दो माह में लूट व िछनतई की 10 घटनाएं, दहशत
कौन रोकेगा. जिले में बाइक सवार अपरािधयों का खौफ, सड़क पर निकलने में डरने लगे हैं लोग अपराधी हाइ स्पीड बाइक का इस्तेमाल कर भीड़ वाले इलाकों में भी छिनतई की घटना को अंजाम दे रहे हैं. दुस्साहस का आलम यह है कि अब शाम ढलने का भी इंतजार नहीं होता है और दिनदहाड़े ही […]
कौन रोकेगा. जिले में बाइक सवार अपरािधयों का खौफ, सड़क पर निकलने में डरने लगे हैं लोग
अपराधी हाइ स्पीड बाइक का इस्तेमाल कर भीड़ वाले इलाकों में भी छिनतई की घटना को अंजाम दे रहे हैं. दुस्साहस का आलम यह है कि अब शाम ढलने का भी इंतजार नहीं होता है और दिनदहाड़े ही वारदात को अंजाम दिया जा रहा है जिससे लोग सहमे हुए हैं.
पूर्णिया : शहरी क्षेत्र में बाइकर्स गैंग ने कोहराम मचा रखा है. बेखौफ अपराधी दिनदहाड़े लूट और छिनतई की घटना को अंजाम दे रहे हैं. खास बात यह है कि अपराधी हाइस्पीड बाइक का इस्तेमाल कर भीड़ वाले इलाकों में भी छिनतई की घटना को अंजाम दे रहे हैं. दुस्साहस का आलम यह है कि अब शाम ढलने का भी इंतजार नहीं होता है और दिनदहाड़े ही वारदात को अंजाम दिया जा रहा है.
बुधवार को दिनदहाड़े खीरू चौक पर लूट की घटना को अंजाम दिया गया तो दूसरी ओर देर संध्या शिवाजी कॉलोनी में एक व्यवसायी को पिस्तौल का भय दिखा कर अपराधियों ने 75 हजार रुपये उनके ही घर के सामने ही लूट लिया. इस घटना से यह स्पष्ट हो गया कि अब अपराधी केवल झपट्टामार कर रुपये व महिलाओं से चेन नहीं छीन रहे हैं, बल्कि हथियार का भी इस्तेमाल करने लगे हैं. जाहिर है कि इस तरह की घटनाओं से एक ओर पुलिस की सक्रियता पर सवाल उठना लाजिमी है तो दूसरी ओर आम लोग भयभीत हैं.
लूट व छिनतई की घटनाओं से दहशत में हैं लोग
बीते दो माह में लूट और छिनतई की शहरी थाना क्षेत्र में 10 घटनाएं हो चुकी है. हालांकि ऐसी घटनाओं का सिलसिला बीते 19 जुलाई को मधुबनी बाजार में एक दवा कंपनी के कर्मी से 1.40 लाख रुपये छीन कर भाग जाने से आरंभ हुआ था, जो थमने का नाम नहीं ले रहा है.
बाइकर्स गैंग के अपराधी घटनाओं को अंजाम देने में नित्य नये-नये तरीके अपना रहे हैं, जबकि पुलिस अपनी समस्याओं का राग अलापने में लगी रहती है. पुलिस स्पष्ट रूप से यह कह कर पल्ला झाड़ लेती है कि थाना में बहुत काम रहता है और पुलिस बलों की संख्या कम है. कभी शराब मामले को लेकर भी पुलिस लाचार दिखती नजर आती है. थानाध्यक्ष कहते हैं कि शराबबंदी अभियान में उन्हें अधिक समय देना पड़ जाता है. वरीय पदाधिकारी का दबाव रहता है. ऐसी स्थिति में बड़ा सवाल यह है कि शहरवासी कैसे सुरक्षित रहेंगे. यक्ष प्रश्न यह है कि आखिर घटना के बाद अपराधी क्यों नहीं पकड़े जाते हैं और घटना की प्राथमिकी दर्ज करने में थानाध्यक्ष आनाकानी क्यों करते हैं.
चौक-चौराहों तक सिमट कर रह जाती है गश्ती
शहर में बढ़ते अपराध का एक खास कारण यह भी है कि संबंधित थाना की पुलिस की गश्ती केवल चौक-चौराहों तक ही सिमट कर रह जाती है. ऐसे पुलिस वालों की नजर अपराधियों पर नहीं बल्कि लोडेड ट्रैक्टर व ट्रकों पर अधिक रहती है. वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस की नजर डिक्की पर कम और कागजात पर अधिक रहती है. शहर में घूम रहे हाइस्पीड बाइक सवार अपराधियों पर पुलिस की नजर इसलिए नहीं रहती है कि बाइकर्स अपराधी चौक-चौराहे से गुजरने में परहेज करते हैं. वहीं गश्ती दल शायद ही किसी गली-कूचे से गुजरती नजर आती है. लिहाजा घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी हमेशा गली-कूचे के रास्ते गंतव्य तक पहुंचने में कामयाब होता है.