. बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और खांसी आने पर डॉक्टर की सलाह लें.

नशे से दूर रहें, तनाव से बचे. क्योंकि तनाव की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. इससे बैक्टीरिया हमला बोल सकते हैं. पौष्टिक भोजन लें, विटामिन सी की कमी शरीर में न होने दें. मौसमी फल खाएं.

Posted by Ashish Jha

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