Bihar News: साइबर क्राइम के खिलाफ प्रभात खबर का जन आंदोलन, एक्सपर्ट ने कई शहरों में बताए ठगी से बचने के तरीके

Bihar News: लोग दिन ब दिन साइबर फ्रॉड के चंगुल में फंसते जा रहे हैं. दिसंबर 2024 में साइबर अपराध की घटना के रिकॉर्ड ने झकझोर रख दिया. साइबर अपराध से जुड़े लगभग हजार मामले में बिहार के साइबर थाना में दर्ज कराये गये हैं. ज्यादातर मामले लाखों रुपये ठगी से जुड़े हैं. इससे बचने के लिए प्रभात खबर ने जन आंदोलन कार्यक्रम का आयोजन करवाया. इसके माध्यम से एक्सपर्ट्स में साइबर फ्रॉड से बचने के लिए कई अहम उपाय बताए.

By Paritosh Shahi | January 29, 2025 10:13 PM

Bihar News: साइबर क्राइम के बढ़ते ग्राफ पर लगाम लगाने के लिए बिहार के अग्रणी दैनिक अख़बार में शुमार प्रभात खबर ने बिहार के कई शहरों में जागरूकता के कार्यक्रम चलाए. ‘साइबर अपराध के खिलाफ प्रभात खबर का जन आंदोलन’ अभियान की शुरुआत बुधवार को मौलाना मजहरुल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय में हुई. पटना साइबर थाने के पुलिस इंस्पेक्टर श्याम नंदन यादव ने कहा कि आप ठान लें कि कभी भी अनजान कॉल या मैसेज पर ओटीपी शेयर नहीं करेंगे. अगर आप साइबर ठगी के शिकार हो गये हैं तो तुरंत 1930 पर कॉल करके अपनी शिकायत कर सकते हैं. अगर ठगी के शिकार होने के 30 मिनट के अंदर शिकायत दर्ज करवाते हैं तो, संदिग्ध ट्रांजेक्शन रुक सकता है. ओटीपी शेयर या कोई लिंक पर क्लिक न करें. कार्यक्रम का संचालन एनएसएस समन्वयक डॉ निखिल आनंद गिरि ने किया. मौके पर प्रभात खबर के स्टेट हेड अजय कुमार, स्थानीय संपादक रंजीत प्रसाद सिंह, राजनीतिक संपादक मिथिलेश कुमार, डॉ मो जमशेद के साथ अन्य लोग मौजूद थे.

ओटीपी किसी से न करें शेयर

पुलिस इंस्पेक्टर श्याम नंदन यादव ने बताया कि अगर जागरूक होंगे तो आप अपने बैंक अकाउंट, मोबाइल, लैपटॉप को हैक होने से बचा सकेंगे. साथ ही, साइबर स्कैम के कई अन्य खतरों से बचे रहेंगे. ओटीपी ऐसा सेफ्टी फीचर है जो किसी खाते, वेबसाइट या एप में लॉगिन करने या किसी महत्वपूर्ण लेन-देन को वेरीफाई करने के लिए भेजा जाता है. इसे कभी भी किसी अन्य के साथ शेयर नहीं करना चाहिए. यदि आपसे कोई अनजान ओटीपी मांगता है, तो उसे बिल्कुल साझा न करें. क्योंकि यह खतरे का अलार्म है. ऑथेंटिकेशन एप का उपयोग करें.

नंबर सर्च करने में बरतें सावधानी

वहीं, एसआइ धर्मेंद्र मंडल ने कहा कि गूगल पर कस्टमर केयर व अन्य किसी का नंबर सर्च करने में सावधानी बरतनी चाहिए. क्योंकि इस सर्च इंजन के टॉप लिंक पर दिख रहे नंबर साइबर ठगों के हो सकते हैं. गूगल सर्च पर कभी भी बैंक, कंपनी का हेल्पलाइन, कस्टमर केयर नंबर सर्च न करें. इसके बजाय संबंधित कंपनी की वेबसाइट पर खोज करें. किसी भी बैंक या कंपनी की वेबसाइट का यूआरएल अच्छे से जांच लेना है. हुबहू वेबसाइट में, न दिखने वाले डॉट, डैश, स्लैश, अंडर स्कोर जैसे माइक्रो लेवल का फर्क होता है. एड्रेस बार में कंपनी की स्पेलिंग देखनी है. उन्होंने उदाहरणों के साथ साइबर अपराध के विभिन्न रूपों को समझाया और सुरक्षा उपायों पर चर्चा की.

साइबर अपराध के खिलाफ प्रभात खबर का जन आंदोलन

कोई भी जानकारी साझा करने से बचें

साइबर एक्सपर्ट अभिनव सौरभ ने कहा कि सोशल मीडिया पर जानकारी सार्वजनिक करने से साइबर अपराधियों को मौका मिल सकता है. इसलिए सोशल मीडिया में संवेदनशील जानकारी साझा करने से बचें. कभी भी अपनी जन्मतिथि, पता, फोन नंबर व बैंक खाते की जानकारी सोशल मीडिया पर न दें. अपराधी इन जानकारियों का इस्तेमाल आपकी पहचान चुराने में कर सकते हैं. सोशल मीडिया प्रोफाइल की सेटिंग ऐसी रहे ताकि करीबी दोस्त ही आपकी जानकारी देख सकें. ध्यान रखना है कि आपका सोशल मीडिया प्रोफाइल पब्लिक (सार्वजनिक) न रहे कि उसे कोई भी देख सके. शादी के रिश्ते और जॉब के लिए अप्लाई करते हुए भी प्रोफाइल में बहुत अधिक जानकारी नहीं देनी है. साइबर अपराधी पर्सनल जानकारी हासिल कर उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी संदिग्ध ट्रांजेक्शन को रोकने के लिए 1930 पर कॉल करके 30 मिनट के भीतर अकाउंट से ट्रांजेक्शन रोक सकते हैं.

ध्यान दें- बैंक या बिजली वाले कभी भी आपको फोन नहीं करते

मोबाइल पर केवाइसी की कॉल, एसएमएस आये तो इग्नोर करना है. ज्यादातर यूजर्स को ऐसे मैसेज आते हैं, जिसमें कहा जाता है कि उनका डिजिटल वॉलेट या बैंक एकाउंट केवाइसी अपडेट न होने के कारण ब्लॉक कर दिया गया है. साइबर ठग कॉल के दौरान प्ले स्टोर में जाकर टीम व्यूयर, क्विक या एनी डेस्क एप डाउनलोड करवा सकते हैं. इसमें सावधानी बरतनी चाहिए. बैंक कभी भी फोन पर केवाइसी के लिए कॉल नहीं करता है. केवाइसी प्रक्रिया आमतौर पर ग्राहक की पहचान सत्यापित करने के लिए की जाती है. यह फोन पर नहीं होती है.

अनजान नंबर से विडियो कॉल रिसीव नहीं करें

सेक्सटॉर्शन की कई साइबर घटनाओं सामने आयी है. अनजान नंबर से आने वाले मैसेज, ऑडियो और वीडियो कॉल से बचना होगा. इसमें आपत्तिजनक तस्वीरें, वीडियो या जानकारी लेकर धमकाया जाता है. पैसों की डिमांड की जाती है. अगर इस तरह की घटना के शिकार आप होते हैं तो मोबाइल बंद कर दें. पैसे की डिमांड करने पर पैसा बिलकुल न दें. वह तस्वीरों व विडियो को वायरल करने की धमकी देगा, लेकिन इसे इग्नोर करें और कॉल करने वाले को तुरंत ब्लॉक करें. स्पैम या अनचाहे कॉल्स से बचने के लिए कॉल को ब्लॉक करने का विकल्प देता है. अनचाहे कॉल्स से बचने के लिए डीएनडी मोड ऐक्टिव करें. किसी अनजान से वीडियो कॉल में वीडियो के साथ डेटा ट्रांसफर का भी खतरा है.

जॉब फिशिंग में नहीं फंसे

इमेल स्पूफिंग यानी किसी बड़ी कंपनी के इमेल से मिलते-जुलते फॉरमैट में इमेल आइडी बनाया जाता है. साइबर अपराधी इम्प्लॉयमेंट डिटेल्स को सोशल मीडिया लिंक्डइन, फेसबुक,इंस्टाग्राम आदि से चोरी करते हैं. असली जैसी दिखने वाले नकली इमेल आइडी से जॉब ऑफर आता है. फेक ऑफर लेटर भी भेजा जाता है. तब तक इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आपकी कई निजी जानकारियां जैसे पता, पास्ट इम्प्लॉयमेंट, अकाउंट स्टेटमेंट आदि ले लिया जाता है. रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर कुछ मामूली पैसे ऑनलाइन जमा कराये जाते हैं. उसके लिए जो लिंक दिया जाता है, वह मैलवेयर लिंक होता है जो पेमेंट करते वक्त सारी बैंकिंग डिटेल्स और पासवर्ड कैप्चर कर लेता है. इसलिए किसी भी इमेल या मैसेज से आये अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करना है. वेबसाइट अड्रेस को सही से चेक करें.

डिजिटल अरेस्ट जैसा कुछ भी नहीं होता

डिजिटल अरेस्ट साइबर धोखाधड़ी का तरीका है. इसमें जालसाज पुलिस, खुफिया अफसर बनकर फोन (या ऑनलाइन कम्यूनिकेशन से) गिरफ्तार करने का झूठा दावा करते हैं. मकसद पीड़ित को यह यकीन दिलाना है कि वह किसी अपराध में शामिल है और आखिर में उससे बड़ी रकम ऐंठते हैं. इस तरह के कॉल आये तो पहले फोन काट कर अपने कुछ सोचे. क्योंकि पुलिस कभी भी कॉल नहीं करती है. इसके बाद अपने परिवार से फोन पर बात करें. आपको ऐसे कॉल आएं तो डरें नहीं. जिन नंबरों से सीबीआइ, इडी, पुलिस के नोटिस भेजे गये हों, उन नंबरों को ब्लॉक करें. परिवार, प्रॉपर्टी, जॉब, बिजनेस, बैंक, क्रेडिट कार्ड जैसी कोई सूचना नहीं देनी है.

बिजली नहीं कटेगा

बिल अपडेट न होने के कारण आज रात बिजली कनेक्शन कट जायेगा. यह कॉले आये तो समझ जायें कि यह साइबर फ्रॉड का है. मैसेज व कॉल को इग्नोर करें. बिजली कंपनी के एसएमएस को इग्नोर करें. वह अब खुद देख सकते हैं.

सोशल मीडिया पर प्रोफाइल पब्लिक करने से करें परहेज

सोशल मीडिया पर जानकारी सार्वजनिक करने से साइबर अपराधियों को मौका मिल सकता है. इसलिए सोशल मीडिया में संवेदनशील जानकारी साझा करने से बचें. सोशल मीडिया प्रोफाइल की सेटिंग ऐसी रहे ताकि करीबी दोस्त ही आपकी जानकारी देख सकें. जिन्हें आप नहीं जान रहें उन्हे सब कुछ बताने की कोई जरूरत नहीं है. आपका सोशल मीडिया प्रोफाइल पब्लिक (सार्वजनिक) न रहे कि उसे कोई भी देख सके.

गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च करने से बचें

गूगल पर कस्टमर केयर या अन्य किसी का नंबर सर्च करने में सावधानी बरतनी है. क्योंकि इस सर्च इंजन के टॉप लिंक पर दिख रहे नंबर साइबर ठगों के हो सकते हैं. कंपनी की वेबसाइट का यूआरएल अच्छे से जांच लेना है. हुबहू वेबसाइट में, न दिखने वाले डॉट, डैश, स्लैश, अंडर स्कोर जैसे माइक्रो लेवल का फर्क होता है. एड्रेस बार में कंपनी की स्पेलिंग देखनी है.

विद्यार्थियों ने कहा- साइबर फ्रॉड से बचाव का प्रभात खबर ने दिया उपाया

  • साइबर फ्रॉड से बचाव और इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी मिली. एक्सपर्ट की ओर से दिये गये सलाह को हमेशा याद रखेंगे- सुमित कुमार
  • सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करने और अहम जानकारी साझा करने से होने वाली वित्तीय जोखिम के बारे में जानकारी हासिल हुई. इससे बचाव के विभिन्न तरीके के बारे में भी जानकारी मिली- मो. महफूज
  • बैंक या आधार संबंधी जानकारी को गुप्त रखने और फ्रॉड कॉल से बचाव और समझ को विकसित करने में इस अभियान ने काफी मदद किया- शिवानी कुमारी
  • प्रभात खबर को इस तरह के जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के लिये धन्यवाद देता हूं. युवा पीढ़ी सबसे अधिक साइबर फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं या इसके जाल में फंस रहे हैं. – आरजू खान

मुजफ्फरपुर में क्या बोले साइबर एक्सपर्ट

साइबर अपराध के प्रति लोगों को जागरूक करने और बचाव की सावधानी बरतने के उद्देश्य से प्रभात खबर ने बुधवार को नॉर्थ बिहार चैँबर ऑफ कॉमर्स के सभागार में साइबर अपराध के खिलाफ जन आंदोलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. एसएसपी सुशील कुमार ने कहा कि साइबर अपराध के जाल में हम नहीं फंसे, इसके लिए जागरूकता जरूरी है. हमें यह ध्यान रखना है कि अनजान लिंक को नहीं खोले और बिना पहचान के व्हाटस्एप कॉल को रिसीव नहीं करें. सिटी एसपी विश्वजीत दयाल ने कहा कि साइबर दुनिया में जो दिखता है, वह सच नहीं होता, इसलिए बैंक या पुलिस अधिकारी द्वारा कॉल आने की बात कहने पर, विश्वास नहीं करें. पहले इसकी तहकीकात करें.

साइबर फ्रॉड से बचने के लिए जागरूक करते एक्सपर्ट

नये तरीके डिजिटल अरेस्ट पर लोगों को किया जागरूक

साइबर एक्सपर्ट अनिकेत पीयूष ने आजकल साइबर अपराध नये तरीके डिजिटल अरेस्ट पर लोगों को जागरूक किया. डीएसपी सीमा कुमार ने कहा कि अगर आप साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस गए हैं तो साइबर थाना आएं. बिना एफआइआर आपकी समस्या का समाधान होगा. नॉर्थ बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष श्याम सुंदर भीमसेरिया ने कहा कि व्यवसायियों के खाते में अगर कहीं से राशि आ जाती है तो अकाउंट फ्रिज कर दिया जाता है. इससे व्यवसायियों को परेशानी होती है. पुलिस अधिकारियों ने इसके समाधान का भरोसा दिलाया. कार्यक्रम में काफी संख्या में व्यवसायी, प्राध्यापक और विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों की भागीदारी रही.

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भागलपुर में क्या बोले साइबर एक्सपर्ट

इंस्पेक्टर अकील अहमद ने कहा कि ठगी मामले को लेकर जांच की जा रही है. इसमें ज्यादातर सिम बंगाल के सामने आ रहे हैं. इसी सिम से साइबर अपराध किये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मामले को लेकर शहर में सिम बेचने वाले दुकानदारों को भी दिशा-निर्देश दिये गये हैं. अगर साइबर फ्रॉड की घटना किसी के साथ होती है, तो इसकी जानकारी अविलंब डायल 1930 पर दें. ताकि फ्रॉड की गयी राशि को वापस लाने का प्रयास किया जा सके. उन्होंने साइबर ठगी से बचने के लिए कई महत्वपूर्ण जानकारी भी दी.

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सोशल साइट पर कोई काम समझ-बूझ कर करें

बरारी थानाध्यक्ष बिट्टू कुमार कमल ने कहा कि साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूक होने की जरूरत है. सोशल मीडिया पर अपनी महत्वपूर्ण डाटा की जानकारी नहीं दें. ऐसे में साइबर फ्रॉड होने की संभावना बढ़ जाती है. गूगल, फेसबुक पर कोई काम भी करें, तो समझ-बूझ कर करे. साइबर अपराध के शिकार हो जाते हैं, तो तुंरत थाना को सूचना दें.

पब्लिक वाईफाई का उपयोग करने से बचें

ट्रिपल आइटी कंप्यूटर साइंस विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि पब्लिक वाईफाई का उपयोग करने से बचें. अक्सर देखा जाता है कि फ्री में पब्लिक वाईफाई का उपयोग करने के दौरान तेजी से सोशल मीडिया का उपयोग किया जाता है. कुछ लोग नये-नये एप डाउनलोड करते हैं. उसी वाईफाई से कुछ जल्दबाजी में पैसे भेजते हैं. जबकि पब्लिक वाईफाई पर साइबर अपराधियों की कड़ी नजर रहती है. इस दौरान उस समय पैसे का लेन-देन होता है. हाईकर्स तुंरत डमी एप बनाकर सूचना संबंधित एप काे भेजते हैं. अगर आप उस एप को खोलते हैं, तो साइबर ठगी के शिकार हो सकते हैं.

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