सदर अस्पताल के रहमोकरम पर संचालित हैं कई नर्सिंग होम
Advertisement
ऑक्सीजन की सेवा लेने पहुंचते हैं यहां मरीज
सदर अस्पताल के रहमोकरम पर संचालित हैं कई नर्सिंग होम पूर्णिया : सदर अस्पताल ‘महतो जी का दलान’ बना हुआ है. बोलचाल की भाषा में इसका आशय वैसे स्थान से है, जहां कोई भी अपनी मर्जी से आ सकता है, कुछ समय बिता सकता है और फिर वापस जा सकता है. कुछ खास प्रकार के […]
पूर्णिया : सदर अस्पताल ‘महतो जी का दलान’ बना हुआ है. बोलचाल की भाषा में इसका आशय वैसे स्थान से है, जहां कोई भी अपनी मर्जी से आ सकता है, कुछ समय बिता सकता है और फिर वापस जा सकता है. कुछ खास प्रकार के रोगियों खासकर जो प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती रहते हैं और वहां समुचित सुविधाएं उपलब्ध नहीं रहती है, उनके लिए सदर अस्पताल इसी तरह का स्थल बना हुआ है. प्रभात खबर के स्टिंग ऑपरेशन में यह बात सामने आयी है कि विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों में मौजूद वैसे रोगी, जिन्हें खासकर ऑक्सीजन की सुविधा चाहिए, वे अनधिकृत रूप से सदर अस्पताल पहुंच कर ऑक्सीजन सेवा का लाभ उठाते हैं.
हैरानी की बात यह है कि ऐसे मरीजों का अस्पताल के पास कोई लेखा-जोखा नहीं होता है. मुफ्त की सेवा पाकर फिर ऐसे रोगी वापस अपने गंतव्य की ओर लौट जाते हैं. जाहिर है कि मुफ्त की इस सुविधा उपलब्ध कराने के फर्जीवाड़े में अस्पताल कर्मियों की सीधी संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है. जानकारों की मानें तो ऐसे रोगियों में उन निजी नर्सिंग होम के मरीज अधिक होते हैं, जो किसी न किसी प्रकार सदर अस्पताल से जुड़े हुए हैं.
शाम ढलते ही लगने लगती है मरीजों की भीड़. हैरानी की बात यह है कि अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में शाम ढलते ही अचानक मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. पड़ताल से पता चला कि ऐसे अधिकांश मरीज निजी नर्सिंग होम से आते हैं. निजी नर्सिंग होम में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होने से रात भर सदर अस्पताल का फ्री ऑक्सीजन सेवा का लाभ उठाते हैं. निजी नर्सिंग होम संचालक मरीज के परिजनों से इलाज और सुविधा के नाम पर मोटी रकम वसूल कर लेते हैं.
फर्जी मरीजों का नाम नहीं होता है दर्ज
फर्जीवाड़ा का खेल सुनियोजित तरीके से संचालित हो रहा है. जिन मरीजों को ऑक्सीजन दिया जाता है, उनका नाम रजिस्टर में दर्ज नहीं किया जाता है. प्रभात पड़ताल में पता चला कि 23 नवंबर की शाम 06 मरीज इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हुआ और उन्हें ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी. मरीजों में रानीगंज की फातमा खातून, कोढ़ा की शांति देवी, जानकीनगर के भूषण यादव, बनमनखी के मो अमारूल हक, हरिनंदन राय और अमौर के कुंदन प्रसाद शामिल थे. लेकिन इनका नाम अस्पताल के रजिस्टर में दर्ज नहीं मिला.
वहीं 24 नंवबर की देर शाम चार मरीज इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हुआ, जिनको सांस संबंधी समस्या थी और उन्हें ऑक्सीजन उपलब्ध कराया गया. मरीजों में रानीपतरा की रेखा देवी, सिपाही टोला के तरन्नूम, कटिहार के आनंद कुमार, अररिया का मो फजीउर रहमान शामिल थे. इन सभी मरीजों को रात भर अस्पताल में रख कर ऑक्सीजन की सेवा दी गयी और सुबह छुट्टी कर दी गयी. भर्ती मरीजों में रेखा देवी और तरन्नुम का नाम इमरजेंसी वार्ड के रजिस्टर में दर्ज है, लेकिन बांकी दो मरीज का नाम रजिस्टर में दर्ज नहीं था.
बिचौलिये से घिरा है अस्पताल
सीमांचल का लाइफ लाइन सदर अस्पताल बिचौलियों से घिरा हुआ है. इसमें कोई शक नहीं कि कई प्राइवेट अस्पताल की तुलना में यहां सुविधाएं अच्छी उपलब्ध है, लेकिन इन सुविधाओं का मुकम्मल सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. ऑक्सीजन की सुविधा लेने के लिए सदर अस्पताल में बाहरी मरीजों का भर्ती होना और उनका नाम अस्पताल के रजिस्टर में दर्ज नहीं होना इस बात का संकेत है कि अस्पताल में बिचौलिये पूरी तरह से हावी हैं. अक्सर लोगों की शिकायत रहती है कि अनावश्यक उन्हें रेफर कर दिया जाता है. वहीं बिचौलिये मरीजों को बहला-फुसला कर प्राइवेट नर्सिंग होम तक ले जा रहे हैं और इस काले धंधे से सभी की चांदी कट रही है.
मामले की जांच करेंगे
बाहर के नर्सिंग होम से मरीज आकर सदर अस्पताल में ऑक्सीजन की सुविधा प्राप्त करते हैं, इस तरह की शिकायत इससे पहले नहीं मिली थी. वे स्वयं इस मामले की जांच करेंगे और दोषी पाये जाने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी.
डाॅ निर्मल कुमार, अधीक्षक, सदर अस्पताल
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement