चाणक्य से चंद्रगुप्त की भूमिका में आयेंगे प्रशांत किशोर, मगध फतह से करेंगे शुरुआत, 5 को प्रेस कान्फ्रेंस

पीके के नाम से प्रख्यात रणनीतिकार प्रशांत किशोर अपनी भूमिका बदल रहे हैं. भारतीय राजनीति में चाणक्य माने जानेवाले पीके अब चंद्रगुप्त की भूमिका में आने जा रहे हैं. इस भूमिका में आने की घोषणा उन्होंने खुद की है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 2, 2022 4:08 PM
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पटना. पीके के नाम से प्रख्यात रणनीतिकार प्रशांत किशोर अपनी भूमिका बदल रहे हैं. भारतीय राजनीति में चाणक्य माने जानेवाले पीके अब चंद्रगुप्त की भूमिका में आने जा रहे हैं. इस भूमिका में आने की घोषणा उन्होंने खुद की है. वैसे पांच मई को पटना में एक प्रेस कान्फेंस के माध्यम से अपनी अगली रणनीति और भूमिका का वो विस्तार से खुलासा करेंगे.

फिलहाल मीडिया से दूर हैं पीके 

1 मई की दोपहर में पटना पहुंचे प्रशांत किशोर अब अपनी पार्टी लांच करने की तैयारी कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि राजधानी पटना के पॉश इलाके में उनका ऑफिस तैयार हो गया है. इस ऑफिस को सक्रिय भी कर दिया गया है. पटना में उनका तीन फ्लोर का ऑफिस बन कर तैयार है, लेकिन इसकी अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पायी है. यहां तक कि पटना एयरपोर्ट पर उनके लैंड करने की अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है, वहीं प्रशांत किशोर फिलहाल मीडिया के कैमरों में भी कैद नहीं हो सके हैं.

सियासी गलियारे में चर्चा तेज

प्रशांत किशोर पटना प्रवास पर हैं. वो अपनी नयी पार्टी लांच करने की तैयारी में हैं. इस बात की चर्चा से सियासी माहौल बहस मय हो चुका है. उपमुख्यमंत्री रेनू देवी ने प्रशांत किशोर के सक्रिय राजनीति में आने और नयी पार्टी बनाने के सवाल पर कहा कि पार्टी तो कोई भी बना सकता है. जनता के हित में काम करने वाले से जनता जुड़ते हैं. वो आयें और जनता से जुड़ें. उनके या किसी के आने से बिहार में राजग या भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा है. हमारा जनाधार मजबूत है और जनता को हमारे नेतृत्व पर भरोसा है.

पीके को बड़ा संघर्ष करना पड़ेगा

इधर, जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव ने बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति में अच्छे लोगों की जरूरत है. पप्पू यादव ने कहा कि बिहार की राजनीत में जाति के समीकरण का बड़ा घालमेल है. ऐसे में पीके को बड़ा संघर्ष करना पड़ेगा. पप्पू यादव ने कहा कि राजनीति में ऐसे लोगों को आगे आना चाहिए. बिहार की राजनीति में पिछले 25-30 वर्षों से काबिज नाकारे लोगों की जगह अच्छे लोग आयें तो उनका स्वागत है.

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