पटना. जनता दल यूनाइटेड ने प्रगति मेहता को पार्टी प्रदेश महासचिव पद से हटा दिया है. साथ ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया है. पार्टी के अंदर बहुत दिनों बाद इस प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है. दरअसल प्रदेश महासचिव प्रगति मेहता पार्टी की विचारधारा से विपरीत बयानबाजी कर रहे थे. पिछले कुछ दिनों से पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने का आरोप भी उनपर लग रहा था. इसको लेकर जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने प्रदेश महासचिव प्रगति मेहता के खिलाफ अनुशासनात्मक करवाई की है.
जेडीयू प्रदेश महासचिव प्रगति मेहता पार्टी से निष्कासित
उमेश कुशवाहा ने प्रगति मेहता को पार्टी के सभी पदों से पदमुक्त कर छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है. प्रगति मेहता ने जातीय गणना की रिपोर्ट को लेकर भी सवाल खड़ा किया था. प्रगति मेहता ने जातीय गणना की रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भी लिखा था और धानुक जाति की गणना फिर से कराने की मांग की थी. इसको लेकर पार्टी के अंदर उनके खिलाफ काफी नाराजगी थी. पार्टी की ओर से कार्रवाई का बड़ा कारण यही माना जा रहा है. ऐसे पिछले काफी समय से प्रगति मेहता पार्टी कार्यालय में दिखे भी नहीं है. जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा की तरफ से सोमवार को निष्कासन का पत्र जारी किया गया है.
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जातीय गणना की रिपोर्ट को लेकर खड़ा किया था सवाल
इधर, प्रगति मेहता के करीबी लोगों का कहना है कि सीतामढ़ी के सांसद सुनील कुमार पिंटू भी लगातार पार्टी के विचारधारा के विरुद्ध जाकर बयान दे रहे हैं. जातीय गणना पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, यहां तक की मीटिंग भी कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद सुनील कुमार पिंटू पर जदयू के तरफ से अब तक कोई एक्शन नहीं हुआ है. पार्टी के तरफ से बड़े नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से हमेशा बचा जाता है, लेकिन संगठन में निचले पद पर काम कर रहे नेताओं को पार्टी से निष्कासित करने में जदयू के शीर्ष नेता कोई मौका छोड़ते नहीं है.