कोढ़ा गैंग : बिना हथियार देते हैं बड़ी लूट की घटना को अंजाम, बचपन से सीखा है अपराध का ककहरा

पूर्णिया, प्रतिनिधि : कोढ़ा गैंग अपराध की दुनिया में जाना-पहचाना नाम है. खास कर बैंक के बाहर लूट और छिनतई की घटना में इस गिरोह को विशिष्टतता हासिल है. इसके अलावा बाइक चोरी, चेन स्नेचिंग और नशा के माध्यम से लोगों को लूटना इनकी कार्यशैली का हिस्सा है. जैसा कि नाम है, इस गिरोह की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 21, 2017 6:57 PM

पूर्णिया, प्रतिनिधि : कोढ़ा गैंग अपराध की दुनिया में जाना-पहचाना नाम है. खास कर बैंक के बाहर लूट और छिनतई की घटना में इस गिरोह को विशिष्टतता हासिल है. इसके अलावा बाइक चोरी, चेन स्नेचिंग और नशा के माध्यम से लोगों को लूटना इनकी कार्यशैली का हिस्सा है. जैसा कि नाम है, इस गिरोह की उत्पत्ति बिहार में कटिहार जिले के कोढ़ा नामक जगह पर हुई, जो एनएच 31 के ठीक किनारे स्थित है. हालांकि, अब इस गैंग में दूसरे जगहों के भी अपराधी अब शामिल हैं, लेकिन कार्यशैली की वजह से इसके सभी अपराधी कोढ़ा गैंग के सदस्य के रूप में ही जाने जाते हैं.

कोढ़ा गैंग एक बार फिर सुर्खियों में है. दो दिन पहले मोतिहारी व मधुबनी में आठ लोग इस गिरोह के पकड़े गये थे. इसके पहले इसी सप्ताह धनबाद व जामताड़ा में भी इस गिरोह के लोग पकड़े जा चुके हैं. इस गैंग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके सदस्य हाइस्पीड बाइक की सवारी करते हैं और लूट और छिनतई की घटना को बिना हथियार अंजाम देते हैं. इसके अलावा इस गिरोह के सदस्य को विरासत में ही यह पेशा प्राप्त हुआ है और बचपन में पढ़ाई-लिखाई की जगह अपराध का ककहरा ही उन्हें सिखाया जाता है.

बहरहाल गिरोह का सरगना राकेश ग्वाला बताया जाता है और उसने सिलीगुड़ी में अपना ठिकाना बना रखा है. इस प्रकार कोढ़ा गैंग लंबे समय से बिहार, झारखंड और बंगाल की पुलिस के लिए चुनौती साबित होता रहा.

मधुबनी लूटकांड में गिरोह की संलिप्तता उजागर

मधुबनी बाजार के निकट मंगलवार की दोपहर एक दवा कंपनी के एरिया मैनेजर संभव चटर्जी से बाइक पर सवार दो अपराधियों ने 1.40 लाख रुपये लूट लिया. लूट की कार्यशैली से शक की सूई कोढ़ा गैंग के तरफ ही घूम रही थी. वहीं प्रभात खबर ने सूत्रों के हवाले से स्पष्ट भी किया था कि घटना में कोढ़ा गैंग के अपराधी शामिल हैं, जो पुलिसिया अनुसंधान से अब स्पष्ट हो चुका है. बैंक में लगे सीसीटीवी के फुटेज में दो युवक की पहचान कर ली गयी है, जो कोढ़ा गैंग के सदस्य बताये जाते हैं.

मिली जानकारी अनुसार दवा कर्मी से लूट की घटना में कोढ़ा गैंग की तीन सदस्य शामिल थे, जिनमें दो की पहचान कर ली गयी है. पुलिस टीम संलिप्त अपराधियों की तलाश में शुक्रवार को कोढ़ा के इलाके में छापेमारी में जुटी हुई थी. बताया जाता है कि गुरूवार को रूपौली के एक शिक्षक से थाना चौक के निकट बाइकर्स ने 20 हजार रुपये लूट लिया. हालांकि केहाट पुलिस द्वारा घटना की पुष्टि नहीं की गयी है. सूत्र बतलाते हैं कि इस घटना को भी कोढ़ा गैंग ने ही अंजाम दिया है.

सिलीगुड़ी में बैठ सरगना कर रहा गिरोह का संचालन
कोसी हो या सीमांचल, बाइक सवार अपराधियों द्वारा जब भी लूट की घटना को अंजाम दिया जाता है तो कोढ़ा गैंग का नाम ही सबसे पहले सामने आता है. बहरहाल इस गैंग की कमान राकेश ग्वाला ने संभाल रखा है. कभी वह भी कोढ़ा में रहता था, लेकिन अब अपना आशियाना सिलीगुड़ी को बना रखा है. जानकार बताते हैं कि राकेश सिलीगुड़ी के हिलकैट रोड के एक फ्लैट में रह रहा है. वह अक्सर कटिहार और कोढ़ा की यात्रा करता रहता है. कब और कहां लूट होगी और लूट हुई है, इसकी मुकम्मल जानकारी उसे रहती है. बगैर उसकी सहमति के कोढ़ा गैंग में पत्ता भी नहीं हिलता है.

सूत्र बताते हैं कि सिलीगुड़ी के राकेश के आशियाने में उसकी गर्लफ्रैंड जूली भी रहती है, जो मूल रूप से बंगाल की रहने वाली है. इस गिरोह के सक्रिय सदस्यों में विकास, पप्पू, आंतो, सुखवीर, राजेश, राहुल, मिथुन पूर्वे और कटिहार के फलका स्थित मोरसंडा का नीरज मंडल, सागर कुमार आदि चर्चित नाम है. जानकार बताते हैं कि कोढ़ा का राजनीति से जुड़ा एक चर्चित शख्स इस गिरोह को संरक्षण देता रहा है.

घटना से पहले बैंकों की करता है रेकी
कोढ़ा गैंग का बैंकों के अंदर और बाहर रह कर रेकी और फिर रूपये की लूट करना इसका पेशा है. इसके सदस्यों में कुछ बाइक पर सवार सड़क किनारे रहते हैं, जबकि रेकी करने वाले सदस्य बैंक के अंदर लोगों द्वारा बड़ी रकम की निकासी पर नजर रखते हैं. ज्यों ही रूपये की निकासी कर ऐसे लोग बैंक से निकलते हैं, उसकी पूरी जानकारी बाइक सवार सदस्यों को मोबाइल पर तत्काल दी जाती है. यहीं से शुरू होता है घटना को अंजाम देने का सिलसिला. बाइक सवार सदस्य सड़क पर रुपये लेकर जा रहे लोग का पीछा करते हैं और सुनसान जगह पर घटना को अंजाम देने में कोई गलती नहीं करते. महिलाओं के गले से झपट्टा मार कर चेन छीन लेना और ट्रेन व बसों में सफर कर रहे यात्रियों को नशा खिला कर लूट लेना इस गैंग की कार्यप्रणाली का हिस्सा है.

पूर्णिया में सक्रिय रहा है कोढ़ा गैंग
गत वर्ष पूर्णिया के नूरी नगर स्थित एक लॉज से बाइक छिनतई मामले में कोढ़ा गैंग की संलिप्तता उजागर हुई थी. कसबा के एक गल्ला व्यवसायी से 10 लाख रूपये लूट मामले में राकेश ग्वाला की संलिप्तता पायी गयी थी. केनगर स्थित अगस्त नगर में पेट्रोल पंप लूटकांड में मिथुन पूर्वे का नाम पुलिस अनुसंधान में सामने आया था. फारबिसगंज के एक मसाला व्यवसायी से खुश्कीबाग ओवरब्रिज के निकट लूट में कोढ़ा गैंग के सदस्य शामिल थे. मरंगा टॉल प्लाजा कर्मी से हरदा बाजार स्थित सेंट्रल बैंक के सामने 6.72 लाख की लूट में कोढ़ा गैंग की संलिप्तता पायी गयी थी. गत वर्ष सितंबर माह में हरदा के निकट गल्ला व केला व्यवसायी से लूट की दो अलग-अलग घटना एक ही दिन हुई थी. इस घटना में भी कोढ़ा गैंग के सदस्यों का हाथ था.

हाइस्पीड बाइक सहारा, हथियार से रहती है दूरी
अपराध की दुनिया और उसमें सक्रिय लोगों का हथियार से चोली और दामन का संबंध होता है. कोसी और सीमांचल के संगठित गिरोह के पास आधुनिक हथियार हमेशा से उपलब्ध रहे हैं. लेकिन खास बात यह है कि कोढ़ा गैंग के सदस्यों ने हथियार से हमेशा दूरी बना कर रखा है. हथियार की अपेक्षा हाइस्पीड बाइक इनके अपराध का सबसे महत्वपूर्ण हथियार होता है. खासकर अपाचे और पल्सर इस गैंग के सदस्यों का पसंदीदा बाइक है.

वजह यह है कि बिना हथियार घटना को अंजाम देने के बाद तेजी से फरार हो जाना इनके लिए सुरक्षित होता है. क्योंकि बिना हथियार घटना को अंजाम देने के बाद आम लोगों द्वारा पीछा करने और पकड़ने की संभावना काफी अधिक होती है. लिहाजा अपराध की घटना को अंजाम देने के बाद सुरक्षित स्थान पर पहुंच पाना हाइस्पीड बाइक से ही संभव है. अब तक के इतिहास में कोढ़ा गैंग के सदस्यों द्वारा सिर्फ हरदा में गत वर्ष गल्ला व्यापारी पर गोली चलायी गयी थी, जो अपवाद माना जा सकता है. हथियार साथ नहीं ले चलने का लाभ यह भी होता है कि सड़कों पर किसी प्रकार की वाहनों की जांच-पड़ताल की स्थिति में भी लफड़े की संभावना नहीं रहती है.

नाम के साथ लगे हैं कई उपनाम
कोढ़ा गैंग के सदस्यों के उपनाम भी चौंकाने वाले होते हैं. इसके अलावा एक ही लोगों के आधे दर्जन से अधिक नाम भी होते हैं. जानकार बतलाते हैं कि इस गिरोह के अधिकांश सदस्यों के पूर्वज घुमक्कड़ जाति के थे. कालांतर में इस घुमक्कड़ जाति के लोग कटिहार जिले के कोढ़ा और रौतारा इलाके में स्थायी रूप से बस गये. आरंभिक दौर में जीवनयापन के लिए छोटा-मोटा अपराध इनका पेशा बन गया, जो कालांतर में भी जारी रहा. हालांकि बाद के दौर में कुछ लोगों ने इस पेशे से तौबा भी किया, लेकिन बड़ी संख्या तस्करी और अपराध से जुड़ा रहा.

चूंकि इनकी अपनी कोई निश्चित जाति नहीं थी, लिहाजा नाम के बाद इन्होंने विभिन्न धर्म और जाति के उपनाम को अपने नाम के साथ जोड़ लिया. इनके उपनाम में तिवारी, सिंह, मंडल, यादव, ग्वाला, पूर्वे, चौधरी आदि शामिल होते हैं. यही वजह है कि जब भी इस गैंग के सदस्य पकड़े जाते हैं, उनके नाम और उपनाम तथा इसकी सच्चाई को लेकर पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

बचपन से ही सीखने को मिलता है अपराध का ककहरा
कोढ़ा गैंग की कार्यशैली बड़ी ही अजीबो-गरीब है. इसमें युवा अपराधियों के साथ-साथ किशोर अपराधियों की भी एक लंबी फेहरिस्त शामिल है. दरअसल जिन्हें विरासत में ही अपराध का पेशा हासिल हुआ है, उन्होंने बचपन से ही क, ख, ग, घ की बजाय अपराध का ककहरा सीखा. झांसा देकर और खुजली वाले दवा लगा कर रूपये और सामान उड़ाना तथा बैंकों की रेकी करना इन्हें बचपन से ही सीखाया जाता है.

इसके अलावा तेज बाइक चलाना इनकी प्रशिक्षण अवधि का अहम हिस्सा होता है. एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण और दिया जाता है, अपराध की घटना को अंजाम देने के दौरान पकड़े जाने पर बेरहमी से पिटाई तय होती है, लिहाजा इन्हें शारीरिक रूप से चोट सहने के लिए अभ्यस्त भी बनाया जाता है. इस प्रकार के तमाम प्रशिक्षण के बाद अपराधियों की नयी खेप बाजार में उतारी जाती है और दशकों से अपराध के हाइवे पर कोढ़ा गैंग की हाइस्पीड बाइक पूरे रफ्तार से दौड़ रही है.

क्या कहते हैं अधिकारी
कोसी और सीमांचल के अलावा पूरे सूबे में कोढ़ा गिरोह लूटपाट की घटना को अंजाम देता रहा है. मधुबनी लूटकांड में गिरोह की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है. शीघ्र ही पूर्णिया और कटिहार पुलिस द्वारा कोढ़ा गैंग के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाया जायेगा. इस बाबत रणनीति तैयार की जा रही है. सौरभ कुमार, आरक्षी उप महानिरीक्षक, पूर्णिया प्रक्षेत्र

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