पटना. सरकारी विभागों में सभी स्तर के पदाधिकारी और कर्मियों की प्रोन्नति पर वर्ष 2019 से ही रोक लगी हुई है. इससे तमाम महकमों में सभी स्तर के कर्मियों की लगातार कमी होती जा रही है, क्योंकि प्रत्येक महीने दर्जनों कर्मी रिटायर होते जा रहे हैं. खासकर प्रोन्नति से भरे जाने वाले अधिकतर पद या तो पूरी तरह से खाली हो गये हैं या कुछ पदों पर स्वीकृत संख्या से आधे से भी कम कर्मी तैनात हैं.
राज्य में बिहार प्रशासनिक सेवा (बिप्रसे) के स्वीकृत पदों की संख्या 907 है, जिनमें 469 पद यानी 52% पोस्ट खाली हैं. इसी तरह बिहार सचिवालय सेवा (बिससे) के 2398 स्वीकृत पदों में 1795 पद यानी 75% और बिहार स्टेनोग्राफर सेवा (बिआसे) के 468 स्वीकृत पदों में 316 पद यानी 68% पद खाली हो गये हैं. ऐसी ही स्थिति बिहार वित्त सेवा, लेखा सेवा समेत अन्य सेवाओं की भी है.
सबसे ज्यादा समस्या बड़ी संख्या में सहायकों के खाली पदों के कारण हो रही है. इन पर नयी नियुक्त होनी है, लेकिन यह मामला भी अटका हुआ है. इस समस्या के मद्देनजर सरकार ने हाल में अवर सचिव, प्रशाखा पदाधिकारी और सहायक के पदों पर रिटायर्ड कर्मियों को एक वर्ष के लिए नियुक्त करने का फैसला लिया है. लेकिन इस निर्णय से विभागों को तुरंत तो मानव बल मिल जायेंगे, लेकिन इस निर्णय से प्रोन्नति की प्रक्रिया बाधित होगी.
अगर रिटायर्ड कर्मियों से प्रोन्नति वाले पदों को भर दिया जायेगा, तो आने वाले दिनों में कोर्ट के स्तर पर अंतिम आदेश आने के बाद जब प्रोन्नति वाले पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू होगी, तब वाजिब कर्मियों के लिए समस्या हो जायेगी. एक वर्ष बाद जब रिटायर्ड कर्मियों का अनुबंध समाप्त होगा, तभी रेगुलर कर्मियों की प्रोन्नति हो पायेगी. इस वजह से सभी कर्मचारी संघों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. प्रोन्नति की मांग को लेकर सभी सरकारी कर्मियों के संघ को एकजुट कर बनाये गये महासंघ ने तो इसके खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में है.
फिलहाल सरकारी कर्मियों की प्रोन्नति से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और 14 सितंबर को अंतिम सुनवाई होगी. इसके बाद ही इस पर कोई अंतिम फैसला आयेगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट के स्तर से प्रोन्नति को रोकने से संबंधित कोई स्पष्ट आदेश नहीं है. इस पर सरकार तात्कालिक प्रोन्नति की व्यवस्था कर सकती है. लेकिन, सरकार ने प्रोन्नति से जुड़े सभी मामलों पर रोक लगा दी है. इस वजह से यह समस्या हो गयी है.
बिहार प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष शशांक शेखर प्रियदर्शी कहते हैं कि प्रोन्नति की तत्काल व्यवस्था करने के लिए सरकार को वैकल्पिक सुझाव दिया गया था, लेकिन सरकार ने इसे नहीं माना और रिटायर्ड अफसरों की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया. यह कार्यरत कर्मियों पर कुठाराघात है.
इसी प्रकार बिहार सचिवालय सेवा संघ के अध्यक्ष बिनोद कुमार कहते हैं कि रिटायर्ड कर्मियों को नियुक्त करने का निर्णय गलत है. इससे प्रोन्नति की प्रक्रिया बाधित होगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक तात्कालिक प्रोन्नति की व्यवस्था होनी चाहिए. रिटायर्ड कर्मियों की नियुक्ति करनी ही है तो बेसिक पदाें पर हो.
Posted by Ashish Jha