नाबालिग छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में तीन को फांसी की सजा

पूर्णिया : बिहार के पूर्णियामें प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सत्येंद्र रजक ने नाबालिग छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में गुरुवार को तीन अभियुक्त को फांसी की सजा सुनायी है. न्यायाधीश ने इसे विरल से विरलतम अपराध करार देते हुए मामले के अभियुक्त बड़हरा थाना क्षेत्र के गुलाब टोला मलडीहा के प्रशांत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2018 10:21 PM

पूर्णिया : बिहार के पूर्णियामें प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सत्येंद्र रजक ने नाबालिग छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में गुरुवार को तीन अभियुक्त को फांसी की सजा सुनायी है. न्यायाधीश ने इसे विरल से विरलतम अपराध करार देते हुए मामले के अभियुक्त बड़हरा थाना क्षेत्र के गुलाब टोला मलडीहा के प्रशांत कुमार मेहता, लक्ष्मीपुर भिट्ठा के सोनू कुमार तथा रूपेश कुमार मंडल को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाने का निर्देश दिया जबतक उनकी मौत नहीं हो जाती है. साथ ही तीनों को अलग-अलग 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. न्यायाधीश ने जुर्माना की राशि नहीं चुकाने की स्थिति में उनकी संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया है.

गौरतलब है कि 1978 में तत्कालीन अपर सत्र न्यायाधीश भागीरथी राय ने हत्या के मामले में अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाया था. मामला सत्रवाद संख्या 965/12 से संबंधित है. न्यायालय द्वारा सजा सुनाये जाने के बाद मृतका के पिता जगदीश मंडल ने कहा कि जिसने घटना को अंजाम दिया और न्यायालय ने जो फैसला दिया है. उससे वे पूरी तरह संतुष्ट हैं. जबकि मृतका के भाई भोला कुमार ने कहा कि उसके राखी का कर्ज आज अदा हो गया है.

वर्ष 2012 में हुआ था दुष्कर्म व हत्या
मामला 6 वर्ष पुराना है. इस मामले में मृतका के पिता जगदीश मंडल ने बड़हारा थाना कांड 99/12 दर्ज करवाया था. जिसके अनुसार उनकी 13 वर्षीया लड़की जो वहीं स्थानीय मध्य विद्यालय लक्ष्मीपुर भिट्ठा में पढ़ती थी, 11 मई 2012 को सुबह 6 बजे स्कूल गयी थी. लेकिन वह वापस नहीं लौटी. इसी बीच पता चला कि गांव में मक्के के खेत में एक लड़की लाश पड़ी है. उस वक्त परिजन मक्का खेत में पहुंचे लेकिन मृतका की पहचान नहीं हो पायी. देर रात फिर जब परिजन उक्त स्थल पर पहुंचे तो मृतका की पहचान हुई.

सामूहिक दुष्कर्म के बाद की गयी नृशंस हत्या
सामूहिक दुष्कर्म के बाद छात्रा के शव को क्षत-विक्षत कर दिया गया था. दुष्कर्म के बाद मृतका के गले में बांस को घुसेड़ दिया गया था. शरीर पर जगह-जगह जख्म के निशांन थे. यहां तक की गुप्तांग को भी ब्लेड से काट दिया गया था. इस पूरे घटनाक्रम को एक चश्मदीद बालक ने देखा था. जिसने बाद में 164 के तहत बयान दर्ज कराया था. बयान के अनुसार छात्रा को ट्यूशन पढ़ाने वाले प्रशांत कुमार मेहता और अन्य बरगला कर खेत तक ले गया था. जहां उसके साथ पहले दुष्कर्म और फिर हत्या हुई.

न्यायाधीश ने कहा ऐसे अपराधी को समाज में रहने का हक नहीं
मामले में वरीय अपर लोक अभियोजक रमाकांत ठाकुर ने सरकार के तरफ से पक्ष रखते हुए न्यायालय में 18 गवाहों का परीक्षण करवाया. जिसमें डॉक्टर तथा अनुसंधानकर्ता भी शामिल थे. उन्होंने न्यायालय में कहा कि इस प्रकार की घटना निर्भया कांड से कम नहीं है तथा यह विरलतम मामला है. जिसमें अभियुक्तों को जितनी भी सजा दी जायेगी वह कम होगी. उन्होंने कोर्ट से ज्यादा से ज्यादा कठोर सजा देने की मांग की. उन्होंने उल्लेख भी किया कि यह घटना 2012 की है. जो मई में हुई जबकि निर्भया कांड भी दिसंबर 2012 को ही हुआ था. जिसमें पूरा देश आंदोलनरत हो गया था. न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि मामला एक बच्ची के साथ न केवल दुष्कर्म की घटना की है बल्कि उसके साथ अमानवीय व्यवाहार भी किया गया है. इन अपराधियों को समाज में रहने का कोई औचित्य नहीं है. अत: इन्हें फांसी की सजा सुनायी जाती है. बल्कि इनको फंदे पर तब तक झुलाया जाय जब तक इनकी मृत्यु न हो जाय. न्यायालय ने पीड़िता के पिता को क्षतिपूर्ति के लिए विधिक सेवा प्राधिकार को भी लिखा है.

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