रूठ गया मॉनसून, धनरोपनी के लिए किसान हो रहे परेशान

समस्या. लक्ष्य के अनुसार अब तक नहीं हो पायी बुआई पूिर्णया िजले के माहौल के अनुसार जुलाई माह का है बड़ा महत्व पूर्णिया : पिछले एक सप्ताह से मॉनसून रूठ गया है, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. रोपनी का जितना लक्ष्य अब तक पूरा होना चाहिए उतना नहीं हो पाया है अलबत्ता किसान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 23, 2017 5:43 AM

समस्या. लक्ष्य के अनुसार अब तक नहीं हो पायी बुआई

पूिर्णया िजले के माहौल के अनुसार जुलाई माह का है बड़ा महत्व
पूर्णिया : पिछले एक सप्ताह से मॉनसून रूठ गया है, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. रोपनी का जितना लक्ष्य अब तक पूरा होना चाहिए उतना नहीं हो पाया है अलबत्ता किसान पंपसेट से पटवन कर खेतों को रोपनी योग्य बना रहे हैं. इससे किसान काफी खर्च की चपेट में पड़ गये हैं.
दरअसल जिस तरह का पूर्णिया में माहौल है उसमें जुलाई माह का धान रोपनी के लिए बड़ा महत्व है. विभागीय सूत्र बताते हैं कि यहां अब तक मात्र 55 फीसदी ही रोपनी हो पायी है. जबकि इस माह में ही लक्ष्य के करीब हर साल रोपनी हो जाती थी. इस साल जून के उत्तरार्ध से लेकर जुलाई के पूर्वार्द्ध तक काफी वर्षा हुई थी, जिसमें अगात बिचड़ा गिराने वाले किसानों ने तो बाजी मार ली और इस प्रकार लक्ष्य के विरुद्ध 55 फीसदी ही रोपनी हो पायी. अभी बरसात ने कदम रोक दिये हैं जिससे रोपनी भी थम सी गयी है. अगर वर्षा ने इसी प्रकार धोखा दिया तो शायद ही इस साल का लक्ष्य पूरा हो पायेगा.
धान रोपनी एक नजर में
कुल लक्ष्य एक लाख हेक्टेयर
कुल रोपनी 55 हजार 190 हेक्टेयर
वर्षापात एक नजर में
माह सामान्य वास्तविक
मई 96.7 एमएम 136.00एमएम
जून 233.5 एमएम 85.47एमएम
जुलाई 343.9एमएम 279.09एमएम
खाद की आवश्यकता व उपलब्धता(मीट्रिक टन में)
आवश्यकता उपलब्धता
खाद मई जून मई जून
यूरिया 2310 5517 2823.10 8140.00
डीएपी 1124 2000 583.00 1289.50
एनपीके 761 1306 1088.70 450.00
एमओपी 318 1049 1009.20 1054.70
एसएसपी 330 495 000.00 000.00
खाद की किल्लत नहीं हो रही बनावटी किल्लत
खाद की कहीं कोई किल्लत नहीं है. अगर कहीं कोई ऐसा कर रहा है तो उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
सुरेंद्र प्रसाद, जिला कृषि पदाधिकारी, पूर्णिया
पंप सेट के सहारे िजले में चल रही रोपनी
अभी पूरे जिले के किसान धान रोपनी के लिए पूरी तरह से पंप सेट पर आश्रित हो चुके हैं. एक तो बिचड़ा भी बड़ा हो गया और उपर से वर्षा बंद है जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. किसान अपने बिचड़ा को समय पर खेतों में लगाने के लिए बेचैन हैं. मॉनसून की बेरुखी से छोटे किसानों की मुश्किलें बढ़ी हैं. उन्हें भी अब पटवन पर ही आश्रित होने की मजबूरी है. अभी पूरे इलाके में धान की रोपनी पंपसेट ही हो रही है.
अभी पूरे जिले के किसान धान रोपनी के लिए पूरी तरह से पंप सेट पर आश्रित हो चुके हैं. एक तो बिचड़ा भी बड़ा हो गया और उपर से वर्षा बंद है जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. किसान अपने बिचड़ा को समय पर खेतों में लगाने के लिए बेचैन हैं. मॉनसून की बेरुखी से छोटे किसानों की मुश्किलें बढ़ी हैं. उन्हें भी अब पटवन पर ही आश्रित होने की मजबूरी है. अभी पूरे इलाके में धान की रोपनी पंपसेट ही हो रही है.
खाद की किल्लत
अभी रोपनी को लेकर खाद की किल्लत चल रही है जबकि कृषि विभाग इसे सिरे से खारिज कर रहा है. कई किसान संगठनों ने इस पर आवाज उठानी शुरू कर दिया है. किसान संघ बताते हैं कि बाजार में खाद मिल रही है मगर उंची कीमत पर. किसान भी बता रहे हैं कि खाद विक्रेताओं ने आर्टिफिसियल क्राइसिस कर दी है.

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