Bihar News: मिथिला की रोहू और सोन की कतला मछली को जीआइ टैग दिलाने की तैयारी, रिसर्च शुरू
Bihar News: बिहार सरकार मिथिला की रोहू और सोन की कतला मछली को जीआइ टैग दिलाने की तैयारी शुरू कर दी है. दरभंगा और मधुबनी क्षेत्र में पायी जाने रोहू मछली खास स्वाद के लिए जानी जाती है. जीआइ टैग मिल जाता है, तो इस क्षेत्र में कारोबार बढ़ेगा.
पटना. बिहार सरकार मिथिला की रोहू और सोन की कतला मछली को जीआइ टैग दिलाने की तैयारी में जुट गयी है. पीएम मत्स्य संपदा योजना के तहत पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने स्कीम पर काम शुरू कर दिया है. सलाहकारों की नियुक्ति कर दोनों मछलियों पर शोध शुरू कर दिया गया है. जून में इसकी रिपोर्ट आते ही विभाग जीआइ टैग के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय में अपना दावा पेश करेगा. बिहार के मत्स्य निदेशक निशात अहमद ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया कि मिथिला की रोहू और सोन की कतला मछली को लेकर अभी शोध कार्य शुरू हुआ है.
कन्सल्टेट के साथ एमओयू हो चुका है. मछलियों पर अध्ययन के लिए दो महीने की समय सीमा तय की गयी है. रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जायेगी. दरभंगा और मधुबनी क्षेत्र में पायी जाने रोहू मछली खास स्वाद के लिए जानी जाती है. जीआइ टैग मिल जाता है, तो इस क्षेत्र में कारोबार बढ़ेगा. वैश्विक बाजार में बिहार की पहचान बढ़ेगी.
प्रति व्यक्ति मछली उपलब्धता में बिहार अब राष्ट्रीय औसत के बराबर
बिहार में प्रति व्यक्ति को औसतन एक साल में 9.60 किलो मछली उपलब्ध है. यह राष्ट्रीय औसत से महज 0.40 कम है. राज्य में मछली का उत्पादन 6.83 लाख टन है. मात्र 40 हजार टन मछली बाहर से आ रही है. अधिकतर मछलियां आंध्र प्रदेश व पश्चिम बंगाल से आयात होती हैं. हालांकि, सिलीगुड़ी, लुधियाना, अमृतसर, वाराणसी, गोरखपुर, देवरिया, कप्तानगंज, रांची, गोड्डा व नेपाल को 33 हजार टन निर्यात भी हो रहा है.
बिहार के इन उत्पादों को मिल चुका है जीआइ टैग
मिथिला का मखाना, भागलपुर का कतरनी चावल और जरदालु आम, मुजफ्फरपुर की शाही लीची व मगही पान को जीआइ टैग मिल चुका है.