ठनका का ठिकाना रहा है सीमांचल, बरपाने लगा कहर
पूर्णिया : बारिश हमेशा अपने साथ खुशियों के गीत नहीं लाती है. बारिश के साथ जब तेज बिजली चमकती है तो लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. सीमांचल के इलाके में दशकों से वज्रपात की वजह से प्रतिवर्ष सैकड़ों जानें चली जाती है. सीमांचल की आवोहवा खास कर नम जलवायु और बिगड़ते पर्यावरण संतुलन […]
पूर्णिया : बारिश हमेशा अपने साथ खुशियों के गीत नहीं लाती है. बारिश के साथ जब तेज बिजली चमकती है तो लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. सीमांचल के इलाके में दशकों से वज्रपात की वजह से प्रतिवर्ष सैकड़ों जानें चली जाती है. सीमांचल की आवोहवा खास कर नम जलवायु और बिगड़ते पर्यावरण संतुलन इसके लिए जिम्मेदार माने जाते हैं.
बारिश के मौसम में चमचमाती तेज आवाज के साथ आकाशीय बिजली गिरने से जानें जाती रही हैं. यह बिजली इतनी ताप लिये होती है कि पीड़ित को संभलने का मौका ही नहीं मिल पाता और कुछ ही पलों में सब कुछ समाप्त हो जाता है. शनिवार को मानसून पहली बारिश में वज्रपात ने कहर बरपा कर अपने तेवर का इजहार कर दिया है. जानकारों की माने तो आसमानी बिजली से बचाव का एकमात्र उपाय सतर्कता और जागरूकता है.
पहले दिन दो की मौत, तीन घायल.शनिवार की दोपहर बाद अचानक मौसम का मिजाज बदला और तेज हवा के साथ तेज बारिश हो गयी. लेकिन इस बारिश के साथ आकाशीय बिजली भी गिरी और धमदाहा प्रखंड में दो लोगों की मौत का कारण बना, जबकि तीन लोग घायल हो गये. मृतकों में मृतकों में कुंआरी पंचायत के दुधिभित्ता निवासी 25 वर्षीया किरण देवी और सतमी टोला निवासी 12 वर्षीय परमेश्वर टुडू शामिल हैं. जबकि घायलों में चंदरही की निर्मला देवी, दुधिभित्ता की परमिला कुमारी और सतमी के अंशुमन हेंब्रम शामिल हैं.
क्या होता है आसमानी बिजली . तूफानी बादलों में विद्युत आवेश होता है. इसकी निचली सतह ऋणावेशित और ऊपरी सतह धनावेशित होती है. धनात्मक और ऋणात्मक एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करती है. वायु की वजह से विद्युत आवेश में रुकावट पैदा होती है. बादल की ऋणावेशित निचली सतह को छूने को कोशिश करती धनावेशित तरंगे पेड़, इमारत और राह चलते लोगों पर टूट कर गिरती है. जानकारों की माने तो जमीन पर सूर्योदय की अपेक्षा सूर्यास्त के समय अधिक बिजली गिरती है जबकि गर्मियों में सर्दियों के अपेक्षा अधिक बिजली गिरती है.
कौन होते हैं वज्रपात के शिकार
वज्रपात के शिकार सबसे अधिक शिकार वे लोग होते हैं जो घटना के दौरान घर से बाहर खुले में होते हैं. इसमें भी सबसे अधिक शिकार वे लोग बनते हैं जो पेड़ों के नीचे शरण लिए होते हैं. वहीं सीमांचल के इलाके में खेत में काम करने वाले मजदूर और पशुपालन में शामिल लोग आसानी से वज्रपात के शिकार हो जाते हैं. दरअसल खेतों में काम करने वाले किसान और मजदूर आपदा की इस घड़ी में खेत के बाद पेड़ के नीचे ही शरण लेते हैं, जो उनके लिए काल साबित होता है.
काफी गर्म होती है आकाशीय बिजली
्भौतिक विज्ञान के रिसर्च स्कॉलर डा अनिल कुमार सिंह के अनुसार आकाशीय बिजली का ताप अमूमन 17 हजार डिग्री सेल्सियस से 27 हजार डिग्री सेल्सियस होता है. यह सूर्य की सतह से पांच गुना ज्यादा होता है. आकाशीय बिजली दो प्रकार की गर्म और ठंड होती है. गर्म बिजली सेकेंड के दसवें भाग तक चमकती है और यह आग लगने का कारण बनती है. जबकि ठंडी बिजली सेकेंड के हजारवें भाग तक चमकती है केवल तेज गर्जना करती है.
वज्रपात से बचाव के उपाय
- अगर आप नदी और तालाब में हैं तो तत्काल बाहर निकले
- बारिश और बिजली चमकने के दौरान ऊंचे पेड़ के नीचे न रहे
- साइकिल की सवारी कर रहे हैं तो तत्काल नीचे उतर जाये
- दरवाजे, खिड़की और बिजली के चूल्हे से दूर रहें.
- वज्रपात के दौरान जमीन पर नहीं लेटे
- संभव हो तो सुरक्षित स्थान के रूप में घर की शरण ले
- संभव हो तो घर पर कोने में तरित संचालक लगाये जो अर्थिंग का काम करता है
- बिजली चमकने के दौरान मोबाइल के प्रयोग से जरूर बचे
गिरा ठनका, दर्जनों सेटअप बॉक्स जले
पूर्णिया. रविवार को अहले सुबह तेज बारिश के साथ साथ बिजली के तेज तड़के से सैकड़ों सेटअप बॉक्स का कोर्ड जल गया. लोकल केबुल-डिस वाले को काफी नुकसान हुआ. कोर्ड जल जाने से टीवी देखने वाले रविवार की देर शाम तक वंचित रहे. जिस समय बिजली के तेज तड़का चमक रहा था, उस समय लोग सोए हुए थे और घर के बिजली बोर्ड में सेटअप बॉक्स का कोर्ड लगा हुआ था.