हर कदम फूटते हैं उ-आह के स्वर
दर्द की इंतेहां. बगल में कमिश्नरी व कलेक्ट्रेट, साहबों का भी सड़क पर ध्यान नहीं पूर्णिया : काफी पुरानी कहावत है चिराग तले अंधेरा. सिपाही टोला रोड के संदर्भ में यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है. आयुक्त कार्यालय, समाहरणालय व नगर निगम से यह सड़क बमुश्किल आधा किमी दूर है. इस सड़क से दो सौ […]
दर्द की इंतेहां. बगल में कमिश्नरी व कलेक्ट्रेट, साहबों का भी सड़क पर ध्यान नहीं
पूर्णिया : काफी पुरानी कहावत है चिराग तले अंधेरा. सिपाही टोला रोड के संदर्भ में यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है. आयुक्त कार्यालय, समाहरणालय व नगर निगम से यह सड़क बमुश्किल आधा किमी दूर है. इस सड़क से दो सौ मीटर की दूरी पर उप विकास आयुक्त और अपर समाहर्ता का सरकारी आवास है. मगर इस सड़क का दुर्भाग्य है कि इन अधिकारियों को इस सड़क से आवाजाही नहीं करनी पड़ती है. शायद यही वजह है कि यह सड़क अस्तित्व के संकट से गुजर रही है.
हर राहगीर उठा रहा सवाल : सिपाही टोला सड़क में गड्ढे हैं या फिर गड्ढे में सड़क. जब आप इस सड़क से गुजरेंगे तो खुद ही समझ जायेंगे. हर एक कदम पर उफ,आह और गुस्से के स्वर फूटेंगे. इस सड़क के दोनों तरफ घनी आबादी है. कई सालों से सड़क की यही हालत रहने पर लोगों में बरबस असंतोष के स्वर फूट पड़ते हैं. चूंकि यह सड़क आवागमन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण सड़क है. इसलिए राहगीरों और मुसाफिरों की आवाजाही का सिलसिला चलता रहता है.
दो एनएच को जोड़ती है यह सड़क : सिपाही टोला रोड को शहर के बायपास से नवाजा जाता है. यह सड़क दो नेशनल हाइवे को एक-दूसरे से जोड़ती है. एनएच 107 पर मधुबनी चौक और एनएच 31 पर मरंगा इस सड़क के दो छोर हैं. पश्चिम की तरफ से आ रहे वाहनों को अगर शहर में अंदर तक घुसे बिना ही शहर से बाहर दक्षिण की ओर निकलना हो तो यह सड़क सबसे बेहतरीन विकल्प है.
सड़क व नाला निर्माण में पांच करोड़ की जरूरत : सिपाही टोला रोड में जलजमाव की समस्या से स्थायी मुक्ति के लिए सड़क के साथ-साथ नाला निर्माण की जरूरत है. वार्ड पार्षद अर्जुन सिंह ने बताया कि इसके लिए करीब 5 करोड़ की योजना की जरूरत है. नगर निगम के स्तर से इतनी बड़ी योजना के लिये कई बार प्रयास किये गये पर वे सफलीभूत नहीं हो पाये. उन्होंने बताया कि अगर सांसद और विधायक दिलचस्पी दिखाएं तो इस सड़क का जीर्णोद्धार हो सकता है.