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प्रणब मुखर्जी को भागलपुर से था लगाव, दिया था संदेश- मिल कर रहें

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भागलपुर से गहरा लगाव था. खासकर साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्राय: आना होता था. प्रणब मुखर्जी को लेकर बांग्ला समाज के प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि वे भागलपुर दो बार आये थे और यहां के लोगों के बीच कला-संस्कृति व साहित्य रचना के प्रति जोश भी भरा था.

दीपक राव, भागलपुर : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भागलपुर से गहरा लगाव था. खासकर साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्राय: आना होता था. प्रणब मुखर्जी को लेकर बांग्ला समाज के प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि वे भागलपुर दो बार आये थे और यहां के लोगों के बीच कला-संस्कृति व साहित्य रचना के प्रति जोश भी भरा था. सभी को एकता का पाठ पढ़ाते हुए कहा था कि एक रहें और नेक रहें.

बंगीय साहित्य परिषद के कार्यक्रम में हुए थे शामिल

बंगीय साहित्य परिषद के सचिव अंजन भट्टाचार्य ने कहा कि 1999 में 25 दिसंबर को नवयुग विद्यालय परिसर में तीन दिवसीय निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन का शुभारंभ हुआ था. उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि आमलोगों का परिचय, उनके स्थान से होता है. वह भी जब कहीं बाहर जाते हैं, वहां दूसरे लोग इसी क्षेत्र के मिल जायें तो उनका जुड़ाव प्रगाढ़ हो जाता है. चाहे प्रदेश स्तर पर हो या देश स्तर पर. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहेश बागची ने बताया कि इससे पहले वे जुलाई 1992 में बंगीय साहित्य परिषद में पधार चुके हैं.

लेखिका मांती मुखर्जी को किया था पुरस्कृत

भागलपुर कालीबाड़ी के समीप की लेखिका मांती मुखर्जी को बनफूल शताब्दी समारोह के दौरान पार्थ सारथी नृत्य नाटिका की रचना और निर्देशन के लिए प्रणब मुखर्जी ने अपने हाथों पुरस्कृत किया था. कालीबाड़ी कमेटी के परिमल कांसबनिक ने बताया कि प्रणब मुखर्जी का भागलपुरवासियों से खास लगाव था. खासकर यहां की कला-संस्कृति को बढ़ावा देते थे.

posted by ashish jha

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