बिहार में हाईटेक होगी जमीन म्यूटेशन की प्रक्रिया, राजस्व अधिकारियों को नामांतरण अधिकार देने के लिए ट्रायल रन
राजस्व विभाग ने नामांतरण एवं अधिकार अभिलेख (खतियान) की डुप्लिकेट रसीद जारी करने की प्रक्रिया को ऑनलाइन शुरू कर दिया है. नामांतरण होने और निर्धारित शुल्क कोषागार में जमा करने के बाद इस सुविधा का लाभ उठाया जा सकता है.
बिहार का राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग म्यूटेशन के आवेदनों की रियल टाइम ट्रैकिंग के लिए एक नए और एकीकृत सॉफ्टवेयर पर कार्य कर रहा है. इस नए सॉफ्टवेयर के माध्यम से विभाग अपने मुख्यालय से ही म्यूटेशन को ट्रैक कर सकेगा. विभाग ने नामांतरण एवं अधिकार अभिलेख (खतियान) की डुप्लिकेट रसीद जारी करने की प्रक्रिया को ऑनलाइन शुरू कर दिया है. नामांतरण होने और निर्धारित शुल्क कोषागार में जमा करने के बाद इस सुविधा का लाभ उठाया जा सकता है.
राजस्व अधिकारियों के समक्ष जमीन म्यूटेशन के अधिकार की होगी पेशकश
बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने बताया कि राज्य के सभी राजस्व अधिकारियों के समक्ष जमीन के म्यूटेशन के अधिकार की पेशकश की जाएगी. अब राज्य में भूमि स्वामित्व को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया सर्कल अधिकारियों के साथ ही आधिकारिक रिकार्ड में भी दर्ज होगी. राजस्व मंत्री ने कहा कि म्यूटेशन के अधिकार को साझा करने का निर्णय सीओ के कार्यभार को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. उन्होंने बताया की राज्य के पांच अंचलों में चल रही प्रक्रिया के सफल परीक्षण के बाद राजस्व अधिकारियों को सीओ सहित नामांतरण आवेदनों के निस्तारण का अधिकार दिया जाएगा.
बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम 2011 में संशोधन
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार राजस्व अधिकारियों को दाखिल खारिज का अधिकार मिल सके इसलिए विभाग को बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम 2011 की संबंधित धारा में संशोधन करना पड़ा था. ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि पिछले साल शुरू की गयी ऑनलाइन प्रक्रिया विफल हो गयी थी. सिर्फ पटना जिले में ही हजारों मामले लंबित हैं. कई बार अधिकारी काम के बोझ के नाम पर आवेदन लंबित रखते हैं और किसी तरह की प्रेरणा मिलने पर कार्य को प्राथमिकता से करते हैं.
भूमि आवेदन की गति में आई तेजी
विभाग ने जमीन के दाखिल खारिज के आवेदन को एक बार खारिज करने के बाद दोबारा विचार करने का अधिकार सीओ से छिन लिया है. ऐसा नामांतरण प्रक्रिया को दुरुस्त करने के लिए किया गया. सीओ द्वारा भूमि म्यूटेशन का आवेदन खारिज कर देने के बाद भू स्वामी को भूमि राजस्व के डिप्टी कलेक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता होती है. नए नियमों की वजह से बीते दो महीने में भूमि आवेदन की गति में तेजी आई है.