पूर्णिया : रमजान के पाक महीना और ईद जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर बाजार मंदा चल रहा है. इससे ईद के मौके पर ईद के सामानों से पटे बाजार आभाहीन दिख रहे हैं. व्यवसायियों के जोश अन्य वर्षों की अपेक्षा ठंडे पड़े हुए हैं.
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ईद के बाजार पर नोटबंदी और जीएसटी की मार
पूर्णिया : रमजान के पाक महीना और ईद जैसे महत्वपूर्ण त्योहार पर बाजार मंदा चल रहा है. इससे ईद के मौके पर ईद के सामानों से पटे बाजार आभाहीन दिख रहे हैं. व्यवसायियों के जोश अन्य वर्षों की अपेक्षा ठंडे पड़े हुए हैं. ऐसा नहीं कि बाजार में खरीदार नहीं आ रहे हैं बल्कि जिस […]
ऐसा नहीं कि बाजार में खरीदार नहीं आ रहे हैं बल्कि जिस तेवर से ईद की खरीदारी होनी चाहिए उस तरीके से बिक्री नहीं हो रही है. कुछ व्यवसायियों ने तो यहां तक कह डाला कि उन्हें महसूस ही नहीं हो रहा है कि इस बार ईद भी हो रहा है. दुकानदारों की ईद तो दुकानदारी होती है. बेचने के लिए जो सामान पूर्व से लाया जाता था वो ईद के एक हफ्ते पूर्व ही समाप्त हो जाता था. इस बार वैसा नहीं हुआ. खाने पीने के सारे सामान दुकानों में आज भी लगी हुई है. टोपी बेचने वाले साजिद कहते हैं कि हर साल वे दो हजार टोपियां बेच लेते थे. इस साल किसी तरह पांच सौ टोपियां बिक पायी है.
कपड़ा दुकानदार राजेश कुमार कहते हैं कि इस बार ईद के मौके पर बिक्री उतनी नहीं हुई. ईद के एक हफ्ते पूर्व तक कपड़ों की काफी ज्यादा खरीदारी होती थी. दुकान खाली हो जाते थे. इस बार वैसी स्थिति नहीं है. बूचर खाना के मालिक मो शाकिर कहते हैं कि इर बार चिकेन और मटन की बिक्री कम हुई. ईद के दो दिन बचे हुए हैं अब तक एक भी एडवांस बुकिंग नहीं हुए. रमजान के दिनों दिनभर उनका बूचर खाना चलता था. इस बार ग्राहक नहीं होने के कारण दोपहर में दुकान बंद कर चले जाते हैं और शाम में आते हैं.
नोटबंदी का है असर : लच्छा एवं सेवई के विक्रेता कैयूम जफर कहते हैं कि नोटबंदी के बाद इस साल का यह पहला ईद है. चूंकि खरीदार नहीं आ रहे हैं इससे लगता है कि लोगों पर नोटबंदी का आज भी असर है. उन्होंने बताया कि इस साल लोग सबसे ज्यादा कोलकाता एवं पटना वाला लच्छा छोड़ बनारसी सेवई खरीद रहे हैं. लच्छा से बनारसी सेवई सस्ती है. लोग इस बार कम बजट में काम चला रहे हैं. ग्राहक भी नोटबंदी की चर्चा कर चले जाते हैं.
जीएसटी के डर से बाजार प्रभावित : जूता चप्पल व्यवसायी मो माईन खान कहते हैं कि इस बार दुकानदारी अच्छी नहीं हुई. अगले माह से लागू होने वाले जीएसटी को लेकर उन्होंने बाहर से माल नहीं लाया. जो माल पहले से था उसे ही खपा रहे हैं. स्टॉक में पहले से भी कम माल था. चूंकि माल ही नहीं है इसलिए ग्राहक होते हुए भी वे माल सप्लाई नहीं कर पाये. उन्होंने बताया कि वे जहां से माल लाते हैं वहां भी जीएसटी को लेकर संशय बना हुआ है.
सामानों की कीमत
सेवई- 100 से 180 रुपये
नान रोटी-20 रुपये पीस
खजूर-300 रुपये किलो
काजू- 1000 रुपये किलो
किशमिश-300 रुपये किलो
छोहारा 150 रुपये किलो
चिकेन पॉल्ट्री 120 रुपया किलो
चिकेन देशी- 220 रुपये किलो
मटन -440 रुपये किलो
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