पटना. बिहार में मादक पदार्थों की तस्करी कर अवैध संपत्ति अर्जित करने वाले तस्करों की चल-अचल संपत्ति जब्त किये जाने की शुरुआत हो गयी है. बिहार में मादक पदार्थों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई को लेकर नोडल एजेंसी बनी बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने ऐसे 10 गांजा तस्करों द्वारा अर्जित करीब 22 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति जब्ती को लेकर केंद्र सरकार की एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (इडी) को प्रस्ताव भेजा था. इडी ने इनमें से एक मामले में 41 लाख रुपये की अपराध जनित संपत्ति को जब्त भी कर लिया है. ईडी ने लखीसराय के रहने वाले रंजीत मंडल की 41 लाख की संपत्ति जब्त करने की अनुमति भी दे दी है. इओयू के एडीजी नैय्यर हसनैन खान ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी.
एसपी के अधीन बनेगा डेडिकेटेड सेल, जल्द तैनाती
एडीजी ने बताया कि इओयू में अब नारकोटिक्स का एक डेडिकेटेड सेल बनेगा, जो एसपी के नेतृत्व में काम करेगा. यह सेल एसटीएफ के साथ मिल कर हॉट स्पॉट चिह्नित इलाकों के साथ ही मिल रही गुप्त सूचनाओं पर छापेमारी करेगा. सेल को मजबूत बनाने के लिए जल्द ही इसमें एसपी, डीएसपी से लेकर इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारियों की तैनाती होगी. फील्ड में भी स्थायी रूप से नारकोटिक के डीएसपी व इंस्पेक्टर स्थायी रूप से तैनात किये जायेंगे. इसके साथ ही डीएसपी और इंस्पेक्टर की संख्या भी बढ़ाई जाएगी. मादक द्रव्यों के विरुद्ध कार्रवाई में केंद्रीय एजेंसियों के साथ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, सुरक्षाबलों के साथ ड्रग कंट्रोलर आदि की भी मदद ली जा रही है.
पटना आस-पास व दियारा इलाके बड़े हॉटस्पॉट
इओयू के डीआइजी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने बताया कि एजेंसी की पड़ताल में पटना के आसपास, राघोपुर दियारा, सारण दियारा, पूर्वोत्तर के माध्यम से आने वाले रोड व रेल रूट, सीमांचल के पूर्णिया व कटिहार जिले तथा झारखंड से सटे बांका व जमुई इलाके मादक पदार्थों की तस्करी के सबसे बड़े हॉट स्पॉट इलाके के रूप में चिह्नित हुए हैं. इन इलाकों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है. इसके साथ ही रेलवे पार्सल के माध्यम से होने वाली तस्करी पर रोकथाम को लेकर रेलवे पार्सल गोदामों की विशेष जांच की जा रही है. इन जगहों पर डीएसपी और इंस्पेक्टर की तैनाती की जाएगी, ताकि वह सूचना पर अविलंब कार्रवाई कर सके. पिछले दिनों पटना और कटिहार जंक्शन पर जीआरपी-आरपीएफ के समन्वय से इसको लेकर विशेष अभियान भी चलाया गया. इस दौरान इओयू के एसपी सुशील कुमार भी मौजूद रहे.
इन तस्करों की संपत्ति जब्त करने का प्रस्ताव
आर्थिक अपराध इकाई ने पटना के जवाहर बैठा, भोजपुर के चर्तुभुज सिंह, श्रीकुमार सिंह और पशुपति सिंह, लखीसराय के रंजीत मंडल,रोशन सिंह एवं मौसम सिंह, सुपौल के राजकुमार सिंह, कैमूर के रामेश्वर सांडिक उर्फ रामेश्वर प्रसाद, आरा के हेमंत उर्फ छट्ठू पासवान, वैशाली के श्याम नारायण चौधरी, बेगूसराय के भोला महतो की संपत्ति जब्त करने के लिए ईडी को पत्र लिखा है.
बिहार में गांजा तस्करों ने बदला ट्रेंड, महिला को कर रहे शामिल
इधर, तस्कर नशे की सामग्रियों की तस्करी के लिए अलग-अलग तरीका अपनाते हैं. अब गांजा तस्करों ने तस्करी के लिए अलग ट्रेंड अपनाया है. वे अपने गिरोह में महिलाओं को शामिल कर रहे हैं. वे जब तस्करी के लिए गांजा लाते हैं तो सामान्य परिवार की तरह ट्रॉली बैग, एयर बैग, लेडिज पर्स में गांजे का पैकेट छिपाते हैं, ताकि पुलिस या नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) भी जांच करे तो उन्हें तस्करी का शक न हो. इस कारण जब तक सटीक सूचना नहीं होती है तो पुलिस को सफलता हाथ नहीं लगती है.
ओडिशा और त्रिपुरा का सबसे ज्यादा गांजा
पुलिस रिकार्ड के मुताबिक तस्कर भागलपुर में सबसे ज्यादा गांजा ओडिशा और अगरतला (त्रिपुरा) से लेकर आते हैं. ओडिशा के नक्सल ग्रस्त इलाकों में सबसे ज्यादा गांजा की तस्करी होती है. वहां के मलकानगिरी, बौध, कंधमाल, रायगड़ा, गजपति, कोरापुट समेत अन्य जिलों में गांजे का बड़ा सिंडिकेट है. वहां से तस्कर कम दामों में गांजा की खेप लाते हैं. वहां का गांजा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के जिलों में खपाया जाता है.
ऊंचे दामों में बिकता है गांजा
पुलिस की गिरफ्त में आए तस्करों के मुताबिक ओडिशा व त्रिपुरा मेंगांजा की कीमत तीन से पांच हजार किलो में मिल जाता है. जबकि कली गांजा की कीमत 10 हजार रुपये तक है. वहीं गांजा बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में 20 हजार रुपये किलो तक बिकता है. इसी तरह त्रिपुरा से आनेवाला गांजा पांच से सात हजार रुपये किलो मिलता है जो 20-22 हजार रुपये किलो तक आसानी से बिक जाता है. इसे तस्कर ही छोटे गांजा के पैडलरों तक पहुंचाते हैं.