इस बार लोकल स्तर पर नहीं बनेंगे पटाखे

पूर्णिया : आतिशबाजी के शौकीन लोगों को इस साल लोकल पटाखा हाथ नहीं लगेगा. बांस के बत्ते पर पटाखे अथवा फुलझड़ियां नहीं फोड़ी जा सकेंगी. प्रशासन ने इसके निर्माण पर रोक लगा दी है. इससे एक तरफ लोकल विस्फोटक निर्माता की कमाई जहां रुक गयी है, वहीं इससे होने वाली कतिपय अप्रिय घटनाओं की आशंका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 22, 2017 6:14 AM

पूर्णिया : आतिशबाजी के शौकीन लोगों को इस साल लोकल पटाखा हाथ नहीं लगेगा. बांस के बत्ते पर पटाखे अथवा फुलझड़ियां नहीं फोड़ी जा सकेंगी. प्रशासन ने इसके निर्माण पर रोक लगा दी है. इससे एक तरफ लोकल विस्फोटक निर्माता की कमाई जहां रुक गयी है, वहीं इससे होने वाली कतिपय अप्रिय घटनाओं की आशंका से लोगों को निजात मिलेगी.

जिले के बेलौरी में कई परिवार ऐसे हैं, जो मिट्टी की छोटी-छोटी चुकिया में बारूद भर कर पटाखे बनाते हैं. बांस की छड़ी में फुलझड़ी भी बनती है. कई तरह के आसमानी करतब दिखाने वाले क्रैकर भी काफी प्रचलित रहे हैं. कुछ ऐसे भी पटाखे हैं, जो आतिशबाजी के साथ ही अजीब सुरीली आवाज करते हैं, तो कुछ विस्फोटक स्वागतम आदि खुले आसमान में लिख देते हैं. यही चीजें लोगों को लुभाती भी हैं. दरअसल बेलौरी के एक खास वर्ग के लोगों का यह खानदानी पेशा रहा है, जो आज तक जारी है. हाल के दिनों में जब पूर्णिया का अप्रत्याशित विकास हुआ और सरकारी विस्फोटक अधिनियम प्रभावी हो गया, तो इनके व्यवसाय पर ग्रहण लगने लगा. एहतियात के तौर पर जिला प्रशासन ने काफी कड़ाई से ऐसे पटाखों के लोकल स्तर पर निर्माण करने पर रोक लगा दी है.
किसी भी हाल में पटाखा बनाने की अनुमति जिला स्तर से ऐसे लोगों को नहीं दी जायेगी, जो इसे लोकल स्तर पर एवं पुश्तैनी कारोबार का हवाला देकर करना चाहते हैं. जिले में ऐसा कोई काम नहीं होने दिया जायेगा, जिसमें किसी तरह की परेशानी की बू आ रही हो.
प्रदीप कुमार झा, डीएम
शादी समारोह में भी मचाते हैं धूम. पूर्णिया से सटे बेलौरी गांव में लोकल मेड पटाखे सिर्फ दशहरा एवं दीपावली में ही नहीं बिकते, बल्कि शादी समारोहों में भी यहां के पटाखे धूम मचाते रहे हैं. इसी कारण इनकी डिमांड भी ज्यादा रहती है. डिमांड ज्यादा होने से यह भी है कि सफल आतिशबाजी के लिए खुद निर्माता सर्विस भी देते हैं. इसके लिए उनकी एक निश्चित फीस भी होती है.
बाहरी पटाखों की बढ़ेगी डिमांड. लोकल मेड पटाखों के निर्माण एवं विक्रय पर रोक लगने के बाद अन्य प्रदेशों एवं महानगरों से आने वाले पटाखों की बिक्री ज्यादा होगी. जैसे ही पटाखा व्यवसायियों को इसका पता चला कि अब लोकल मेड पटाखों पर रोक लग गयी है, तो इन लोगों ने बाहर के पटाखों का आॅर्डर देना शुरू कर दिया है.

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