पटना. बिहार में शुक्रवार को बिजली की किल्लत रही. गर्मी को देखते हुए मांग बढ़ने से इन दिनों नियमित रूप से 6000 से 6200 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो रही है. लेकिन कम आवंटन के चलते देर शाम सप्लाइ घट कर मात्र 5000 मेगावाट के आसपास रह गयी. बिजली कंपनियों ने खुले बाजार से बिजली खरीद कर डिमांडसप्लाइ को मेंटेन रखने की कोशिश की, पर कोयला संकट के चलते बिजली उपलब्ध नहीं होने से यह संभव नहीं हो सका. अधिकतम 12 रुपये प्रति यूनिट देने के बावजूद खुले बाजार से बिजली नहीं मिली.
एनटीपीसी ने केंद्रीय यूनिटों से कम बिजली मिलने के दावे को गलत बताया है. एनटीपीसी ने कहा कि बिहार की बिजली कंपनियां घोषित क्षमता के मुकाबले कम बिजली ही ले पा रही हैं. रात आठ से सवा आठ बजे एनटीपीसी की घोषित क्षमता 4331 मेगावाट की थी, जिसके मुकाबले बिजली कंपनियां मात्र 4154 मेगावाट का शेड्यूल ही ले पा रही थीं. मतलब उपलब्ध बिजली के मुकाबले 150 मेगावाट कम बिजली शेड्यूल की जा रही थी.
बिजली कंपनियों के मुताबिक शुक्रवार को केंद्रीय यूनिटों से निर्धारित शेड्यूल से करीब 1500 मेगावाट बिजली का आवंटन कम हुआ. इससे खास कर ग्रामीण इलाकों में बिजली की कटौती झेलनी पड़ी. शुक्रवार को कांटी की एक यूनिट से 133 मेगावाट, नवीनगर की एक यूनिट से 525 मेगावाट, बरौनी की तीन यूनिटों से 377 मेगावाट और फरक्का की एक यूनिट से 101 मेगावाट बिजली नहीं मिली. कहीं ट्यूब लीकेज तो कहीं अन्य तकनीकी कारणों से बिजली आपूर्ति प्रभावित रही.
कोयले के संकट के चलते निजी क्षेत्र में जीएमआर कमलगंगा ने 170 मेगावाट और जिंदल पावर ने 128 मेगावाट कम बिजली आपूर्ति की. कुल मिला कर करीब 1500 मेगावाट आवंटन कम हुआ. बिजली कंपनियों ने राजधानी सहित सूबे के शहरी इलाकों में बिजली आपूर्तिनियमित रखने का प्रयास किया. लेकिन, ग्रामीण इलाकों में तीन से चार घंटे की बिजली कटौती झेलनी पड़ी.