बिहार में कोहरे और पाला गिरने से आलू और तिलहन की फसल हो सकती है बर्बाद, जानिए कैसे बचा सकते हैं पैदावार
डॉ. एस.के. सिंह ने बताया कि झुलसा रोग दो प्रकार के होते हैं. अगेती झुलसा और पछेती झुलसा. इस समय पछेती झुलसा की चपेट में आलू-टमाटर और तिलहन की फसल है. पछेती झुलसा आलू के लिए ज्यादा नुकसानदायक होता है.
पटना. बिहार में बीते दस दिनों से लगातार जारी कोहरा व पाला के कारण मौसमी सब्जियों के झुलसा रोग की चपेट में आने की आशंका कई गुना बढ़ गई है. शीतलहर और पाला गिरने से किसान ही नहीं कृषि वैज्ञानिक भी चिंतित हैं. इससे होने वाले नुकसान की चिंता अब किसानों को परेशान कर रही है. प्रोफेसर डॉ. एसके सिंह मुख्य वैज्ञानिक ( प्लांट पैथोलॉजी ) एवं सह निदेशक अनुसंधान डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर बिहार, ने बताया कि शीतलहर और पाला सबसे अधिक आलू -टमाटर और तिलहन के फसलों को प्रभावित करेगा. बिहार में ज्यादा ठंड पड़ने के कारण आलू, टमाटर, तिलहन समेत अन्य सब्जियों के फसल झुलसा बीमारी की चपेट में आ रहे है. इसका असर उत्पादन पर देखने को मिल सकता है.
पछेती झुलसा की चपेट में आलू और टमाटर की फसल
डॉ. एस.के. सिंह ने बताया कि झुलसा रोग दो प्रकार के होते हैं. अगेती झुलसा और पछेती झुलसा. इस समय पछेती झुलसा की चपेट में आलू-टमाटर और तिलहन की फसल है. पछेती झुलसा आलू के लिए ज्यादा नुकसानदायक होता है. इस बीमारी में पत्तियां किनारे से झुलसना शुरू होती है. जिसके कारण धीरे-धीरे पूरा पौधा झुलस जाता है. पौधों के ऊपर काले-काले चकत्ते दिखाई देते हैं, जो बाद में बढ़ जाता हैं और धीरे-धीरे पूरी बर्बाद हो जाती है.
जानें फसलों को कैसे प्रभावित करता है झुलसा रोग
डॉ. एस.के. सिंह ने बताया कि ज्यादा ठंड पड़ने से आलू और टमाटर के पौधों की ग्रोथ रुक जाती है. पाला और शीतलहर के कारण आलू और टमाटर की फसल पूरी तरह से चौपट हो सकती है. रात में फसलों के पेड़ व पत्तियों में जो ओस की बूंदे पड़ती हैं. तापमान गिरने से बाद में जम जाती हैं. इससे पौधों एवं पत्तियों के छिद्र (स्टोमेरा) बंद हो जाने से पौधे और पत्तियां धीरे-धीरे सूखने लगती हैं. इसी कारण आलू, टमाटर, बैंगन आदि फसलों के पत्तियों में झुलसा रोग लगने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है.
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गेहूं के लिए फायदेमंद
डॉ. एस.के. सिंह ने बताया कि अत्यधिक ठंड के कारण आलू और टमाटर की फसल को झुलसा रोग से बचाव के लिए रीडोमील एमजेड-78 नामक दवा दो ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए. इससे फसल रोग मुक्त हो जाएगी. जिन खेत के फसलों में रोग दिखाई दे रहा हो, उनमें किसी भी फफूंदनाशक दवा का छिड़काव तत्काल करें. वहीं कोहरा गिरने से कई फसलों के लिए फायदेमंद भी है. वहीं गेहूं का इस मौसम में पैदावार बढ़ेगा. जितनी ठंड बढ़ेगी उतना ही गेहूं की फसल के लिए अच्छा रहेगा.