साहब ! मुझे पति के साथ बेडरूम में नहीं, पालतू जानवरों के बीच…, जानें पूरा मामला
पूर्णिया : राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त की ‘अबला जीवन तेरी हाय यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी’ कविता आज भी प्रासंगिक है और आजादी के सात दशक बाद भी हालात में कुछ खास परिवर्तन नहीं हुए हैं. यह अलग बात है कि सभा और सेमिनार में नारी सशक्तीकरण के बड़े-बड़े […]
पूर्णिया : राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त की ‘अबला जीवन तेरी हाय यही कहानी, आंचल में है दूध और आंखों में पानी’ कविता आज भी प्रासंगिक है और आजादी के सात दशक बाद भी हालात में कुछ खास परिवर्तन नहीं हुए हैं. यह अलग बात है कि सभा और सेमिनार में नारी सशक्तीकरण के बड़े-बड़े दावे किये जाते हैं. समस्या यह है कि नारी स्वभाव से कोमल होती है और फरेवी पुरुषों के शब्द जाल में आसानी से सर्वस्व न्योछावर कर देती है. जब तक हकीकत से सामना होता है तब तक देर हो चुकी होती है. इसके बाद इंसाफ के लिए दर-दर भटकने का दौर शुरू होता है. स्याह सच यह है कि न्याय की डगर ऐसे शोषितों के लिए आसान नहीं होती है और अगर इंसाफ मिलता भी है तो आधी हकीकत आधा फसाना ही साबित होता है. जलालगढ़ थाना क्षेत्र के धनगामा निवासी नजरा प्रवीण की हालत भी कुछ वैसी ही है, जो प्यार पाने की तलाश में अपना अस्तित्व भी दांव पर लगा बैठी.
घर में सोने के लिए नहीं मिलती है जगह
नजरा परवीन बताती हैं कि मो तबरेज से उसे पहले इश्क हुआ और काफी दिनों तक उसका बहला-फुसलाकर यौन शोषण होता रहा. जब दोनों के संबंधों की पोल खुली तो ग्रामीणों के दबाव में वर्ष 2014 में तबरेज ने उसके साथ शादी रचाई. खास बात यह रही कि तबरेज शादीशुदा है, इस बात की भनक नजरा को अंतिम समय तक नहीं लग सका. वह जब ससुराल पहुंची तो उसे गलती का एहसास हुआ. ससुराल जाने पर नजरा की उपेक्षा शुरू हुई और उसे सम्मान नहीं दिया जाने लगा. हद तो तब हो गयी जब नजरा को पालतू पशुओं के बीच रहने को विवश किया गया और तबरेज पहली पत्नी के साथ शयन कक्ष में रहता था. इस जिल्लत भरी जिंदगी से उबकर नजरा ने पुलिस के पास फरियाद लगायी, जहां से उसे परिवार परामर्श केंद्र भेज दिया गया.
परामर्श केंद्र ने पति-पत्नी के बीच कराया सुलह
परामर्श केंद्र ने मामले की सुलह के लिए दोनों पक्ष को बुलाया. केंद्र के सदस्यों के सामने नजरा ने कहा ‘….साहब, मुझे पालतू जानवरों के बीच सोने के लिए दिया जाता है. मुझे जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है ’. पति ने अपने ऊपर लगाये गये आरोप का खंडन किया और कहा कि घर में एक ही कमरा है. जिसमें वह पहली पत्नी के साथ रहता है. नजरा कमरे में उसके साथ नहीं रहना चाहती. यही वजह है कि वह घर के पालतू जानवरों के साथ बरामदे पर रहती है. केंद्र द्वारा हस्तक्षेप कर पति को शीघ्र ही दूसरा कमरा बनाने का सुझाव दिया गया. ताकि दूसरी पत्नी को बराबरी का दर्जा देते हुए उक्त निर्मित कमरे में रखा जाये. साथ ही भरण पोषण का पूरा ध्यान रखने को हिदायत दी गयी. केंद्र के द्वारा दिये गये सुझाव को पति द्वारा सहमति जतायी गयी और भरोसा दिलाया कि वह शीघ्र ही दूसरा कमरा तैयार कर लेगा. पति की बातों से नजरा परवीन सहमत हुई और केंद्र से ही पति के साथ उसके घर चली गयी. मामले को सुलझाने में केंद्र की संयोजिका माधुरी कुमारी, सदस्य दिलीप कुमार दीपक, बबीता चौधरी, श्वाति वैश्यंत्रि, जीनत प्रवीण, रवींद्र साह की भूमिका रही.
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