Bihar: हत्या के बाद भागलपुर जेल में बंद कैदी का बदला हृदय, रामचरितमानस का अंगिका में कर दिया अनुवाद
Ramcharitmanas: बिहार के भागलपुर जेल में बंद एक हत्या केस के कैदी को उम्रकैद की सजा हुई तो उसने जेल के अंदर ही रामचरितमानस का अनुवाद अंगिका भाषा में कर दिया. जेलर की मदद से वो आध्यात्म की ओर बढ़ा. जानिये पूरी कहानी..
Ramcharitmanas: बिहार में शिक्षा मंत्री के बयान के बाद से रामचरितमानस विवाद छिड़ा हुआ है. देशभर में इसे लेकर चर्चाओं का दौर है. वहीं भागलपुर की जेल में बंद एक कैदी का ऐसा हृदय परिवर्तन हुआ कि वो राम की भक्ति में लीन हो गया. अदालत ने उसे हत्या का दोषी मानकर उम्रकैद की सजा दी. कैदी ने जेल में ही रामचरितमानस का अनुवाद अंगिका भाषा में कर दिया.
रामचरितमानस का अनुवाद अंगिका भाषा में
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भागलपुर के विशेष केंद्रीय कारा में हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे मुंगेर के हरिहर प्रसाद ने रामचरितमानस का अनुवाद अंगिका भाषा में किया है. कैदी के द्वारा किये गये अनुवाद की प्रूफ रीडिंग जेलर कर रहे हैं. कैदी ने अब राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा है कि उनकी शेष सजा को माफ किया जाए.
उम्रकैद की सजा काट रहे मुंगेर के हरिहर प्रसाद
मुंगेर के रहने वाला हरिहर प्रसाद एक हत्या के मामले में सजा काट रहा है. 1991 में हुई एक हत्या के मामले में वो वर्ष 2016 से ही जेल में बंद है. उसे उम्रकैद की सजा दी गयी है. जिसके बाद हरिहर ने तय किया कि वो आध्यात्म की शरण में जाएगा. दरअसल, बताया जाता है कि पूर्व जेलर राकेश कुमार सिंह ने उसे ये सुझाव दिया था.
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प्रूफ रीडिंग का काम चल रहा
हरिहर प्रसाद गृह रक्षक की नौकरी करता था. अंग क्षेत्र के निवासी हरिहर की पकड़ अंगिका भाषा पर अच्छी थी. जिसके कारण पूर्व जेलर ने उत्साहवर्धन किया तो हरिहर इस काम में लीन हो गया. जेलर ने उसे कागज-कलम वगैरह भी उपलब्ध कराया. हरिहर के किये अनुवाद को वर्तमान जेल मनोज कुमार आगे बढ़ा रहे हैं. प्रूफ रीडिंग का काम चल रहा है. कैदी का आग्रह है कि जेल के प्रेस से इसका प्रकाशन हो.
जेल के अंदर पीतांबरी पहनकर करते पाठ
हरिहर प्रसाद जेल के अंदर पीतांबरी धारण करता है. जेल में ही चबूतरे पर बैठकर वह रोजाना रामचरितमानस का पाठ करता है. अन्य कैदी भी उसके पास आकर बैठते हैं और हरिहर सबको आध्यात्म की शिक्षा दे रहा है.
Posted By: Thakur Shaktilochan