आशुतोष चतुर्वेदी, प्रधान संपादक
प्रभात खबर ने बिहार में अपनी यात्रा के 27 वर्ष पूरे कर लिये हैं. प्रभात खबर के आगे बढ़ने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ पाठकों को जाता है, जिन्होंने कई विकल्प होने के बावजूद प्रभात खबर के प्रति अपना स्नेह बनाये रखा. प्रभात खबर का यह सफर चेतनशील नागरिकों के सहयोग व समर्थन के बिना संभव नहीं था. अलग-अलग सामाजिक समूहों और बिहार की बेहतरी की आकांक्षा के साथ प्रभात खबर के सहयात्री रहे, बिहार के समाज के प्रति हम आभार व्यक्त करना चाहते हैं. इस सफर के दौरान अगर भारी कठिनाइयों और गहरे संकट से हम निकल सके, तो इसकी वजह हमारे शुभचिंतक रहे. सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता ही प्रभात खबर की पत्रकारिता की पहचान रही है.
सामाजिक बदलाव को प्रभात खबर ने प्रत्येक स्तरों पर पहचानने और उसे आवाज देने की कोशिश की है. विभिन्न समूहों की जिजीविषा से हमने जुड़कर उसे आकार देने का जतन किया है. प्रभात खबर ने पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए अभियान चलाया है. बिहार सरकार के बेटियों को पढ़ाने और दहेज के खिलाफ अभियान में हाथ बंटाया है. हम चाहते हैं कि बिहार हिंसा मुक्त समाज बने. प्रभात खबर की परंपरा रही है कि वह समाज के हर वर्ग की आवाज बने, जोर-शोर से उनके मुद्दे उठाये. हम जानते हैं कि एक अखबार के लिए पाठकों का प्रेम ही उसकी बड़ी पूंजी होती है. यह सच है कि मौजूदा दौर में खबरों की साख का संकट है.
टेलीविजन के दौर के बाद आज हम डिजिटल युग में चल रहे हैं. सोशल मीडिया के इस दौर में असली संकट सूचनाओं की सत्यता व तथ्य को लेकर है. सूचनाओं का प्रवाह इतनी तेजी के साथ हो रहा है कि हम उसके साथ बह जाते हैं. सोशल मीडिया के जरिए प्राप्त कई सूचनाओं को जिसे हम सही मान रहे होते हैं, दरअसल अनेक अवसरों पर वे तथ्यात्मक तौर पर फेक साबित हुईं हैं. हम यह नहीं कहते कि सोशल मीडिया पर सभी सूचनाएं भ्रामक या गलत ही होती हैं. हमारे कहने का आशय यह है कि अनेक मामलों में सूचनाओं की प्रामाणिकता संदिग्ध रही है. इसका एक बड़ा कारण सोशल प्लेटफार्म पर अनियंत्रित सूचना का फैलाव है. इस पर जांच परख की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे दौर में आज भी अखबार खबरों के सबसे प्रमाणिक स्रोत हैं. इस पर अवसर पर हम प्रभात खबर की इस यात्रा के सहभागी रहे पाठकों, विज्ञापनदाताओं और वितरक बंधुओं का दिल से आभार प्रकट करते हैं. उनके सक्रिय सहयोग के बगैर हम यहां तक नहीं पहुंच पाते.