12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार में 61 साल पहले सिग्नल एरर से हुआ था रेल हादसा, डुमरांव स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी पंजाब मेल

बालासोर रेल दुर्घटना से पूरा देश दुखी है. दुर्घटना की वजह इंटरलॉक्ड सिग्नलिंग प्रणाली में चूक माना जा रहा है. करीब 61 वर्ष पूर्व डुमरांव स्टेशन पर ऐसी दुर्घटना हुई थी. जिसमें लगभग 130 लोगों की जान चली गयी थी, तब भी दुर्घटना की वजह सिग्नल देने में चूक थी.

विष्णुदत्त द्विवेदी, बक्सर. 26 जुलाई,1962 गुरुवार का दिन और रात के करीब 10:30 बज रहे थे. डुमरांव स्टेशन पर अचानक जोरदार धमाके जैसी आवाज हुई. इसके बाद कोलाहल मच गया. हावड़ा जाने वाली पंजाब मेल (6 डाउन) डाउन प्लेटफार्म पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गयी. हादसा इतना भीषण था कि पंजाब मेल के पांच डिब्बे उछल कर मालगाड़ी के ऊपर जा चढ़े.पंजाब मेल का इंजन मालगाड़ी के इंजन में घुस गया. कई किलोमीटर दूर से टकराने की आवाज सुनी गई. ट्रेन के बोगियों के दरवाजे पर खड़े लोगों के शव आसपास के पेड़ों से चिपक गये थे. तब इसे ईस्टर्न रेलवे का सबसे बड़ा हादसा बताया गया था.

घटना का कारण केबिन मैन की गलती थी. डाउन प्लेटफार्म पर खड़ी मालगाड़ी का इंजन पश्चिम दिशा की तरफ था. पश्चिम से आ रही पंजाब मेल का ठहराव डुमरांव स्टेशन पर नहीं था. केबिन मैन ने पंजाब मेल को सीधे निकल जाने के लिए सिग्नल को हरा कर दिया, लेकिन मेन लाइन को लूप लाइन में बदलने को भूल गया. पंजाब मेल के ड्राइवर ने आउटर सिग्नल से ही हरी बत्ती को देख गाड़ी की रफ्तार को और तेज कर दिया. लेकिन पटरी नहीं बदला और लगभग 110 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से भाग रही पंजाब मेल मालगाड़ी से टकरा गयी.

घटना के चश्मदीद हैं गुलाब सिंह

औद्योगिक थाना बक्सर के दलसागर गांव के रहने वाले गुलाब सिंह घटना के चश्मदीद गवाह हैं. तब वे अपने मामा प्रख्यात सर्जन डॉक्टर जगनारायण सिंह के यहां डुमरांव में रहा करते थे. गुलाब सिंह ने बताया कि वह आंगन में बैठ खाना खा रहे थे कि बहुत जोरदार टक्कर की आवाज सुनाई दिया. थोड़ी देर बाद दारोगा सूर्यवंश सिंह ने पुलिस को भेज कर उनके मामा डॉ जगनारायण सिंह को दवाई एवं अन्य स्टाफ को लेकर तत्काल स्टेशन पहुंचने को कहा. गुलाब सिंह भी अपनी साइकिल से स्टेशन पहुंच गये. लोहे के ब्रेक का रॉड ड्राइवर के पेट में आर पार निकला हुआ था. चारों तरफ चीख-पुकार थी.ट्रेन के बोगियों के दरवाजे पर खड़े लोगों की लाश पेड़ों से चिपकी हुई मिली थी. घायल लोगों को टमटम परलाद कर राज अस्पताल पहुंचाने में स्थानीय लोग लगे हुए थे. केबिनमैन वरुणा का रहने वाला था जो घटना के बाद भाग चुका था.

Also Read: ‘नहीं जायेंगे अब ट्रेन में, अम्मी के पास ही रहेंगे’, बालासोर से बिहार लौटे बच्चों में दिखा हादसे का खौफ
महाराज ने फैक्ट्री के मजदूरों को राहत कार्य में लगाया

घटना के फौरन बाद महाराजा बहादुर कमल सिंह स्टेशन पहुंचे. स्टेशन के पास महाराज का लालटेन फैक्ट्री (डुमराव इंडस्ट्रियल प्राइवेट लिमिटेड) था, जिसमें लगभग 150 मजदूर काम करते थे. इस संबंध में महाराजा बहादुर स्वर्गीय कमल सिंह के पुत्र महाराज चंद्र विजय सिंह ने बताया कि महाराज लालटेन फैक्ट्री से सभी मजदूरों को लोगों को बचाने में लगा दिया गया. फैक्ट्री से लोहा काटने के औजार को भी मंगाकर बोगी को काट फंसे यात्रियों को निकाला गया. पूरी रात महाराज बचाव कार्य में लगे रहे. दुर्घटना में राष्ट्रीय स्तर के एक एथलीट को उन्होंने बचा तो लिया, लेकिन पैर गंवा देने के कारण वह आगे खेल में शामिल नहीं हो सका.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें