19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार में अब एक ही खेत में होगा मखाना, मछली व सिंघाड़ा का उत्पादन, जानें किसान को होंगे प्रशिक्षित

कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि किसानों को साल भर जल-जमाव वाले कृषि क्षेत्र पर मखाना-मछली-पानी फल सिघाड़ा से साल भर आमदनी मिल सकेगा. मखाना अनुसंधन केंद्र द्वारा पानी फल सिघाड़ा के दो किस्मों स्वर्णा लोहित तथा स्वर्णा हरित विकसित किया गया है.

पटना. राज्य के मखाना उत्पादन करने वाले किसान अब एक ही खेत में मखाना, मछली और पानी फल सिंघाड़ा का उत्पादन कर सकेंगे. इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग दी जायेगी. इसकी जिम्मेवारी दरभंगा के राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र को दी गयी है. कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल द्वारा राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान दरभंगा का भ्रमण किया तथा इस अनुसंधान केंद्र द्वारा किये जा रहे कार्यों का अवलोकन कर आवश्यक निदेश दिया. उन्होंने कहा कि किसानों को साल भर जल-जमाव वाले कृषि क्षेत्र पर मखाना-मछली-पानी फल सिघाड़ा से साल भर आमदनी मिल सकेगा. मखाना अनुसंधन केंद्र द्वारा पानी फल सिघाड़ा के दो किस्मों स्वर्णा लोहित तथा स्वर्णा हरित विकसित किया गया है.

किसान खेत में एक फीट गढ़ा खोद कर मखाने की खेती कर रहे

श्री अग्रवाल ने कहा कि तालाब के साथ-साथ खेतों में मखाने की खेती को किस प्रकार और विकसित किया जा सके, इसके लिए प्रचार-प्रसार करने तथा किसानों का प्रशिक्षित करने के निदेश दिये गये. अब बड़ी संख्या में किसान खेत में एक फीट गढ़ा खोद कर मखाने की खेती कर रहे हैं तथा उन्हें अन्य फसलों से अधिक लाभ प्राप्त हो रहा है.

वैज्ञानिक पद्धति से होगा मखाना उत्पादकता का आकलन

कृषि सचिव ने कहा कि मखाना अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित स्वर्ण वैदही, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर द्वारा विकसित सबौर मखाना-1 तथा मखाना के पांरपरिक बीज से उत्पादन एवं तालाब में उत्पादित मखाना तथा खेत में उत्पादित मखाना के लाभ का तुलनात्मक अध्ययन होगा. साथ ही मखाना की उत्पादकता का आकलन वैज्ञानिक पद्धति से करने के भी निदेश दिये.

Also Read: पूर्णिया कृषि कॉलेज की तकनीक पर अब बंग्लादेश में होगा मखाना का उत्पादन, उच्चायुक्त ने सरकार को दिया प्रस्ताव

जलीय अनुसंधान गतिविधियों के लिए सहयोग

कृषि सचिव ने मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा में उपलब्ध प्रक्षेत्र का अधिकत्तम उपयोग जलीय अनुसंधान गतिविधियों के लिए करने का निदेश दिया.साथ ही, उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के सहयोग करने तथा विभाग की तरफ से दो करोड़ रुपये बजट प्रावधान करने का निदेश दिया.ाना

2002 में हुई थी स्थापना

राष्ट्रीय मखाना अनुंसधान केंद्र की स्थापना यहां 2002 में की गयी थी. स्थापना के तीन साल बाद ही 2005 में इसका नेशनल स्टेटस छीन लिया गया था. इसे पटना स्थित संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र के रूप में संचालित किया जाने लगा था. इस कारण इसका दायरा सिमट गया था. अनुसंधान समेत अन्य किसी भी कार्य के लिए केंद्र को पटना से अनुमति लेनी पड़ती थी. अब यह केंद्र सीधे केंद्र के नियंत्रण में संचालित होगा. इसका अपना बजट होगा. यह केंद्र अब सीधे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, दिल्ली के कृषि अभियांत्रिकी प्रभाग से संचालित होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें