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Prabhat Khabar EXCLUSIVE : मजदूरी के लिए बिहार से राजस्थान भेजे जा रहे हैं बच्चे, जानिये किस शहर से सबसे अधिक हो रहा पलायन

बिहार की बात है तो राज्य से भी बाल श्रम के लिए गरीब बच्चों को बाहर भेजने के मामले रुके नहीं है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक राजस्थान खास कर जयपुर व आसपास के क्षेत्रों में वर्ष 2018 -20 के बीच बिहार राज्य के विभिन्न जिलों के लगभग 922 बच्चों को रेस्क्यू कर लाया गया है.

अनिकेत त्रिवेदी, पटना. निर्भया कांड के बाद भले ही अन्य घटनाओं की तरह बाल श्रम कानून में बदलाव कर उसे और दंडात्मक बनाया गया हो, लेकिन बाल श्रम पर पूर्ण रूप से लगाम नहीं लग पाया है.

पिछड़े राज्यों के गरीब परिवार के बच्चों के साथ होने वाली घटनाओं मसलन, पारिवारिक काम के नाम पर अन्य राज्यों में भेज कर कड़े व कठोर काम करवाना, बगैर पगार के 12 घंटे से अधिक समय तक काम लेने जैसी घटनाओं के मामले में कमी नहीं अा रही है.

जहां तक बिहार की बात है तो राज्य से भी बाल श्रम के लिए गरीब बच्चों को बाहर भेजने के मामले रुके नहीं है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक राजस्थान खास कर जयपुर व आसपास के क्षेत्रों में वर्ष 2018 -20 के बीच बिहार राज्य के विभिन्न जिलों के लगभग 922 बच्चों को रेस्क्यू कर लाया गया है.

229 बच्चों को रेस्क्यू कर घर वापस लाया गया

अन्य जिलों की तुलना में गया जिला सबसे अधिक बाल श्रम से जुड़े तस्करों व काम के नाम पर बाहर भेजने वाले दलालों के निशाने पर रहा है. बीते तीन वर्षों में केवल जयपुर व अासपास के क्षेत्रों से ही गया जिले के 229 बच्चों को रेस्क्यू कर घर वापस लाया गया है.

इसके बाद समस्तीपुर जिले के 158 बच्चों को घर वापस लाया गया है. उसी प्रकार अररिया जिले के तीन, अरवल के दो, औरंगाबाद के दो, बेगूसराय के 35, दरभंगा के 53, पूर्वी चंपारण के चार, गोपालगंज के पांच, जहानाबाद के 40, कैमूर के सात, किशनगंज के तीन, कटिहार के 51, मधुबनी के 36, मुजफ्फरपुर के 96, नालंदा के 40, नवादा के 45, पटना के 36, पूर्णिया के नौ, रोहतास व सहरसा के चार-चार, सीतामढ़ी के 11 और वैशाली के 48 बच्चों को रेस्क्यू कर वापस लाया गया है.

कई विशेष उद्योगों में बच्चों की मांग अधिक

बाल श्रम के बच्चों के रेस्क्यू व पुर्नवास काम से जुड़े सुरेश कुमार बताते हैं कि कई विशेष उद्योगों में बच्चों की मांग अधिक होती है. चूड़ी फैक्टरी, कपास तोड़ने के काम, पटाखा बनाने जैसे कई काम हैं जिनमें छोटी उंगलियां विशेष रूप से अच्छा काम करती है. इन जगहों पर बच्चों को बगैर आराम के 12 घंटे से अधिक काम कराया जाता है. उनके साथ मारपीट भी होती है.

जनवरी में आने वाले हैं 94 बच्चे

जनवरी में जयपुर प्रशासन की मदद से और 94 बच्चे आने वाले हैं. समाज कल्याण के निदेशक राज कुमार ने वैशाली, गया, बेगूसराय, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, नवादा, जमुई, पूर्णिया, कटिहार, दरभंगा, जहानाबाद और पटना के जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक को पत्र लिख कर कहा है कि राजस्थान के जयपुर जिले के विभिन्न राजकीय गृहों में बाल श्रम से मुक्त कराये गये 94 बच्चे रह रहे हैं.

ऐसे में इनके घर का सत्यापन कर सूचित किया जाये, ताकि बच्चों को नियमानुसार उनके घर भेजा जा सके. इसमें वैशाली जिले के चार, गया जिले के 19, बेगूसराय के चार, समस्तीपुर के 17, मुजफ्फरपुर जिले के 10, नालंदा जिले के चार, जमुई के दो, पूर्णिया जिले के तीन, कटिहार जिले के 11, दरभंगा जिले के एक, पटना जिले के 15 और नवादा जिले के एक बच्चे की रिपोर्ट दी गयी है.

सीआइडी के एडीजी विनय कुमार ने कहा कि ऐसा नहीं कि केवल गया जिले से ही बच्चों को बाहर भेजा गया है, लेकिन अन्य जिलों की अपेक्षा यहां से जयपुर अधिक बच्चे भेजे गये हैं. गया से भेजने वाले लोगों का जयपुर से कनेक्शन आदि जैसी कई बातें होती हैं.

Posted by Ashish Jha

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