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बिजली व्यवस्था चरमरायी, लोग परेशान
पूर्णियाः पिछले एक सप्ताह से शहर की बिजली व्यवस्था चरमरा गयी है. इससे एक तरफ जहां आम लोग परेशान हैं वहीं छात्रों का एक बडा वर्ग भी कठिनाई में पड. गया है. इस संबंध में विभाग के पास कोई माकूल जवाब नहीं है. बिजली की बेरुखी से शहर बेनूर लगने लगा है. यहां शाम होते […]
पूर्णियाः पिछले एक सप्ताह से शहर की बिजली व्यवस्था चरमरा गयी है. इससे एक तरफ जहां आम लोग परेशान हैं वहीं छात्रों का एक बडा वर्ग भी कठिनाई में पड. गया है. इस संबंध में विभाग के पास कोई माकूल जवाब नहीं है. बिजली की बेरुखी से शहर बेनूर लगने लगा है. यहां शाम होते ही अंधेरा छा जाता है. बीती रात संध्या सात बजे से लेकर मध्य रात्रि तक बिजली का जहां आंख मिचौनी चलता रहा वहीं उपभोक्ताओं में काफी ऊहापोह रहा. इस मसले को लेकर उपभोक्ता अब इसके विरुद्ध आंदोलन का मूड बना रहे हैं.
दरअसल बिजली की लुकाछिपी एवं वक्त पर ही गुल हो जाने की हालत कम से कम एक सप्ताह से बनी हुई है. बिजली की इस हालत ने शहर एवं सघन बस्ती के लोगों का जोश ठंडा कर दिया है. शाम होते ही बाजार जेनेरेटर के हवाले हो जाता है. गौरतलब है कि बिजली विभाग बिल वसूली से लेकर डिसकनेक्शन में कहीं से पीछे नहीं है. उपभोक्ताओं का कहना है कि जब बिजली विभाग इन मामलों में पीछे नहीं है तो विद्युत आपूर्ति में मजाक क्यों?
छात्रों का संकट : छात्रों का संकट बिजली की व्यवस्था को लेकर काफी बढ. गया है. उनके पढ.ने के समय ही बिजली गुल हो जाती है. जिससे छात्रों के सामने एक बडा संकट अब नियति बनती जा रही है.
पर्याप्त आपूर्ति मिल रही है. स्थानीय तौर पर मेंटेनेंस में गड.बडी को लेकर ऐसी स्थिति हुई है. इसका निराकरण करवाया जा रहा है.
जेके भानू
अधीक्षण अभियंता, विद्युत प्रमंडल पूर्णिया
उपभोक्ता के साथ मजाक बरदाश्त नहीं : राकेश
बिजली के लिए पिछले एक दशक से आवाज उठाने वाले बिहार विकास मोरचा के नेता राकेश कुमार सिंह ने कहा कि उपभोक्ताओं के साथ कतिपय मजाक बरदाश्त नहीं होगी. उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के पास यदि बकाया रहता है तो उसकी वसूली के लिए विभाग के लोग तीर-कमान कसे रहते हैं.
लेकिन जब उपभोक्ताओं की परेशानी बढ.ती है तो शिकायत अथवा परेशानी सुनने वाला कोई नहीं मिलता. यह एक मजाक नहीं तो और क्या है. उन्होंने कहा कि जब बिजली की आपूर्ति पर्याप्त है तो उपभोक्ताओं को भी इसका लाभ मिलना चाहिए. यदि मेंटेनेंस की गड.बडी है तो यह विभाग के अधिकारियों की कमजोरी मानी जायेगी. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति पूर्व में भी कई बार हो चुकी है. समाधान आंदोलन के जरिये हुआ था. यदि समय पर सुधार नहीं हुआ तो चुनाव के बाद पूरे जिले के उपभोक्ताओं को एक मंच पर लाकर आर-पार की लड.ाई के रूप में विशाल आंदोलन खड.ा कर दिया जायेगा.
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