चैती छठ की तैयारी : कहीं मिट्टी भर कर घाट तक पहुंचने का रास्ता बनाया जा रहा, तो कहीं बैरिकेडिंग लगाई जा रही
वंशी घाट से कृष्णा घाट तक पुल निर्माण को लेकर पिलर गाड़े जा रहे है. उसके आगे गंगा पथ है, जिसके बाद ही चैती छठ का अर्घ होगा. इसलिए उस क्षेत्र में पुल निर्माण निगम द्वारा मिट्टी भरी जा रही है और पक्की सीढ़ी से उतर कर भक्तों के गंगा की ओर जाने के लिए गड्डा भर कर रास्ता बनाया जा रहा है.
पटना. गंगा घाटों पर चैती छठ की तैयारी तेजी से की जा रही है. गुरुवार को पटना नगर निगम की टीम कहीं मिट्टी भर कर घाट तक व्रतियों और श्रद्धालुओं को पहुंचने का रास्ता बनाती दिखी, तो कहीं घाट पर बैरिकेडिंग की जा रही है. पुल निर्माण के कारण इसमें कहीं-कहीं बाधा भी आ रही है और लोगों के लिए गंगा घाटों की दूरी बढ़ गयी है.
वंशी घाट से कृष्णा घाट तक पुल निर्माण हो रहा
मालूम हो कि वंशी घाट से कृष्णा घाट तक पुल निर्माण हो रहा है और इस क्रम में उनके पिलर गाड़े जा रहे है. उसके आगे गंगा पथ है, जिसके बाद ही चैती छठ का अर्घ होगा. इसलिए उस क्षेत्र में पुल निर्माण निगम द्वारा मिट्टी भरी जा रही है और पक्की सीढ़ी से उतर कर भक्तों के गंगा की ओर जाने के लिए गड्डा भर कर रास्ता बनाया जा रहा है. अलग-अलग घाटों पर इसकी तैयारी की जा रही है. कुछ जगहों पर चेंजिंग रूप का निर्माण भी किया जा रहा है.
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काली घाट – यहां पक्की सीढ़ी के बाद के गड्डे को जहां पहले गंगा नदी की धारा बहती थी, मिट्टी से भरकर चौड़ा रास्ता बनाया जा रहा है. कदम घाट और पटना कॉलेज घाट जाने का भी यही रास्ता हैं.
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कृष्णा घाट- यहां पर भी मिट्टी भराई हो रही है और आने-जाने का रास्ता तैयार किया जा रहा है.
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गांधी घाट- यहां पर पक्की सीढ़ी है और उसके बाद गंगा नदी की धारा शुरू हो जाती है, इसलिए यहां बैरिकेडिंग की जा रही है, जो लगभग तैयार है और उसे शुक्रवार को फिनिशिंग टच दिया जायेगा.
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बड़हरवा घाट- यहां पर बल्ला लगाने का काम हो चुका है और मिट्टी का समतलीकरण किया जा रहा है. पक्की सीढ़ी के बाद यहां पांच फुट मिट्टी का समतलीकरण किया जा रहा है, जिससे होकर लोग गंगा नदी तक जायेंगे.
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लॉ कॉलेज घाट- यहां पर कुछ सीढ़ी पक्की है. उसको बराबर करके बैरिकेडिंग करने का कार्य पूरा हो चुका है.
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रानी घाट- यहां घाट के पक्की सीढ़ी के बाद की मिट्टी वाले हिस्से को काट कर उसे सीढ़ीनुमा बनाया गया है. बैरिकेडिंग हो चुकी है.
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घग्घा घाट- पक्की सीढ़ी के बाद घाट दूर चला गया है, जिसका समतलीकरण कर बैरिकेडिंग की गयी है.
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चौधरी टोला घाट – यहां भी पक्की सीढ़ी है. बैरिकेडिंग कर दी गयी है.
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