पटना. नगरपालिका के मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के पद पर इस बार सीधे चुनाव होनेवाला है. इसके तहत अब मुख्य पार्षद के साथसाथ उप मुख्य पार्षद के पद पर भी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. ऐसे में दोनों पदों को आरक्षण की श्रेणी में लाने से कानूनी पेच फंसने की संभावना है. दरअसल, इन दोनों पदों पर आरक्षण का प्रावधान किया गया तो राज्य की कई ऐसी नगरपालिका हैं, जहां पर शत प्रतिशत पद (मेयर व डिप्टी मेयर) आरक्षित हो जायेंगे. जबकि नगरपालिका एक्ट में प्रावधान है कि किसी भी नगरपालिका में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता. आयोग इस पेच को दूर करने के लिए कानूनी राय ले रहा है.
सूत्रों के मुताबिक जल्द ही इसका विकल्प खोज लिया जायेगा और अधिसूचना जारी कर दी जायेगी. नगरपालिका अधिनियम 2007 (यथा संशोधित) की धारा 29 में प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक नगरपालिका में सदस्यों के कुल स्थान का 50 प्रतिशत से अधिक स्थान पर आरक्षण का प्रावधान नहीं होगा.
आरक्षण का लाभ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़े वर्ग के सदस्यों को मिलेगा. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए वार्ड में तथा नगरपालिका में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण किया जायेगा. पिछड़ेवर्गों के लिए कुल सीटों का अधिकतम 20% स्थान आरक्षित किया जायेगा. आरक्षित और अनारक्षित कोटि की महिलाओं के लिए उस कोटि की कुल सीटों का 50% आरक्षण दिया जायेगा.
किसी भी नगरपालिका में मेयर के पद का आरक्षण का फाॅर्मूला पहले से है. पहली बार डिप्टी मेयर पद पर आरक्षण दिया जा रहा है. डिप्टी मेयर के पद को लेकर स्पष्ट फार्मूला वदिशा निर्देश तैयार नहीं है. स्थिति यह है कि आरक्षण 2011 की जनसंख्या के आधार पर दिया जाना है. आरक्षण का फाॅर्मूला और जनसंख्या का आंकड़ावही रहता है, तो कई नगरपालिकाओं में दोनों पद एक ही कोटि के प्रत्याशियों के लिए शत प्रतिशत आरक्षित होंगे.
उदाहरण स्वरूप पटना नगर निगम के मेयर का पद सामान्य वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है. इसका आधार 2011 की जनसंख्या और आरक्षण का पुराना फाॅर्मूला है. इस फाॅर्मूले को डिप्टी मेयर पद के लिए अपनाया जाता है, तो पटना के डिप्टी मेयर का पद भी आरक्षित हो जाने से इन्कार नहीं किया जा सकता है. जानकारों की राय में ऐसा होना नगरपालिका अधिनियम के विपरीत होगा.