बिहार में पोस्ट कोविड मरीजों में आ रही सांस फूलने की शिकायत, घर पर ऑक्सीजन लगाकर हो रहा इलाज
कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों को कई स्तरों पर मुसीबत झेलनी पड़ रही है. निगेटिव होने के बाद यानी पोस्ट कोविड मरीजों में सबसे अधिक फेफड़ों में फाइब्रोसिस की शिकायत आ रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिल रहे हैं, जिन्हें संक्रमण से जल्दी राहत नहीं मिली है. यानी 14 दिन से अधिक और 22 दिन तक संक्रमित रहे.
पटना. कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों को कई स्तरों पर मुसीबत झेलनी पड़ रही है. निगेटिव होने के बाद यानी पोस्ट कोविड मरीजों में सबसे अधिक फेफड़ों में फाइब्रोसिस की शिकायत आ रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिल रहे हैं, जिन्हें संक्रमण से जल्दी राहत नहीं मिली है. यानी 14 दिन से अधिक और 22 दिन तक संक्रमित रहे.
इससे फाइब्रोसिस बनती गयी. यानी फेफड़े की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती रहीं. वहीं, दूसरा कारण यह भी है कि कोविड वार्ड में मरीजों के इलाज के दौरान कुछ स्टेरायड दवाओं के इस्तेमाल से भी उनके फेफड़ों पर असर पड़ता है़
बड़ी संख्या में मरीज फाइब्रोसिस से पीड़ित
पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के फिजियोलॉजी विभागाध्यक्ष व चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ राजीव कुमार सिंह ने बताया कि पोस्ट कोविड मरीज इस समय बड़ी संख्या में फाइब्रोसिस से पीड़ित होकर आ रहे हैं. इनके दोनों फेफड़ों में फाइब्रोसिस मिल रही है या फिर कमजोरी, थकान और दमा के लक्षण मिल रहे हैं. हालांकि इलाज के दौरान वह तेजी से ठीक भी हो रहे हैं.
वहीं, कुछ ऐसे भी मरीज हैं या पहले से बीपी, शुगर या अन्य बीमारी से पीड़ित हैं और उनको फाइब्रोसिस हो रहा है तो घर पर ऑक्सीजन लगाकर उनका इलाज किया जा रहा है. डॉ राजीव ने बताया कि जल्दी दवा शुरू करने पर बीमारी आगे बढने से रोकी जा सकती है. फेफड़े की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं में सुधार किया जा सकता है. ऐसे में लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर इलाज शुरू करा देना चाहिए.
आइआइटी पटना में तीन दिन में 210 को टीका
आइआइटी पटना के सभी सदस्यों ने कोविड का टीका लिया. आइआइटी पटना के चिकित्सा समिति ने पूरे संकाय, कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों के टीकाकरण की जिम्मेदारी ली थी. इसी क्रम में 11 से 13 मई तक आइआइटी पटना में टीकाकरण शिविर लगाया गया.
तीन दिनों में कुल 210 लोगों को पहली खुराक दी गयी. इसमें छह लोग ऐसे थे जो 45 से ज्यादा उम्र के थे और बचे सभी 18 साल से ज्यादा उम्र के लोग शामिल हुए. संचालन पीएचसी बिहटा के अधिकारी डॉ कृष्ण कुमार और उनकी टीम ने किया.
Posted by Ashish Jha