झपट्टामार बाइकर्स मचा रहे हैं कोहराम

अपराध. वक्त बीतने के साथ बदलता चला गया अपराध का ट्रेंड, बाइकर्स का है अब जलवा डकैती व फिरौती अब बन गयी इतिहास की घटनाएं चोरी व छिनतई की घटनाओं में हुआ इजाफा पूर्णिया : हाल के दिनों में जिले में अपराध का ट्रेड बदल रहा है. एक ओर जहां हत्या और लूट की धटनाओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2018 3:34 AM

अपराध. वक्त बीतने के साथ बदलता चला गया अपराध का ट्रेंड, बाइकर्स का है अब जलवा

डकैती व फिरौती अब बन गयी इतिहास की घटनाएं
चोरी व छिनतई की घटनाओं में हुआ इजाफा
पूर्णिया : हाल के दिनों में जिले में अपराध का ट्रेड बदल रहा है. एक ओर जहां हत्या और लूट की धटनाओं में कमी आयी है, वहीं डकैती और फिरौती के लिये अपराध की घटनाओं पर विराम लग गया है. पुलिस विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2005 में फिरौती की 06 घटनायें हुई ,जबकी 2006 एवं 2007 में एक-एक घटनाओं के बाद वर्ष 2013 में 02 घटनाएं हुई. इस प्रकार वर्ष 2003 में डकैती की 38 घटनाएं हुई, जबकि 2014 से वर्ष 2017 के बीच डकैती की कुल 32 घटनाएं हुई.
हत्या और लूट मामले में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रही. वर्ष 2005 से वर्ष 2017 के बीच हत्या और लूट का आंकड़ा बताता है कि वर्ष 2006 को छोड़ बाकी सभी वर्षो में आंकड़ा 70 के उपर ही रहा. लूट की धाराओं में वर्ष 2012 को छोड़ अन्य वर्ष में आंकड़े बढ़ते-घटते रहे, लेकिन कमी नहीं आयी.
चोरी व छिनतई की घटना बढ़ी
बीते दो वर्षो में चोरी व छिनतई की पूर्व के वर्षो की अपेक्षा मामला बढ़ा है. खासकर चोरी व गृहभेदन के क्रमश: 156 एवं 82 घटनाएं हुई है. वर्ष 2017 में चोरी की 819 एवं गृहभेदन की 92 घटनाएं हुई. गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी चोरों ने बंद घरों को निशाना बना कर लाखों के जेवरात व नगदी की चोरी की. इस वर्ष चोरी की चार घटना ऐसी थी, जो दिन में हुई. पुलिस आंकड़े के अनुसार वर्ष 2008 के बाद चोरी की घटना में कमी आती रही, लेकिन वर्ष 2017 मे चोरी की 819 घटनाओं ने डेढ़ दशक के सभी आंकडों को पीछे छोड़ डाला है. इसका मुख्य कारण चोरों की गिरफ्तारी में पुलिसिया कार्रवाई सिफर होना है. खासबात यह रहा कि बीते दो वर्षो में चोरों ने बंद घरों में सिर्फ जेवर व नगदी पर ही हाथ साफ किया. दूसरी ओर झपट्टामार अपराधियों द्वारा अंजाम दी गयी. छिनतई की घटनाओं ने पिछले डेढ़ दशक के सभी आंकड़े को पीछे छोड़ दिया .बगैर हथियार के हाईस्पीड बाइक पर अपराधी राहगीरों के रुपये ,मोबाइल और महिलाओं के चेन छीनकर अपना जलवा बरकरार रखा.
वर्ष 2005 से 2017 तक की आपराधिक घटनाएं
वर्ष हत्या डकैती लूट फिरौती हेतु अपहरण दुष्कर्म चोरी
2005 113 3 95 06 37 218
2006 57 21 70 01 41 229
2007 90 28 47 01 80 215
2008 71 27 27 00 59 224
2009 86 15 35 00 46 196
2010 80 11 21 00 40 161
2011 86 10 24 00 63 185
2012 96 16 17 00 40 170
2013 89 14 27 02 55 130
2014 70 09 34 01 57 143
2015 70 09 45 01 36 152
2016 78 07 42 00 33 156
2017 87 04 36 00 22 819
डकैती व फिरौती की घटनाओं पर लगा अंकुश
डेढ़ दशक पूर्व जिले में कई दुर्दान्त अपराधी गिरोह का आतंक था. यहां तक कि बाहर के जिले के अपराधी भी बड़े आसानी से घटना को अंजाम देकर चले जाते थे. तब राजनेताओं के संरक्षण में फिरौती खूब फल-फूल रहा था. लेकिन व्यवस्था के बदलाव के साथ पुलिस तंत्र को मजबूत बनाया गया.अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान का सहारा लिया जाने लगा. वर्ष 2005 में हत्या की 113 एवं फिरौती के 06 घटनाओं के बाद अन्य वर्षो के वारदातों में कमी आने लगी. पूर्व में जेल में बंद बड़े अपराधी जेल से ही व्यवसायियों से रंगदारी की मांग करते थे. जेल के बाहर बैठे उनके गुर्गे व्यवसायियों से रुपये वसूलते थे. वर्ष 2006 के बाद जेल से अपराधियों द्वार रंगदारी की मांग की घटना न केवल बंद हो गयी, बल्कि जेल प्रशासन भी इस मामले में सख्त रहा. बहरहाल जेल में बंद कई अपराधी मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन रंगदारी मांगने की गलती नामी गिरामी भी नहीं करते हैं.

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