बिहार, बंगाल, यूपी और झारखंड बिगाड़ सकता है 2024 के सत्ता का समीकरण, सीधी टक्कर में आ सकते चौंकाने वाले नतीजे

जानकारों की राय में यदि चुनावी मैदान में सीधी टक्कर हुई, तो चाैंकाने वाले परिणाम से इनकार नहीं किया जा सकता. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम को महागठबंधन भाजपा को सत्ताच्युत करने का सशक्त रोडमैप मान रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 27, 2023 4:28 AM

मिथिलेश,पटना. केंद्रीय सत्ता से भाजपा को पदच्युत करने की मुहिम बिहार, झारखंड, यूपी और पश्चिम बंगाल में कामयाब होती है, तो सत्ता का समीकरण बिगड़ सकता है. लोकसभा का चुनाव अगले साल मई में संभावित है. विपक्षी दलों को एकजुट करने के अभियान में लगे जदयू नेता व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि 50 से 100 सीटों के नतीजे भाजपा के उलट होते हैं, तो केंद्र की सत्ता बदल जायेगी. इस हिसाब-किताब का आधार इन चार राज्यों में लोकसभा की 176 सीटें हैं. इनमें से भाजपा के पास 108 सीटें हैं. लोकसभा की कुल 543 सीटों में भाजपा के 303 सांसद हैं, जबकि बहुमत के लिए 272 सांसदों का होना जरूरी है. ऐसे में भाजपा के पास बहुमत से केवल 31 सांसद अधिक हैं.

यूपी और बंगाल में कांग्रेस की हैसियत हो रही कम

नीतीश कुमार की रणनीति भाजपा के खिलाफ सभी गैर भाजपा दलों को एकजुट कर आमने-सामने की टक्कर देकर भाजपा की सीटों को कम करना है. जानकारों की राय में यदि चुनावी मैदान में सीधी टक्कर हुई, तो चाैंकाने वाले परिणाम से इनकार नहीं किया जा सकता. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम को महागठबंधन भाजपा को सत्ताच्युत करने का सशक्त रोडमैप मान रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह रहे हैं कि गैर भाजपाई दल एकजुट होकर चुनाव मैदान में जायें, तो परिणाम चाैंकाने वाला होगा. पश्चिम बंगाल को छोड़ कर बिहार, यूपी और झारखंड में दोनों राष्ट्रीय दलों को क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में जाना पड़ा है. वैसे, इन चारों राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों का दबदबा है. बिहार और झारखंड में कांग्रेस सरकार में हिस्सेदार है. वहीं यूपी और बंगाल में उसकी हैसियत लगातार कमजोर होती गयी है. इसके मुकाबले भाजपा ने क्रमिक रूप से अपनी ताकत में इजाफा किया है. पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव परिणाम से इसकी झलक मिलती है.

बिहार में छोटी पार्टियों के साथ भाजपा बनाना चाहती है बड़ा समीकरण 

बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए के भीतर जदयू और लोजपा भी रही थी. इस बार जदयू बाहर है और वह सात दलों के महागठबंधन के साथ खड़ा है. दूसरी ओर, भाजपा फिलहाल अकेली खड़ी है. उसके साथ लोजपा पारस गुट है. बिहार में भाजपा छोटी-छोटी पार्टियों को अपने साथ जोड़ कर बड़ा सामाजिक समीकरण निर्मित करना चाहती है. इसमें उपेंद्र कुशवाहा की रालोजद, लोजपा के चिराग गुट के अलावा, मांझी की हम और मुकेश सहनी की वीआइपी पर भी नजर है. नये प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी में सामाजिक समीकरण साधने की राजनीति अंतर्निहित है.

यूपी के बड़े समीकरण में नहीं दिख रही बसपा

यूपी में भाजपा के खिलाफ बनने वाले बड़े समीकरण में फिलहाल समाजवादी पार्टी और अन्य छोटी पार्टियां दिख रही हैं, पर बसपा नहीं है. उसकी भूमिका यूपी जैसे बड़े राज्य के लिए महत्वपूर्ण होगी क्योंकि लोकसभा की 80 सीटें इस एक राज्य से आती हैं. बंगाल में गैर भाजपा फ्रंट के लिए तृणमूल कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाना होगा. वहां कांग्रेस के साथ माकपा भी अपनी हिस्सेदारी चाहेगी. दूसरी ओर ,भाजपा अपनी मौजूदा सीटों की संख्या में बढ़ोतरी चाह रही है. वह भी नीतीश कुमार की मुहिम को करीब से देख रही है. उसे इस बात का भरोसा है कि यूपी की तरह विपक्ष की एकजुटता को भेद सकेगी और लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में काबिज होगी.

चार राज्यों में लोकसभा सीटों की संख्या

  • उत्तर प्रदेश -80

  • पश्चिम बंगाल-42

  • बिहार- 40

  • झारखंड-14

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