Patna: BPSC परीक्षा रद्द कराने को लेकर शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन बन गया राजनीतिक ‘अखाड़ा’

BPSC: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा रद्द कराने की छात्रों की मांग पर अब जमकर राजनीति हो रही है.

By Prashant Tiwari | December 31, 2024 6:10 PM

Patna: बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने और इसकी फिर से परीक्षा लेने की मांग को लेकर शुरू हुए छात्र आन्दोलन में राजनीतिक दलों के नेताओं के कूद जाने के बाद अब यह आन्दोलन राजनीतिक अखाड़ा बनते जा रहा है. दरअसल, प्रदेश में  सभी राजनीतिक दल अगले साल होने वाले चुनाव की तैयारी में जुटे हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि इस मामले के जरिये वह युवाओं और छात्रों के हितैषी बनने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते. कहा तो यहां तक जा रहा है कि चुनावी साल में करीब सभी राजनीतिक दल इस आंदोलन की गर्मी में राजनीतिक रोटी सेंकना चाह रहे हैं.

नॉर्मलाइजेशन को लेकर शुरू हुआ था विरोध

वैसे देखा जाए तो इस परीक्षा की शुरुआत में ही नॉर्मलाइजेशन को लेकर छात्र सड़कों पर उतरे थे. हालांकि आयोग की सफाई के बाद यह मामला शांत हो गया. लेकिन पीटी की परीक्षा के दौरान हुए पटना के बापू भवन स्थित परीक्षा केंद्र में अनियमितता को लेकर हुए हंगामे और इस परीक्षा केंद्र पर हुई परीक्षा को रद्द करने और फिर से पुनर्परीक्षा लिए जाने के आयोग के निर्णय के बाद अभ्यर्थी पूरी परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इसके बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थी पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पहुंचे और धरना पर बैठ गए. 

विरोध प्रदर्शन ऐसे बना राजनीतिक अखाड़ा

अब अभ्यर्थियों की नाराजगी का मुद्दा बड़ा हो गया है. बीते करीब दो सप्ताह से चल रहा बीपीएससी अभ्यर्थियों का आंदोलन अब राजनीतिक रूप ले चुका है. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने जब धरनास्थल पहुंचकर छात्रों के आन्दोलन का समर्थन दिया तो फिर जन सुराज प्रशांत किशोर और निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भी मोर्चा संभाल लिया। पप्पू यादव ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकात की तो प्रशांत किशोर मुख्य सचिव के पास छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल को लेकर पहुंच गए. फिलहाल परीक्षा रद्द करने को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ लेकिन इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक बयानबाजियों का दौर जारी है. 

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समर्थन देने का दिखावा करते हैं दल: अभ्यर्थी

हालांकि, इस आन्दोलन की शुरुआत करने वाले छात्र नेता दिलीप कुमार कहते हैं कि जो भी पार्टी विपक्ष में रहती है, उस पार्टी के नेता हो रहे आंदोलन के साथ चले जाते हैं. वह समर्थन देने का दिखावा करते हैं. लेकिन जब सरकार में आते हैं, तो चुप्पी साध लेते हैं, लाठी चार्ज करवाते हैं. वे चाहे किसी भी पार्टी के नेता हों. उन्होंने यह भी कहा कि इस आन्दोलन का पूरा राजनीतिकरण कर दिया गया. 

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