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Prabhat Khabar EXCLUSIVE : बिहार के इस यूनिवर्सिटी में अब फर्जी छात्र नहीं दे पायेंगे परीक्षा. छात्रों की पहचान के लिए क्यूआर कोड का होगा प्रयोग

दूसरे की परीक्षा देने वाले फर्जी छात्रों को पकड़ने के लिए टीएमबीयू इस बार क्यूआर कोड का प्रयोग करने जा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 10, 2021 1:09 PM

आरफीन, भागलपुर. दूसरे की परीक्षा देने वाले फर्जी छात्रों को पकड़ने के लिए टीएमबीयू इस बार क्यूआर कोड का प्रयोग करने जा रहा है.

अमूमन क्यूआर कोड का उपयोग प्रतियोगिता परीक्षा में किया जाता है. छात्रों के परीक्षा फॉर्म व एडमिट कार्ड पर क्यूआर कोर्ड का प्रयोग होेता है. परीक्षा में बैठे फर्जी छात्रों को क्यूआर कोड से पकड़ लिया जायेगा.

परीक्षा के दौरान वीक्षक कभी भी किसी के एडमिट कार्ड के क्यूआर कोड की स्क्रीनिंग कर छात्रों के पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. क्यूआर कोड से मूल छात्रों की पूरी जानकारी विवि कंप्यूटर में रहेगी. एडमिट कार्ड में फोटो बदलने के बाद भी फर्जी छात्र आसानी से पकड़े जायेंगे.

क्या है क्यूआर कोड

क्यूआर कोर्ड (क्विक रिग्पांस कोड) मैट्रिक्स बारकोड का एक प्रकार का ट्रेडमार्क है. बारकोड एक मशीन पठनीय ऑप्टिकल लेबल है, जो खुद से जुड़ी जानकारी मिनट भर में देती है. इससे उन चीजों की मूल जानकारी तुरंत मिल जाती है.

क्यूआर कोड से आसानी से पकड़े जायेंगे फर्जी छात्र

परीक्षा व रिजल्ट से जुड़े कार्य कर रही एजेंसी के प्रोजेक्ट मैनेजर अमित कुमार ने कहा कि क्यूआर कोड से मिनट भर में फर्जी छात्र परीक्षा में आसानी से पकड़े जायेंगे. क्यूआर कोड को अपने मोबाइल से स्कैन कर मूल छात्र की पूरी जानकारी वीक्षक प्राप्त कर सकते हैं.

विवि का यह पहला प्रयोग होगा : डीएसडब्ल्यू

डीएसडब्ल्यू प्रो राम प्रवेश सिंह ने कहा कि विवि क्यूआर कोड का पहली बार प्रयोग करने जा रहा है. इस बार पार्ट वन परीक्षा के फॉर्म व एडमिट कार्ड में क्यूआर कोड की व्यवस्था की गयी है, ताकि विवि फर्जी छात्रों को पकड़ सके. परीक्षा कदाचार मुक्त व शांतिपूर्ण कराया जा सकेगा.

विश्वविद्यालय में पकड़ाते रहे हैं फर्जी छात्र

वर्ष 2017 में पूर्व कुलपति प्रो एनके झा के कार्यकाल में कई संबद्ध कॉलेजों के फर्जी छात्रों को पकड़ा गया था. एक अधिकारी ने बताया कि पार्ट वन टेबुलेशन में विवि में छात्रों का कोई दस्तावेज नहीं था. उन छात्रों ने परीक्षा दी व उनकी कॉपी में अंक अंकित कर दिया गया था. पूर्व कुलपति ने मामले की जांच करायी, तो फर्जी छात्रों का खुलाया हुआ था. काॅलेजों ने भी अपना छात्र मानने से इंकार कर दिया था.

Posted by Ashish Jha

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