भारत का आलू- प्याज (Potato Onion crisis in Nepal) इन दिनों नेपाल में काफी महंगे दाम पर बिक रहे हैं. नेपाल (जनकपुर) में भारतीय मुद्रा के हिसाब से आलू 25 से 30 एवं प्याज 40 रुपये प्रतिकिलो बिक रहे हैं. इसका सीधा असर रोजमर्रा के जीवन से लेकर होटलों पर भी पड़ रहा है. आलू और प्याज के महंगे होने के कारण नेपालियों की थाली से सब्जी गायब हो गए हैं. या फिर पहले की अपेक्षा कम हो गए हैं. होटलों व ढाबों पर समोसे या आलू-प्याज से बनी सब्जी तो काफी महंगी हो गयी है. नेपाल के व्यापारियों ने कहा कि सरकार ने पिछले महीने इन उत्पादों पर 13 प्रतिशत का मूल्य वर्धित कर (VAT) लगा दिया है. जिसके बाद उन्होंने इनका आयात बंद कर दिया है. अब इस मुद्दे पर नेपाल में विपक्षी सदस्य सरकार पर हमला बोल दिया और सरकार के इस फैसले को जनता विरोधी करार बता रही है.
भारत – नेपाल के बीच इन दिनों व्यापारिक, सामरिक व राजनायिक नजरिये से लगातार नये-नये आदेश जारी हो रहे हैं. इसका दोनों देशों के आम लोगों पर सीधा असर पड़ रहा है. भारत की करेंसी का नेपाल मे अवमूल्यन का मामला अभी तूल पकड़ चुका है तो नेपाल में भंसार के नये नियम को लेकर दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों के बाजार में मंदी का दौर जारी है. अब नेपाल सरकार के भारत से भेजे जा रहे आलू-प्याज पर नये सिरे से टैक्स लगाये जाने का असर सामने आने लगा है. इन दिनों नेपाल में आलू-प्याज की कीमत आसमान छू रही है. जानकारी के अनुसार नेपाल सरकार ने बीते 29 जून को अपना केंद्रीय बजट पेश किया. इसमें आलू-प्याज पर 13 फीसदी वैट लगा दिया है. इसके अतिरिक्त अग्रिम टैक्स व भंसार टैक्स भी शामिल है. कुल 27 फीसदी का टैक्स आलू-प्याज पर लग जाने से यह हाल हुआ है.
नेपाल सालों से भारत के आलू-प्याज पर मुख्य तौर पर निर्भर रहा है. यहां के आलू प्याज वहां के लोगों को अधिक पसंद हैं. या यूं कहें कि जिस प्रकार भारतीय आलू-प्याज के शौकीन हैं, उसी प्रकार नेपाली नागरिक भी. हाल के कुछ दिनों में संबंधों में आ रही खटास से आलू-प्याज का स्वाद भी कम होता जा रहा.
आलू-प्याज पर टैक्स लगाये जाने से एक ओर जहां नेपाली लोगों के लिए आलू प्याज खरीदना महंगा साबित हो रहा है, तो दूसरी ओर भारत से आलू प्याज की तस्करी अब व्यापक पैमाने पर होने लगी है. तस्कर सीधे रास्ते से लेकर पगडंडियों के रास्ते जमकर आलू-प्याज की तस्करी कर रहे हैं. जनकपुर बाजार के कपड़ा कारोबारी दीपक कुमार बताते हैं कि हाल के दिनों में बाजार में काफी उतार चढ़ाव हो रहा है. रुपये के अवमूल्यन होने से यहां की दुकानों में अब भारतीय ग्राहकों की कमी भी हो गयी है.
नेपाली बाजार वीरान लग रहे हैं. दूसरी ओर अब आलू-प्याज का कीमत भी आसमान छू रही है. जनकपुर बाजार मुख्यतौर पर भारत से आने वाले ग्राहकों पर ही निर्भर है. जब भारत से आये श्रद्धालुओं को यह पता चलता है कि अब भारतीय नोट की कीमत कम मिल रही है, तो वे खरीदारी से परहेज कर रहे हैं. इसी प्रकार होटल मालिक गौड़ीशंकर बताते हैं कि यहां मांस-मछली के शौकीन भारतीय काफी संख्या में आते हैं. आलू-प्याज की कीमत में बढ़ोतरी से होटल का कारोबार भी मंदा हो चुका है.
भारत से नेपाल जाने वाले आलू-प्याज का मुख्य रास्ता रक्सौल, सिरहा व भिठ्ठामोड़ है. यहां पर बड़ा भंसार कार्यालय है. इसके अलावे मधुबनी जिला को छूते हुए एक भी भंसार कार्यालय ऐसा नहीं है, जहां से व्यापार के लिए लोग आलू-प्याज ले जा सकें. ऐसे में यहां से यदि एक बोरा आलू भी नेपाल में ले जाया जाता है, तो वह सीधे तौर पर तस्करी माना जाता है. यह इन दिनों धड़ल्ले से हो रहा है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.