पटना. निर्भया फ्रेमवर्क के तहत सार्वजनिक परिवहन की गाड़ियों में व्हीकल लोकशन ट्रैकिंग डिवाइस एवं इमरजेंसी बटन के दबते ही कंट्रोल रूम में अलार्म बजने लगेगा और पुलिस तुरंत एक्शन में आयेगी. अब तक दो हजार से अधिक कॉमर्शियल वाहनों में पैनिक बटन काम करने लगा है. इसकी निगरानी के लिए परिवहन विभाग के मुख्यालय में कमांड एंड कंट्रोल सेंटर भी शुरू किया गया है. यहां से सार्वजनिक परिवहन के लोकेशन की लाइव ट्रैकिंग की जा रही है. अब विभाग ने इसको लेकर एसओपी जारी की है. इसके बाद शिकायतें मिलते ही पूर्ण निबटारा होगा. समय-समय पर जिला परिवहन पदाधिकारी खुद से डिवाइस की जांच करेंगे और जिन गाड़ियों में इसको लगाया गया है, वह ठीक से काम नहीं कर रहा होगा या बंद होगा, तो रैंडम जांच में उस गाड़ी का लाइसेंस रद्द किया जा सकेगा.
बस, कैब या टैक्सी से सफर करने वाली महिलाओं या लड़कियों को किसी तरह के खतरे का आभास होने पर इमरजेंसी बटन दबाते ही कंट्रोल कमांड सेंटर में अलार्म बजेगा और तत्काल पुलिस मदद के लिए पहुंचेगी.
व्हीकल लोकशन ट्रेकिंग डिवाइस के द्वारा इमरजेंसी अलर्ट, ओवर स्पीडिंग तथा उपकरण के साथ छेड़छाड़ या तोड़े जाने पर अलर्ट प्राप्त हो सकेगा. इसकी मदद से वाहन के लोकेशन की रियल टाइम जानकारी प्राप्त होगी. जियो फैंसिंग एवं सॉफ्टवेयर के माध्यम से वाहन के हर मूवमेंट को मैप पर देखा जा सकेगा. वहीं, वाहन मालिक भी सॉफ्टवेयर द्वारा अपने वाहनों की स्थिति का पता भी कर सकेंगे.
इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से अपराध के नियंत्रण में काफी मदद मिलेगी. इसके साथ ही ओवर स्पीडिंग को रोकने में भी मदद मिलेगी. बस यदि निर्धारित स्पीड से अधिक स्पीड पर चलेगी, तो वह पकड़ में आ जायेगी और वैसे सभी बस चालकों पर कार्रवाई होगी.
एसओपी में कहा गया है कि तेज रफ्तार की गाड़ी चलने या किसी तरह की शिकायत के संबंध में अलर्ट को संबंधित डीटीओ व रोड सेफ्टी को भी भेजा जायेगा, ताकि रोड सेफ्टी द्वारा संबंधित आंकड़ों का विशलेषण करते हुए सड़क सुरक्षा नियम के अनुसार कार्रवाई की जायेगी. इस संबंध में सभी डीटीओ व एमवीआइ को दिशा-निर्देश भेजा गया है.
सार्वजनिक परिवहन के वाहनों में महिलाओं एवं यात्रियों की सुरक्षा के उद्देश्य से व्हीकल लोकशन ट्रैकिंग डिवाइस एवं इमरजेंसी बटन लगाया जाना अनिवार्य किया गया है, ताकि कंट्रोल सेंटर के जरिए लाइव निगरानी की जाये. यह महिला सुरक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण कदम है.
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विभाग ने सभी जिलों को दिशा-निर्देश भेजा है कि सभी स्कूली बसों में इसे लगाया जाये, ताकि बच्चियां अपनी खुद की परेशानियों की शिकायत कर सकें. वहीं, जरूरत पड़ने पर बटन की मदद से अपराधियों को पकड़ा जा सके. इससे स्कूल छात्राएं और सुरक्षित हो सकेंगी.