पहले बाढ़ ने तोड़ी कमर अब मक्के ने दिया दगा
बाली में दाना नहीं आने से किसानों का हाल बेहाल रूपौली : प्रखंड क्षेत्र के मक्का किसान का इन दिनों हाल बेहाल है. ज्यादा वक्त नहीं बीते हैं, जब कोसी ने अपना तांडव मचाया तो अधिकांश किसानों की कमर टूट गयी. वक्त के साथ किसानों ने समझौता किया और एक बार फिर किसानी में जुट […]
बाली में दाना नहीं आने से किसानों का हाल बेहाल
रूपौली : प्रखंड क्षेत्र के मक्का किसान का इन दिनों हाल बेहाल है. ज्यादा वक्त नहीं बीते हैं, जब कोसी ने अपना तांडव मचाया तो अधिकांश किसानों की कमर टूट गयी. वक्त के साथ किसानों ने समझौता किया और एक बार फिर किसानी में जुट गये. कर्ज लेकर और कलेजे पर पत्थर रख कर मक्के की फसल लगायी, लेकिन अब वह भी दगा दे गयी. प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों किसान के मक्का के खेतों में बाली में दाना नहीं आने से हाहाकार मचा हुआ है. ऐसी स्थिति पूरे प्रखंड क्षेत्र में है. लिहाजा किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. समस्या यह है कि शिकायत करें तो किससे और उसका क्या फलाफल निकलेगा कह पाना कठिन है. किसान कभी बीच और खाद को कोस रहे हैं तो कभी अपनी किस्मत पर आंसू बहाने को मजबूर है.
प्रखंड क्षेत्र के आझोकोपा निवासी नीरज कुमार यादव ,मुन्ना यादव गुलशन यादव, राजेश यादव, शंकर यादव, कारेलाल यादव आदि ने बताया कि उन्होंने लक्ष्मीपुर छर्रापट्टी बाजार में 10 एकड़ के आसपास में मक्के की खेती की है, जिसमें बाली में दाना नहीं आया है. किसानों ने बताया कि 20 से 25 हजार रुपये प्रति एकड़ खेती में लागत खर्च आता है. अब स्थिति यह है कि एक भी पाई लौटने की उम्मीद नहीं है. इस बाबत कृषि सलाहकार मिथलेश कुमार बताते हैं कि मक्के के बाली मे दाना नहीं आने की खबर उन्हें भी मिल रही है. इसकी एक वजह अत्यधिक ठंड का पड़ना भी हो सकता है. दूसरी ओर प्रभावित किसान जिला प्रशासन से फसल मुआवजे के लिए सड़क पर उतरने का मन बनाने लगे हैं.
डगरूआ प्रतिनिधि अनुसार क्षेत्र के सैकड़ों एकड़ में लगी मक्के की फसल में दाना गायब होने की समस्या बढ़ने से किसानों में मायूसी छा गयी है. इसे लेकर क्षेत्रीय किसानों में आक्रोश भी पनपने लगा है. इस समस्या को देखते हुए कांग्रेस नेता निसार अहमद ने जिला प्रशासन से किसानों को मुआवजा देने की मांग की है. उन्होंने बताया कि खासकर कम पूंजी वाले किसानों के लिए महाजन को कर्ज चुकाना मुश्किल होता दिख रहा है. वहीं जिन किसानों ने बैंक से केसीसी ऋण लेकर खेती की है, उनके लिए बैंक को लोन अदा करना भी परेशानी का कारण बन गया है. ज्ञात हो की मक्के की बाली में दानें नगण्य होने की शिकायत कुछ गिने चुने खेतों में थी,लेकिन दिनों दिन इसकी शिकायत बढ़ती जा रही है.