प्रभात पड़ताल: 25 लाख की आबादी वाले पटना में 25 पब्लिक टॉयलेट तक ठीक नहीं
राजधानी में पब्लिक टॉयलेट की हालत बद से बदतर है. शहर में कई हिस्सों में यूरिनल और पब्लिक टॉयलेट बने तो हैं, लेकिन रखरखाव न होने और प्रोपर मॉनिटरिंग न होने के कारण उनकी हालत ठीक नहीं है. इससे राहगीरों को खासकर महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
पटना. स्वच्छ भारत मिशन के तहत ‘खुले में शौच’ पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार की ओर से कई तरह की पहल की जा रही है. इस पर अच्छी खासी रकम भी खर्च हो रही है, ताकि शहर के लोगों को इससे मुक्ति मिल सके. हालांकि वर्ष 2021 में पटना को खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ वाले शहरों की सूची में शामिल किया गया. लेकिन 25 लाख की आबादी वाले शहर में जब 25 पब्लिक टॉयलेट तक काम के नहीं हैं, तो ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर को भला कैसे साफ और सुंदर बनाया जा सकता है. इस पर सवाल भी उठने लगे हैं. हालत तो यह है कि शहर में जरूरत से बहुत कम पब्लिक टॉयलेट हैं. शहर के कई हिस्सों में नगर निगम ने 76 सार्वजनिक शौचालय बनाये तो हैं, लेकिन रख-रखाव न होने कारण उसकी हालत बदतर है. ऐसे टॉयलेट की तो हालत ऐसी है कि इनका यूज करना तो दूर इनके पास से गुजरना भी मुश्किल है. अधिकतर में सफाई की व्यवस्था सही नहीं है और कई पर ताला लटका रहता है.
शहर के विभिन्न लोकेशन में बने यूरिनल का हाल
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इस्तेमाल के लायक नहीं पटना जंक्शन गोलंबर पर बने 14 टॉयलेट
पटना जंक्शन गोलंबर के फ्रेजर रोड मुहाने पर बुद्धा स्मृति पार्क के चारदीवारी के किनारे 14 टायलेट बनाये गये हैं. इनमें 10 पुराने जबकि चार नये डीलक्स टॉयलेट हैं. पुराने सभी टॉयलेट में ताला लटका दिखता हैै और इसके गेट से सटा कर बगल में ठेला लगाने वाले अपने फल का बोरा और अन्य सामान रखे रहते हैं. डीलक्स टॉयलेट के भीतर भी कचरा का अंबार लगा है ओर ताला भी लटका है जिसके कारण इनका इस्तेमाल संभव नहीं है.
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जीपीओ गोलंबर पर इ-टॉयलेट में भी लटका है ताला
जीपीओ गोलंबर पर लगभग एक साल पहले चार इ-टॉयलेट बने लेकिन पानी की कमी के कारण इनमें भी ताला लटका रहता है. यह ताला भी सामान्य नहीं होकर बल्कि इ-लॉक है, जो विशेष कोड से लॉक होता है . सवाल है कि जब पानी या अन्य जरूरी सुविधाएं देना संभव नहीं था तो वैसे जगहों पर टॉयलेट क्यों बनवाये गये?
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जगह जगह दीवार को गंदा कर रहे लोग
टॉयलेट की कमी के कारण जरूरत महसूस होने पर लोग सड़क किनारे जगह तलाशते हैं और जहां कहीं दीवारों का कोना मिलता है उसे गंदा करने से नहीं चूकते हैं. इससे न केवल ऐसे येलो स्पॉट के आसपास दुर्गंध फैलता है, बल्कि शहर की छवि भी खराब हो रही है.
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शहर में पिंक टॉयलेट की भी कमी
शहर में टॉयलेट की तो कमी है ही महिला (पिंक) टॉयलेट की और भी कमी है. इसके कारण घर से बाहर निकलने के बाद महिलाओं को जब जरूरत महसूस होती है तो वे बहुत परेशानी में पड़ जाती हैं क्योंकि उन्हें ढूंढने पर भी आसपास टायलेट नहीं दिखाई देता है. पुरुष की तरह वे दीवार को भी गंदा नहीं कर सकती हैं, लिहाजा उन्हें अपनी जरूरत को बलपूर्वक दबाना पड़ता है. यदि कही टॉयलेट दिखता भी है, तो वहां इतनी गंदगी पसरी रहती है कि इस्तेमाल भी मुश्किल होता है. कई बार तो उन्हें नाक पर रुमाल रखकर वहां जाना और आना पड़ता है.
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बीमार और बुजुर्गों को होती है काफी परेशानी
शहर में टायलेट और पिंक टॉयलेट की कमी से सबसे अधिक परेशानी बीमार लोगों को हो रही है. डायबिटीज के मरीजों को न केवल जल्द लघुशंका महसूस होती है बल्कि उसे दबाना भी उनके लिए मुश्किल होता है. बुजुर्गों को भी इसके कारण परेशानी महसूस होती है क्योंकि जरूरत महसूस होने पर अपनी जरूरत को दबाने की उनकी क्षमता कम हो जाती है.
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धरी की धरी रह गयी योजना
राजधानी को वर्ष 2021 में ओडीएफ प्लस घोषित किया जा चुका है फिर भी शहर में पब्लिक टॉयलेट की स्थिति ठीक नहीं है. नगर निगम ने बीते वर्ष में दावा किया था कि जल्द ही वह गूगल मैप से शहर के सभी पब्लिक टॉयलेट को जोड़ देगी. इससे कोई भी व्यक्ति जरूरत महसूस होने पर अपने नजदीक में मौजूद पब्लिक टॉयलेट का लोकेशन देख सकेगा और बिना किसी परेशानी के वहां पहुंच सकेगा. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है.
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नये टॉयलेट के निर्माण में जगह की कमी
नगर निगम ने समस्या के निदान के लिए चालू वित्तीय वर्ष के बजट में 15 करोड़ की राशि आवंटित की है. शहर के 50 से अधिक येलो स्पॉट को चिन्हित किया गया है और वहां टॉयलेट और यूरिनल बनाने की योजना बनायी गयी है . लेकिन इस काम में सबसे बड़ी बाधा जमीन की कमी से आ रही है और व्यस्त चौराहों और बाजारों में ऐसे जगह नहीं मिल रहे हैं जहां पब्लिक टॉयलेट या यूरिनल बनाया जाये.
जगह चिन्हित कर बनेगा यूरिनल व पब्लिक टॉयलेट
शहर में बहुत जल्द जगह चिन्हित कर हम लोग पब्लिक टॉयलेट और यूरिनल का निर्माण करवायेंगे. इसके लिए बजट में 15 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. जहां तक सवाल यूरिनल और पब्लिक टॉयलेट में ताला जड़े रहने की बात है, तो इस मामले में छानबीन की जायेगी. वहीं शहर में महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट बनाने की भी योजना है, इसपर भी जल्द काम किया जायेगा. – सीता साहू, मेयर पटना नगर निगम