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बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ ने दी चेतावनी, शिक्षकों को लेकर केके पाठक का आदेश वापस नहीं लिया तो करेंगे आंदोलन

अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी ने कहा कि अगर शिक्षा विभाग द्वारा जारी तुगलकी फरमान को अविलंब वापस नहीं लिया गया तो बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ बड़े आंदोलन की घोषणा करेगा.

बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक राज्य के शैक्षणिक स्तर में सुधार लाने के लिए आए दिन नए आदेश और फरमान जारी करते रहते हैं. इनमें कई ऐसे आदेश हैं जिसकी वजह से शिक्षक संघ उनसे नाराज है. इसी कड़ी में गुरुवार को बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यालय एग्जिबिशन रोड में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा विभाग बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा प्रतिदिन जारी किये जा रहे तुगलकी फरमान और शिक्षकों पर की जा रही कार्रवाई को सरकार यदि शीघ्र वापस नहीं लेती है तो अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के निर्देशानुसार बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ 10 दिसंबर को होने वाले संघ की बैठक में बड़े आंदोलन की घोषणा करेगा.

1949 में हुआ था बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ का गठन

कमलाकांत त्रिपाठी ने कहा कि बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ आजादी के पूर्व का संगठन है. 1949 में इस संगठन को राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त हुई थी जो लगातार श्रीकृष्णा सिंह मंत्रिमंडल से लेकर आज तक जारी है. बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के काल में भी बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ की मान्यता बरकरार रही. तत्कालीन शिक्षा मंत्री के स्तर से बढ़ी संचिका पर तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने स्पष्ट लिखा है कि जिस संगठन के अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा है इस संगठन को राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त है. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ का अपना इतिहास रहा है. यह संगठन अपने जन्म काल से लेकर आज तक न सिर्फ शिक्षक हित बल्कि शिक्षा हित की बात करता रहा है.

शिक्षकों को सड़क पर उतरना पड़ेगा

त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षक संघ पर प्रतिबंध लगाना या उसकी मान्यता समाप्त करना लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान प्रदत मौलिक अधिकारों का हनन है. जिसे अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ एवं बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ कभी बर्दाश्त नहीं करेगा. सरकार इस तरह से शिक्षकों के साथ दमनात्मक कार्रवाई करेगी तो मजबूरन शिक्षकों को सड़क पर उतरना पड़ेगा, जिससे बिहार के शैक्षणिक माहौल में बेहतरी के बजाय उथल-पुथल मच जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है. जिसकी सारी जिम्मेवारी राज्य सरकार की होगी.

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चार बजे के बाद बच्चे स्कूल में रुकने को तैयार नहीं

बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि आजादी के बाद से आज तक जितने भी अवकाश तालिका बने हैं सब में सारी प्रमुख छुट्टियां शामिल की गयी है. पहली बार ऐसा हुआ जब रविवार को भी सार्वजनिक छुट्टी होने के बावजूद छुट्टी घोषित किया गया है. विभाग द्वारा पहले तो सभी प्रधानाध्यापकों को शाम चार बजे के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भाग लेना अनिवार्य किया गया. उसके बाद अब पांच बजे तक विद्यालय चलाने की बाध्यता की गयी है. ठंड का मौसम है ऐसे में शाम पांच बजे अंधेरा हो जाता है. यातायात का साधन नहीं मिलता. महिला शिक्षकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. विशेष क्लास हेतु चार बजे के बाद बच्चे भी स्कूल में रुकने के लिए तैयार नहीं है और न ही अभिभावक अपने बच्चों को चार के बाद स्कूल में रुकने देना चाहते हैं.

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शैक्षणिक अराजकता फैलने की स्थिति

संघ के वरीय उपाध्यक्ष रामचंद्र डबास ने कहा कि बिहार में सरकार द्वारा निर्धारित नियमों और अधिनियमों का उल्लंघन हो रहा है, जिससे संपूर्ण राज्य में शैक्षणिक अराजकता फैलने की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. संवाददाता सम्मेलन में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महासचिव कमला कांत त्रिपाठी के अलावे संघ के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज कुमार, वरीय उपाध्यक्ष नुनुमणि सिंह, राम अवतार पांडेय, उपाध्यक्ष घनश्याम यादव आदि उपस्थित रहे.

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