पटना के अधिकतर स्कूलों में दिसंबर के दूसरे सप्ताह से प्री-नर्सरी, नर्सरी व एलकेजी में एडमिशन के लिए फॉर्म मिलना शुरू हो जायेगा. अलग-अलग स्कूलों में सीटों के अनुसार ही एडमिशन लिया जायेगा. एलकेजी में एडमिशन के लिए अभिभावकों की पहली पसंद शहर के मिशनरी स्कूल होते हैं. इन स्कूलों में एडमिशन के लिए बच्चों के साथ-साथ खुद अभिभावक भी तैयारी में लगे हैं. एडमिशन की राह को आसान बनाने को लेकर संत जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल की प्राइमरी प्रभारी सिस्टर सरिता कहती हैं, अभिभावकों को केवल फॉर्म भरने की प्रक्रिया ही नहीं, बल्कि बच्चों की पर्सनालिटी ग्रूमिंग पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
फॉर्म भरने के बाद होता है इंटरेक्शन सेशन
शहर के कई ऐसे स्कूल हैं, जहां एडमिशन के लिए हजारों की संख्या में अभिभावक फॉर्म भरते हैं. फॉर्म भरने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद स्कूलों में इंटरेक्शन सेशन आयोजित की जाती है. इसमें बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों से भी स्कूल के शिक्षक रू-ब-रू होते हैं. इसमें शिक्षक बच्चों के अनुशासन, एटीट्यूड, नॉलेज और बातचीत के अंदाज पर ही उनका सेलेक्शन करते हैं. इसलिए बच्चों की पर्सनालिटी ग्रुमिंग पर ध्यान देने की जरूरत है. यही चीज एडमिशन के समय भीड़ से उन्हें अलग करेगा और इससे मनचाहे स्कूल में दाखिला संभव हो पायेगा.
इंटरव्यू नहीं, बच्चों से होता है इंटरैक्शन
सिस्टर सरिता का कहना है कि नर्सरी में एडमिशन कराने वाले स्टूडेंट्स की उम्र तीन प्लस होती है. इस उम्र में हम बच्चे का इंटरव्यू नहीं, उससे इंटरैक्शन करते हैं. उम्र के हिसाब से उसकी समझ कैसी है, वह बोल पा रहा है या नहीं. चीजों को पहचान पा रहा है या नहीं, हम एडमिशन से पहले यही देखते हैं. ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि बच्चे को बेसिक जानकारियां हों. कह सकते हैं कि बच्चों को अपने आसपास की चीजों के बारे में जानकारी हो. जैसे वह ऑब्जेक्ट, कलर और जानवरों की पहचान कर ले.
इंटरैक्शन में बोलने के अंदाज पर रहती है नजर
स्कूलों में एडमिशन से पहले बच्चों और अभिभावकों के इंटरेक्शन सेशन में शिक्षकों की नजर बच्चों के बोलने के अंदाज पर सबसे अधिक होती है. वे इस बात पर भी ध्यान देते हैं कि बच्चे कितने पॉजिटिविटी के साथ पूछे गये सवालों का जवाब देते हैं. इसके साथ ही बच्चों के अनुशासन और सकारात्मक एटीट्यूड भी उन्हें भीड़ से अलग बनाती है. अभिभावक बच्चों को यह भी सीख दें कि शिक्षकों के सामने जाने पर उन्हें विश करने और अनुमति लेने के बाद ही क्लास के अंदर प्रवेश करें. अगर इंटरैक्शन के समय शिक्षक बच्चों को टॉफी देते हैं, तो उसका रैपर डस्टबिन में डालने के लिए सिखाएं.
हिंदी और अंग्रेजी के अक्षरों से कराएं अवगत
मिशनरी स्कूल में एडमिशन को लेकर अभिभावकों का विशेष जोर इंग्लिश के अल्फाबेट या शब्द सिखाने पर रहता है. जबकि इंटरैक्शन में इंग्लिश के साथ-साथ हिंदी के अक्षरों को भी पहचानने के लिए दिया जाता है. इंग्लिश में कैपिटल और स्मॉल लेटर लिखने और पढ़ने की भी आदत दिलाएं. इसके साथ ही बच्चों से विभिन्न रंगों, सब्जियों और फलों को पहचानने के लिए भी दिया जाता है. अभिभावकों को इन बातों को ध्यान में रखकर बच्चों की प्रैक्टिस कराना एडमिशन में सहायक साबित होगा.
इन टॉपिक पर ध्यान दें
पैरेंट्स बच्चे को अपने बारे में अधिक से अधिक जानकारी की प्रैक्टिस कराएं. जैसे नाम, पेरेंट्स का नाम, सिब्लिंग्स, घर का पता, उम्र, जन्मदिन और बॉडी पार्ट को अच्छे से सिखाएं. इसके अलावा बच्चों को कलर्स, फ्रूट्स, वेजिटेबल, एनिमल, बर्ड्स, नंबर्स, शेप्स, लेटर्स, टॉयज के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए. बच्चों को पोएम और स्टोरी, फेवरेट फूड के बारे में जानकारी हो. बच्चे को बेसिक मैनर्स पर भी फोकस करना होगा.
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अभिभावक इन बातों का भी रखें ख्याल
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बच्चे की सुविधाओं को ध्यान में रख कर चुने स्कूल
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केवल रेप्यूटेशन के लिए स्कूल का चयन न करें
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फीस सहीत अन्य चार्जों की रखें जानकारी
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यातायात सुविधा के बारे में लें पूरी जानकारी
एडमिशन के लिए इन डॉक्यूमेंट को रखें तैयार
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बच्चे का आधार कार्ड
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इम्यूनाइजेशन सर्टिफिकेट
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बर्थ सर्टिफिकेट
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फैमिली फोटोग्राफ
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बर्थ सर्टिफिकेट (नगर निगम)
अलग-अलग स्कूलों में एलकेजी में एडमिशन के लिए बच्चे की उम्र भी निर्धारित की जाती है. एलकेजी में एडमिशन के लिए तीन साल से लेकर चार वर्ष तक बच्चे की उम्र होनी चाहिए. एडमिशन के लिए इच्छुक अभिभावक जरूरी डॉक्यूमेंट तैयार कर लें ताकि, उन्हें कोई परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े.
स्कूलों में एडमिशन फॉर्म जारी होने की तिथि
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स्कूल- तिथि – सीट- फॉर्म की कीमत- बच्चे की उम्र (31 मार्च 2024 तक)
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संत जेवियर्स हाइ स्कूल- 15 दिसंबर- 210- 800 रुपये- साढ़े तीन से साढ़े चार साल
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लोयोला माउंटेसरी(नर्सरी और एलेकेजी)- 16 दिसंबर- 240- 1000 रुपये- तीन से चार साल
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डॉन बॉस्को एकेडमी- 16 जनवरी- 220- 1500 रुपये- चार साल
इन स्कूलों में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में जारी होगा फॉर्म
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किंडरगार्टेन
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कार्मेल हाइ स्कूल
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नॉट्रेडेम एकेडमी
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संत माइकल हाइ स्कूल
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प्राचार्यों ने दिये तैयारी के टिप्स
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बच्चों के अनुशासन और बातचीत के अंदाज पर शिक्षकों का इंटरेक्शन में विशेष ध्यान रहता है. सभी बच्चों के इंटरेक्शन के बाद लॉटरी सिस्टम से ही नाम निकाला जाता है. इंटरेक्शन में अभिभावकों और बच्चों के बीच के संवाद पर भी नजर होती है. – सिस्टर सरिता, प्राइमरी प्रभारी, संत जोसेफ कॉन्वेंट
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बच्चों से इंटरेक्शन में बेसिक सवाल ही पूछे जाते हैं. इसके साथ ही विभिन्न रंगों और फल व सब्जियों के नाम पूछे जाते हैं. इंटरेक्शन में बच्चों के पॉजिटिविटी पर भी शिक्षकों की विशेष नजर होती है. – फादर केपी डोमेनिक, प्राचार्य संत जेवियर्स हाइ स्कूल