पूर्णिया एयरपोर्ट: 1933 में पहली बार उड़ा विमान, पीएम मोदी की सौगात और दो सरकारों के बीच की जिद, जानिए विवाद..

पूर्णिया एयरपोर्ट का विवाद अब तूल पकड़ता जा रहा है. पूर्णिया एयरपोर्ट से पहली बार वर्ष 1933 में पहली बार विमान उड़ा था. उसके बाद कई बार और विमान उड़े लेकिन सेवा बंद हो गयी. अब जब पीएम मोदी ने सौगात दिया तो क्या पेंच फंसा है. जानिए..

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 15, 2023 11:27 AM

Purnea Airport Controversy: पूर्णिया एयरपोर्ट के सवाल पर अब आंदोलन उग्र होने लगा है. पूर्णिया अभी कुछ महीनों से सियासी उठापटक का बड़ा केंद्र बना हुआ है. गृह मंत्री अमित शाह के बाद महागठबंधन ने यहां काफी बड़ी रैली की और आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी का आगाज किया. वहीं सीमांचल की राजनीति तब और गरमायी जब AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल में दौरा किया और तमाम राजनीतिक दलों के कार्यक्रम में पूर्णिया एयरपोर्ट (purnia Airport) का मुद्दा हावी रहा. पूर्णिया और हवाई जहाज उड़ने के इतिहास को जानिए..

1933 में पहली बार उड़ा विमान

पूर्णिया 253 साल की उम्र सीमा से गुजर रहा है. 1933 में पहली बार हवाई जहाज ने पूर्णिया से उड़ान भरी थी. लालबालू से एवरेस्ट के लिए पहली बार यहां से उड़ान भरी थी. 1956 में भी पूर्णिया से हवाई सेवा शुरू हुई थी. लोग बताते हैं कि कई बार यहां से हवाई सेवा शुरू हुई और बंद हो गयी.

Also Read: Bihar: पूर्णिया एयरपोर्ट में कहां फंसा है पेंच? जानिये किस गलती की वजह से आजतक उलझा हुआ है प्रोजेक्ट
2015 में पीएम मोदी ने की घोषणा

1965 में पूर्णिया के चुनापुर में सैन्य हवाई अड्डा बना. वहीं 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्णिया एयरपोर्ट चालू करने की घोषणा की थी. हवाई चप्पल पहनने वालों को हवाई सफर कराने की बात यहीं से पीएम ने की थी. 52.18 एकड़ जमीन पूर्णिया एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहीत की गयी. भूमि अधिग्रहण के लिए 2025.22 लाख रुपए दिये गये थे.09 करोड़ के करीब जमीन अधिग्रहण में खर्च किए गए. वहीं 75 रैयतों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था.

यहां फंसा है पेंच..

एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहीत भूखंड से फोरलेन या एनएच से कनेक्टिविटी में पेंच फंसा हुआ है. इसके लिए अलग से 15 एकड़ और जमीन की जरुरत है. लेकिन ये मामला सरकार के फैसले में लगे पेंच में अटका हुआ है. 15 एकड़ भूखंड का अधिग्रहण होने के बाद एयरपोर्ट ऑथिरिटी ऑफ इंडिया इस अधिग्रहीत भूखंड को विधिवत हस्तगत कर लेगा. पूर्णिया एयरपोर्ट के लिए सरकार के इसी फैसले का इंतजार लोग कर रहे हैं.

केंद्र व राज्य के बीच पत्र युद्ध

एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया और बिहार सरकार के बीच लंबे समय ये पत्र युद्ध चल रहा है.पूर्णिया में एयरपोर्ट के लिए 52.18 एकड़ जमीन का अधिग्रहण पहले ही हो चुका है. लेकिन एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया इसमें अपने प्रस्ताव की अनदेखी की बात करता है.

दोनों तरफ की इस जिद, इंतजार हुआ लंबा

एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने इसमें संशोधन किया है और अब संशोधित प्रस्ताव के अनुसार 15 एकड़ अतिरिक्त जमीन के अधिग्रहण की जरुरत है. एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया का कहना है कि राज्य सरकार ये जमीन पहले मुहैया कराए उसके बाद काम शुरू होगा. वहीं राज्य सरकार का कहना है कि जो जमीन उनके पास है उसपर पहले काम शुरू करें. बाद में अतिरिक्त जमीन भी उपलब्ध करा दिया जाएगा. दोनों तरफ की इस जिद के कारण मामला पेंच में फंसा है.

Published By: Thakur Shaktilochan

Next Article

Exit mobile version