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आनंद मोहन के साथ रिहा होने वाले कैदियों में एक की हो चुकी है मौत, 35 साल पहले हुई थी सजा

पतिराम राय को करीब 35 साल पहले सजा हुई थी. स्व राय 16 जनवरी, 1988 से बक्सर जेल में बंद थे. गृह विभाग की ओर से जब आदेश बक्सर सेंट्रल जेल भेजा गया और रिहा होने किये जाने वाले कैदियों की खोज हुई तो पता चला कि पतिराम राय की मौत करीब साल भर पहले हो चुकी है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 26, 2023 4:25 AM
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बिहार सरकार के गृह विभाग द्वारा दिए गए आदेश के बाद पूर्व सांसद आनंद मोहन के साथ जिन 26 कैदियों को रिहा करने का आदेश जारी हुआ है, उनमें से एक बक्सर जेल में बंद 93 वर्षीय पतिराम राय की एक साल पहले मौत हो चुकी है. गृह विभाग की ओर से सोमवार 24 अप्रैल को जारी आदेश में पंद्रहवें नंबर पर बक्सर मुक्त जेल में बंद पतिराम राय के नाम हैं.

35 साल पहले हुई थी सजा 

सिमरी थाना के केस संख्या 02/07/76 में पतिराम राय को करीब 35 साल पहले सजा हुई थी. स्व राय 16 जनवरी, 1988 से बक्सर जेल में बंद थे. गृह विभाग की ओर से जब आदेश बक्सर सेंट्रल जेल भेजा गया और रिहा होने किये जाने वाले कैदियों की खोज हुई तो पता चला कि पतिराम राय की मौत करीब साल भर पहले हो चुकी है.

बक्सर जेल से तीन कैदियों को किया गया रिहा 

रिहाई आदेश के मुताबिक पतिराम राय के अलावा बक्सर जेल से चार और कैदियों को छोड़ा जाना था. इनमें से तीन को मंगलवार को रिहा कर दिया गया. वहीं, एक कैदी की कोर्ट में फीस जमा नहीं होने के कारण उसकी रिहाई नहीं हो सकी. राज्य दंडादेश परिहार पर्षद ने कोर्ट में कैदियों को रिहा करने की अपील की थी.

बक्सर जेल से पांच कैदियों को रिहा करना था

जेल अधीक्षक राजीव कुमार ने बताया कि परिहार पर्षद की अपील पर हाइकोर्ट ने सोमवार को राज्य के अन्य जेलों से कुल 27 कैदियों को रिहा करने का निर्देश जारी किया था. इनमें बक्सर ओपेन जेल में सजायाफ्ता पांच कैदियों को रिहा करना था. कोर्ट का निर्देश मिलते ही ओपेन जेल से चार कैदियों को रिहा करने के लिए सेंट्रल जेल भेज दिया गया, जहां से तीन को सेंट्रल जेल ने रिहा कर दिया है.

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इन लोगों को किया गया रिहा 

जेल अधीक्षक ने बताया कि मुक्त होने वाले भोजपुर जिले किशुनदेव राय, सीवान जिले के जितेंद्र सिंह और नालंदा निवासी राज बल्ल्भ यादव उर्फ बिजली शामिल हैं. सभी बंदी हत्या के आरोप में जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. उम्र अधिक होने और जेल में आचरण ठीक होने के कारण परिहार पर्षद ने कोर्ट में रिहा करने की अपील की थी.

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