राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने बुधवार (18 अक्तूबर) को पटना के बापू सभागार में बिहार के चौथा कृषि रोड मैप लॉन्च किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कृषि बिहार की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. मैं भी यहां की खेती के तरीके को एक बार देखना चाहती हूं. कैसे यहां पर लोग खेती करते हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि प्रेसिडेंट के पद से हटने पर मैं गांव जाना चाहती हूं और वहां पर खेती ही करुंगी. इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 3 दिनों के बिहार दौरे पर बुधवार को करीब 11.15 बजे वायुसेना के विशेष विमान से पटना एयरपोर्ट पहुंचीं. राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर, सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने उन्हें एयरपोर्ट पर स्वागत किया. इसके बाद वे एयर पोर्ट से सीधे पटना के बापू सभागार पहुंची. यहां पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पौधा, राष्ट्रपति की पोट्रेट और भागलपुरी सिल्क की साड़ी देकर उनका स्वागत किया. द्रौपदी मुर्मू देश की छठवीं राष्ट्रपति हैं, जो बिहार आई हैं.
राष्ट्रपति को कृषि रोडमैप का प्रजेंटेशन दिया गया. जिसमें बताया गया कि पीपीपी मोड में खेती की जाएगी. इसपर बिहार सरकार की ओर से अगले पांच साल में 1 लाख 62 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इसके साथ ही यह लक्ष्य रखा गया है कि 2025 तक हर खेत में पानी पहुंचाया जाए. बताते चलें कि बिहार सरकार इस साल 162268.78 करोड़ रुपये कृषि रोड मैप पर खर्च करने का लक्ष्य रखा है. वर्ष 2023 से 2028 तक इसके तहत ली गयी योजनाओं पर कार्य किया जायेगा. बिहार के कृषि रोड मैप को देश के सबसे अनोखे कृषि प्लान के रूप में जाना जाता है. रोड मैप बनाकर कृषि कार्य करने वाला बिहार देश में पहला राज्य है. 17 फरवरी 2008 को कृष्ण मेमोरियल हॉल में किसान पंचायत का आयोजन कर पहले कृषि रोड मैप को लॉन्च किया गया था. 2008 से 2012 तक पहले कृषि रोड मैप की अवधि निर्धारित थी. दूसरे कृषि रोड मैप की अवधि 2012 से 2017 तथा तीसरे की अवधि 2017 से 2023 थी. अब वर्ष 2023 से 2028 तक के लिए चौथा कृषि रोड मैप लॉन्च किया जायेगा. इस 15 साल में राज्य में 651 राइस मिल खोलने की स्वीकृति दी गयी. नौ आटा मिल खोले गये. कृषि रोड मैप के तहत फसल, मांस, मछली और अंडा का उत्पादन बढ़ा.
चौथे कृषि रोड मैप में 12 विभागों को शामिल किया गया है. कृषि, फसल व बागवानी क्षेत्र में 22366.18 करोड़, पशु व मत्स्य संसाधन में 15349. 40 करोड़, ऊर्जा में 6190.75, राजस्व व भूमि सुधार में 1200.75, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में विकास कार्य के लिए 3875.98 करोड़ की राशि अनुमानित है. वहीं, उद्योग विभाग में 3446.20, गन्ना उद्योग में 729.94, जल संसाधन में 19196.17, लघु जल संसाधन विभाग में 5308, ग्रामीण कार्य में 393.98, खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण में 83766.94 तथा सहकारिता के क्षेत्र में 444.50 करोड़ रुपया खर्च करने की अनुमानित राशि निर्धारित की गयी है.
वर्ष 2007-8 में गेहूं की उत्पादकता 23.35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी. अब यह वर्ष 2021-22 में बढ़कर 30.78 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गया. वर्ष 2007-8 में मक्का की उत्पादकता 27.39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी. वर्ष 2021-22 में बढ़कर 52.36 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गयी. वर्ष 2007-8 में चावल की उत्पादकता 12.37 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 24.96 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गयी है.
कृषि रोड मैप के पूर्व बिहार में प्रतिवर्ष दूध का उत्पादन 57.7 लाख मीट्रिक टन था. अब यह वर्ष 2021-22 में बढ़कर 115 लाख मीट्रिक टन हो गया है. अंडा का उत्पादन वर्ष 2007-8 में 10667 लाख प्रतिवर्ष था. वर्ष 2021-22 में बढ़कर 30131 लाख प्रतिवर्ष हो गया है. मांस का उत्पादन वर्ष 2007-8 में 1.80 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष था, यह 2021-22 में बढ़कर 3.97 लाख मीट्रिक टन हो गया. मछली का उत्पादन 2.88 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 7.62 लाख टन हो गया.