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UGC: डिग्री, डिप्लोमा में अब समय की बाध्यता खत्म करने के लिए प्रस्ताव तैयार, यूजीसी जारी करेगा नया नियम

यूजीसी के एक पैनल ने सिफारिश की है कि एक छात्र को उस स्थिति में डिग्री अवॉर्ड करने के लिए विचार किया जा सकता है, जिसमें प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या डिग्री कार्यक्रम की न्यूनतम अवधि पूरी न होने के बावजूद क्रेडिट की आवश्यक संख्या अर्जित कर ली हो

पटना. डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के लिए अब समय की बाध्यता खत्म होगी. अब स्नातक प्रमाणपत्र, स्नातक डिप्लोमा और स्नातकोत्तर डिप्लोमा के स्तर पर भी योग्यता को मान्यता दी जायेगी. यानी उच्च शिक्षा के किसी कोर्स के लिए छात्र-छात्राओं पर यह बाध्यता नहीं होगी कि उन्हें कोई डिग्री-डिप्लोमा इतनी अवधि की पढ़ाई के बाद ही मिल सकता है. अब समय से पहले भी डिग्री हासिल की जा सकती है. इसके लिए जरूरी क्रेडिट पूरा करना होगा.

उच्च शिक्षा में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के प्रावधानों को देखते हुए, राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क और अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए पाठ्यक्रम और क्रेडिट फ्रेमवर्क की परिकल्पना की गयी है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक समिति ने इस आशय की सिफारिश की है. इस पर क्रियान्वयन के साथ उच्च शिक्षा में पढ़ाई का ढांचा पूरी तरह बदल जायेगा. यूजीसी के एक पैनल ने सिफारिश की है कि एक छात्र को उस स्थिति में डिग्री अवॉर्ड करने के लिए विचार किया जा सकता है, जिसमें प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या डिग्री कार्यक्रम की न्यूनतम अवधि पूरी न होने के बावजूद क्रेडिट की आवश्यक संख्या अर्जित कर ली हो.

क्रेडिट फ्रेमवर्क के आधार पर जारी होगा प्रमाणपत्र

यूजीसी ने डिग्री की विशेषताओं संबंधी नियम-कायदों की समीक्षा और डिग्री-डिप्लोमा के लिए नयी नाम प्रणाली तय करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था. समिति ने कहा है कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के ढांचे में जिस तरह एंट्री और एक्जिट के कई प्रावधान किये गये हैं और नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क और अंडरग्रेजुएट कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क व कैरिकुलम की व्यवस्था की गयी है, उसे देखते हुए अंडर ग्रेजुएट सर्टिफिकेट, अंडरग्रेजुएट डिप्लोमा और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा के लिए अलग-अलग स्तर पर पात्रता को मान्यता देने की जरूरत है. इसका मतलब है कि क्रेडिट फ्रेमवर्क के आधार पर प्रमाणपत्र हासिल किये जा सकेंगे.

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समिति ने कहा है कि अगर कोई विद्यार्थी किसी कोर्स के लिए जरूरी क्रेडिट हासिल कर लेता है तो उसे उस आधार पर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा अथवा डिग्री प्रदान की जा सकती है. भले ही उस कोर्स के लिए न्यूनतम समयावधि कुछ भी हो. डिग्री के लिए नाम पद्धति अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप होगी. समिति ने मौजूदा समय की जरूरतों और उभरती सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप नयी नाम पद्धति लागू करने की भी बात कही है. इसे यूजीसी के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा, लेकिन विश्वविद्यालयों को अपने प्रस्ताव के साथ उसका औचित्य भी साबित करना होगा. इस तरह के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए जो स्थायी समिति होगी, वह सभी मामलों पर विचार करेगी और फिर आयोग को अपनी सिफारिश सौंपेगी.

समिति ने सुझाव दिया है कि यूजीसी अपनी सभी अधिसूचनाओं को प्रकाशित करे, जिसके साथ डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के नामों की पूरी सूची होगी. इसमें सभी पहले वाली डिग्री को भी शामिल किया जाना चाहिए, जिससे विद्यार्थियों को संदर्भ समझने के लिए स्पष्टता रहे.

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