अनिकेत त्रिवेदी, पटना. अपराध जगत की दुनिया में तेजी से बदलाव आ रहा है. बिहार के अपराधी भी ग्लोबल हो रही अपराध की दुनिया में भागीदार बन रहे हैं.
विदेशों व देश में मेट्रो शहरों के बाद अब बिहार में भी डार्कनेट के माध्यम से अपराध की घटनाओं को अंजाम देने का काम शुरू हो गया है.
सुपारी किलिंग, प्रतिबंधित दवाओं को मंगाना, ड्रग्स ऑर्डर, हवाला कारोबार जैसी घटनाओं को अंजाम देने के लिए इसका उपयोग होता है.
ऐसे में बढ़ते खतरे को देख कर बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई एक ऐसी टीम तैयार करने में लगी है, जो डार्कनेट, क्रैप्टो कैरेंसी, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से बढ़ते अपराध को पकड़ने का काम करेगी. आठ से 10 लोगों की विशेष टीम का गठन किया जा रहा है.
बिहार में भी लोग डार्कनेट का उपयोग कर रहे हैं. बीते दिनों में कुछ ऐसी घटनाएं आयी हैं, जिनमें लोगों ने कोरोना का प्लाज्मा तक इस डार्कनेट से ऑर्डर किया है. इसके अलावा चाइल्ड पॉर्नोग्राफी की खरीद भी डार्कनेट के माध्यम से की जा रही है.
हथियार खरीद का ऑर्डर भी इसके माध्यम से किया जाता है. इस सभी ऑर्डर की हुई वस्तुओं का पेमेंट क्रेप्टो कैरेंसी मसलन बिटक्वाइन आदि से किया जा रहा है.
फिलहाल भले ही इओयू में इसको लेकर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन पुलिस विभाग की विभिन्न खुफिया एजेंसियों ने इस खतरे से आगाह किया है.
दरअसल, डार्कनेट इंटरनेट की ऐसी दुनिया हैं, जिसका आमलोग सीधे उपयोग नहीं कर सकते हैं. इसके उपयोग के लिए विशेष लिंक, पासवर्ड की जरूरत होती है, जिसे आप डार्कनेट पर वेबसाइट बनाने वाले से ही ले सकते हैं.
इसके अलावा जब आप डार्कनेट का उपयोग करते हैं, तो आपके आइपी एड्रेस को कोई पकड़ नहीं सकता. डार्कनेट का उपयोग ओनियन ब्राउजर (गुगल क्रोम जैसा ब्राउजर) पर होता है.
इसमें जी-मेल, याहू मेल आदि के बदले सेक मेल और प्रोटॉन मेल का उपयोग होता है. कहा जाता है कि डार्कनेट पर दुनिया की सभी प्रतिबंधित चीजें उपलब्ध हैं. हवाला कारोबार का मुख्य माध्यम भी डार्कनेट ही है.
इओयू के साइबर विशेषज्ञ अभिनव सौरभ कहते हैं कि बिहार जैसे राज्यों में भी डार्कनेट के माध्यम से होने वाले अपराध का खतरा बढ़ रहा है.
धीरे-धीरे अपराधी इस डार्कनेट पर शिफ्ट हो रहे हैं. अगले तीन-चार सालों में अपराध वर्चुअल दुनिया के माध्यम से ही संचालित होगा. इसी को ध्यान में रख कर एक विशेष टीम का गठन किया जा रहा है.
Posted by Ashish Jha