चावल की उत्पादकता बढ़ी, धान उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ बिहार, अब सरकार बना रही ये योजना

किसानों को अब धान के लिए अलग से निबंधन कराने की जरूरत नहीं है. कृषि विभाग के निबंधन से ही धान खरीद होगी. विभागीय मंत्री गुरुवार को भी राहत देने की घोषणा कर सकते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 17, 2020 9:56 AM

अनुज शर्मा, पटना. धान उत्पादन में राज्य लगभग आत्मनिर्भर हो गया है. आधिकारिक घोषणा में भले ही देरी हो, लेकिन इस बार सरकार बीते सालों की तरह खाद्यान्न की जरूरत पूरी करने के लिए दूसरे राज्यों से चावल आयात करने के मूड में नहीं है.

‘आयात कोटे ’ की भरपाई के लिए कृषि, सहकारिता एवं गन्ना उद्योग मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने किसानों का पूरा धान खरीदने की योजना बनायी है़

यह भी दावा किया कि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन से आयातित चावल के बिहार पहुंचने में बाधा खड़ी हो गयी है और इसका असर खाद्य शृंखला पर पड़ने जा रहा है.

मंत्री का कहना है कि धान उत्पादन में राज्य चौथे नंबर पर है. हमको बाहर से धान मंगाने की कोई जरूरत नहीं है.

एमएसपी का लाभ बिचौलिये नहीं उठा पाएं, इसके लिए क्रय केंद्रों की धीमी और पुरानी परिपाटी भी बदली जा रही है.

सालों से 31 मार्च तक संचालित होने वाले धान क्रय केंद्र इस बार 15 फरवरी से पहले ही बंद करने का इरादा है.

बड़ी राहत यह भी दी है कि किसानों को अब धान के लिए अलग से निबंधन कराने की जरूरत नहीं है. कृषि विभाग के निबंधन से ही धान खरीद होगी. विभागीय मंत्री गुरुवार को भी राहत देने की घोषणा कर सकते हैं.

चावल उत्पादन में बीते पांच सालों में वृद्धि दर 2.8 फीसदी के करीब रही है. वित्तीय वर्ष 2013-14 में एक हेक्टेयर में 2110 किग्रा धान पैदा हो रहा था. 2017-18 में यह आंकड़ा 2447 किग्रा प्रति हेक्टेयर पर पहुंच गया.

इस बार 116 लाख एमटी धान का उत्पादन हुआ है. राज्य की खाद्यान्न शृंखला को मजबूत बनाये रखने के लिए सरकार को हर साल 30 – 31 लाख मीटरिक टन (एमटी) चावल की जरूरत पड़ती है. पैक्स और व्यापार मंडल करीब 20- 25 लाख एमटी धान ही खरीद पा रहे थे.

बाकी की जरूरत दूसरे राज्यों से चावल खरीद कर पूरी हो रही थी. कृषि, सहकारिता एवं गन्ना उद्योग मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह के आदेश के बाद सहकारिता विभाग के अधिकारी ऐसी कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं कि इसमें चावल की जरूरत के साथ ही बिचौलियों के मंसूबे भी ध्वस्त हो जायेंगे.

पूरा सरप्लस धान खरीद लेगी सरकार

इस बार राज्य में 1.16 करोड़ एमटी धान का उत्पादन हुआ है. सहकारिता विभाग के अधिकारियों का मानना है कि किसान अपनी सालभर की जरूरत का धान घर पर सुरक्षित रखने के बाद जो सरप्लस होता है उसे की बेचता है. इस सरप्लस धान की मात्रा करीब 45 लाख एमटी है. यह धान तीस लाख चावल की जरूरत पूरी कर देता है. इससे सरकार का भी लक्ष्य पूरा हो रहा है.

सरकार ने खरीद की प्रक्रिया का ट्रेंड बदला

किसानों को धान पर पूरी एमएसपी मिले इसके लिए क्रय केंद्रों की खरीद प्रक्रिया को बदल दिया है. सालों से परंपरा बनी हुई थी कि क्रय केंद्र 31 मार्च तक खरीद करते थे. किसान बहुत लेट होता है, तो भी फरवरी के मध्य तक अपना धान बेच देते हैं.

क्रय केंद्रों पर इस समय तक सुस्ती छायी रहती. किसान औन-पौने दामों में धान व्यापारी को बेच देते हैं. व्यापारी बाद में क्रय केंद्र पर इस धान काे एमएसपी के रेट पर बेच देते हैं. इस बार शुरू में ही खरीद तेज करा दी है. सहकारिता विभाग को अघोषित रूप से कह दिया है कि जल्दी -से- जल्दी टारगेट पूरा करें ताकि 15 फरवरी तक क्रय केंद्र बंद कर दिये जायें.

एमएसपी किसानों के लिए है

कृषि सहकारिता एवं गन्ना उद्योग विभाग मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने किा कि एमएसपी किसानों के लिए है. हम इस बार गारंटी दे रहे हैं कि सहकारिता विभाग धान खरीद में किसानों के अलावा किसी बिचौलिया, व्यापारी या मिलर को एमएसपी का लाभ नहीं लेने देगा.

अधिकारियों को निर्देश दिया गया है. 31 जनवरी या मध्य फरवरी तक धान खरीद का लक्ष्य पूरा कर लेंगे. किसान तो मध्य फरवरी तक अपना धान बेच देते हैं. इसके बाद तो बिचौलये ही क्रय केंद्रों पर पहुंचते हैं.

Posted by Ashish Jha

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