अनुज शर्मा. पटना: बिहार सरकार अधिकारी और कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया नियमावली लागू करने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा होता है तो कोई भी अधिकारी या कर्मचारी को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किसी प्रकार की कोचिंग, लेक्चर, लाइव प्रसारण, चौट वेबिनार आदि में भाग लेने से पहले अपने वरिष्ठ अधिकारी से अनुमति लेनी होगी. हर सरकारी एक आम नागरिक की हैसियत से सोशल मीडिया के प्रयोग और उस पर अभिव्यक्ति के लिए एक सीमा तक ही स्वतंत्र रहेगा. उसे ऐसा कोई पोस्ट या बयान नहीं देना है, जिससे सरकारी नियमों का उल्लंघन होता हो.
अभी सुर्खियों में चल रहे आइपीएस विकास वैभव को सोशल मीडिया पर बिना अनुमति के ””लेट्स इंस्पायर बिहार”” का संचालन करने के लिए गृह विभाग ने नोटिस जारी किया है. सरकार ने इसे नियमों का उल्लंघन और दायित्व निभाने में उदासीनता माना है. गौरतलब है कि होमगार्ड और फायर ब्रिगेड के आइजी विकास वैभव के ट्वीट से इन दिनों हंगामा मचा हुआ है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्य सचिव आमिर सुबहानी और अपर मुख्य सचिव (गृह) चैतन्य प्रसाद के बीच हाल ही में एक बैठक हुई है. इसमें सीनियर आइएएस केके पाठक के गाली वाला वीडियो और आइपीएस विकास वैभव के ट्वीट को लेकर भी चर्चा हुई. सरकार के वरीय पदाधिकारियों की मंशा है कि लोक सेवकों को किस सीमा तक सोशल मीडिया के उपयोग की छूट दी जाए, इसको लेकर एक नीति बन जायेगी, तो कई तरह के विवाद जन्म ही नहीं लेंगे. सूत्रों का यहां तक हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने अधिकारियों-कर्मचारियों के सोशल मीडिया पॉलिसी जारी की है, बिहार में उसी का अध्ययन करने के लिए एक कमेटी बनायी जा सकती है.
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बिहार सरकार यदि यूपी की तर्ज पर सोशल मीडिया पॉलिसी लाती है, तो सरकारी कर्मचारी-अधिकारी फेसबुक, इंस्टाग्राम या ट्विटर पर एक हद तक ही सक्रिय रह पायेंगे. ड्यूटी के दौरान वे अपने पर्सनल अकाउंट नहीं चला पायेंगे. हालांकि वे सरकारी काम को प्रभावित किये बिना जन- सहायता, जनसेवा, मानवतापूर्ण कार्यों और व्यक्तिगत उपलब्धि से सम्बंधित पोस्ट, फोटो या वीडियो को अपने व्यक्तिगत सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा कर सकते हैं. कोई भी कर्मचारी सामाजिक, साहित्यिक, कलात्मक या ज्ञान- विज्ञान से जुड़ा पोस्ट शेयर कर सकता है, लेकिन शर्त यह है कि इसके द्वारा उसके सरकारी कर्तव्यों में कोई अड़चन नहीं पड़ती हो.