बिहार ने गरीबी की गिरावट में नया रिकाॅर्ड बनाया है. राज्य में गरीबी में गिरावट और संपन्नता बढ़ी है. यह दावा राज्य के योजना एवं विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र की उपेक्षा के बावजूद भी बिहार अपने दम पर आगे बढ़ रहा है. विकास के हर पैमाने पर राज्य आगे है. विशेष राज्य का दर्जा मिलता, तो बिहार देश के विकसित राज्यों की श्रेणी में आज खड़ा रहता. बिहार विशेष राज्य के दर्जे की मांग करता रहेगा. शुक्रवार को योजना एवं विकास मंत्री बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआइ) के मानक पर बिहार की बेहतर स्थिति पर आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए योजना एवं विकास मंत्री ने ये बातें कही.
बिहार के 2.25 करोड़ लोग गरीबी की सीमा से बाहर हुए
बिजेंद्र यादव ने कहा कि बिहार की स्थिति तेजी से बदल रही है राज्य ने गरीबी की गिरावट में रिकाॅर्ड बनाया है. उन्होंने कहा कि राज्य की गरीबी में गिरावट की बात मैं नहीं कहता, बल्कि इसका खुलासा नीति आयोग की रिपोर्ट में हुआ है. नीति आयोग की इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 – 16 से वर्ष 2019–21 की अवधि में पूरे भारत में 13.51 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये हैं, जबकि बिहार में अकेले 2.25 करोड़ लोग गरीबी की सीमा से बाहर हुए हैं. इस प्रकार पूरे देश में गरीबी रेखा से बाहर हुए व्यक्तियों में 16.65 फीसदी व्यक्ति बिहार राज्य से हैं. यह बिहार के लिए गौरव की बात है. यादव ने बताया कि विद्युत, संपर्क, स्वच्छ रसोई ईंधन, बैंक खाता खोले जाने के सूचकांकों पर बिहार राज्य की उपलब्धि देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है.
देश में गरीबी में सबसे अधिक गिरावट बिहार में दर्ज की गयी
विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुणीश चावला ने कहा कि देश में बिहार ने गरीबी में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की है. यहां गरीबी प्रतिशत वर्ष 2015–16 के 51.89 % थी, जो घटकर 33.76 % हो गया है. इस प्रकार बिहार राज्य में 18.13 % गरीबी कम हुई है जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है. उन्होंने कहा कि बिहार राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में 2015 –16 में 56 % गरीबी थी, जो घटकर 2019 – 21 में 36.95 % हो गयी है. इस प्रकार ग्रामीण गरीबी में 19.05 % की कमी हुई है. राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण क्षेत्र की गरीबी की गिरावट दर (32.59: से 19.28:) 13.31 % हुई है.
राज्य में प्रति व्यक्ति घरेलू उत्पाद बढ़कर वर्ष 2021–22 में 54383 रुपये हुआ
राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, विद्युत संपर्क महिला विकास, संरचना निर्माण, पशु संसाधन, आय के साधनों में विस्तार, बैंको में खाता खोलना इत्यादि में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. राज्य सरकार के द्वारा न्याय के साथ विकास की नीति के अंतर्गत कार्यान्वित सरकार के सात निश्चय पार्ट–1 एवं पार्ट–2 की योजनाएं, कृषि रोड मैप, शिक्षा की नवाचारी योजनाएं, स्वास्थ्य के गुणवत्तापूर्ण कार्यक्रमों, इत्यादि में राज्य में समानता आधारित सतत विकास को आयाम प्राप्त हुआ. इससे राज्य में प्रति व्यक्ति घरेलू उत्पाद वर्ष 2014–15 के 39341 रुपये से बढ़कर वर्ष 2021–22 में 54383 रुपये हो गई है.
अन्न, दुध, मछली और अंडा उत्पादन में जर्बदस्त बढ़ोतरी
राज्य में अन्न की उत्पादकता वर्ष 2005–06 के 1344 किलोग्राम प्रति हेक्टयर से बढ़कर 2021–22 में 3012 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गयी है. वर्ष 2017–18 में खाद्यान्न का उत्पादन 16530.8 हजार टन था, जो वर्ष 2021–22 में बढ़कर 18099 हजार टन हो गया है. वहीं, वर्ष 2011–12 में दूध का उत्पादन 66.25 लाख टन था, जो 2021– 22 में 121.19 लाख टन हो गया है. इसी प्रकार राज्य में अंडा का उत्पादन 2017–18 में 121.85 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2021– 22 में 306.66 करोड़ हो गया है. जबकि मछली का उत्पादन 2017–18 में 5.87 लाख टन था, जो 2021–22 में 7.62 लाख टन हो गया है.
राष्ट्रीय विकास दर से लगभग दोगुण से अधिक बिहार की विकास दर
बिहार राज्य वर्ष 2006–07 से तीव्र प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है.वित्तीय वर्ष 2008–09 में राज्य की वृद्धि दर 14.54 % थी, जो राष्ट्रीय वृद्धि दर 6.72 % से दोगुना से अधिक थी.वर्ष 2010–11 में राज्य की वृद्धि दर 15.03 %, वर्ष 2011–12 में 10.29 %, वर्ष 2016–17 में 8.9 %, वर्ष 2018–19 में 10.86 %, वर्ष 2019–20 में 10.5 % और वर्ष 2021–22 में 10.98 %विकास दर रही है.
देश के कुछ प्रमुख राज्य जहां गरीबी में गिरावट हुयी
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राज्य गिरावट % में
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बिहार 16.65
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मध्यप्रदेश 15.94
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उत्तर प्रदे 14.75
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ओड़िशा 13.66
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राजस्थान 13.55
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झारखंड 13.29